क्षति पूर्ति पोर्टल के नाम पर सरकार ने किसानों के साथ किया छलावा: लखविंद्र सिंह

सिरसा। जिले के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर भारतीय किसान एकता (बीकेई) के बैनर तले रोष मार्च निकाला। किसान रोष मार्च निकालते हुए सीएम की अर्थी लेकर लघु सचिवालय पहुंचे और पुतला दहन किया।
इसके बाद जिला उपायुक्त को मुख्यमंत्री के नाम एक मांग पत्र सौंपा गया। इसके बाद किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल जिला उपायुक्त पार्थ गुप्ता से मिला। किसानों ने बताया कि धान का सीजन नजदीक है और ऐलनाबाद क्षेत्र के 51 ट्यूबवैल कनैक्शन पेंडिंग है, जिसपर उपायुक्त ने विद्युत निगम के एस ई से बात की और आश्वस्त किया कि धान का सीजन शुरू होने से पूर्व कनैक्शन लगा दिए जाएंगे। इसके साथ-साथ हिसार-घग्गर ड्रेन पर जो साइफन बनना था, उसका काम भी जल्द शुरू करवाने का किसानों को आश्वासन दिया।
बीकेई अध्यक्ष लखविंद्र सिंह ने बताया कि सर्वप्रथम सुबह जिलेभर के किसान बाबा साहेब अंबेडकर चौक पर एकत्रित हुए और यहां से जुलूस की शक्ल में हरियाणा सरकार की अर्थी के साथ रोष मार्च करते हुए लघु सचिवालय पहुंचे। लखविंद्र सिंह ने बताया कि हरियाणा सरकार किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। 3 सालों से किसानों की फसल तेज बरसात, ओलावृष्टि व बीमारी से खराब हो रही है। हरियाणा सरकार ने खरीफ -2020 में मुआवजे का ऐलान किया था, लेकिन अभी तक किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया है।
रबी-2023 में ओलावृष्टि और भारी बरसात से सिरसा जिले के लगभग 75 गांवों की फसल बर्बाद हो गई थी, लेकिन सरकार ने 10 करोड़ 49 लाख ही मुआवजा जारी किया है, जो कि प्रति एकड़ एवरेज 1710 बनता है, जो कि किसानों के साथ भद्दा मजाक है। दूसरा जो किसान अपनी फसल का बीमा करवाते हैं, कंपनी बीमा प्रीमियम निर्धारित तारीख को किसान के खाते से काट लेती है, लेकिन जब किसान की फसल बर्बाद हो जाती है तो उसका बीमा क्लेम देने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाती है।
खरीफ -2020 का भी कई किसानों का बीमा क्लेम बकाया है। उन्होंने बताया कि खरीफ -2022 में भारी बरसात से फसलें बर्बाद हो गई थी, लेकिन बीमा कंपनी अब नए-नए बहाने लगाकर किसानों का बीमा क्लेम हड़पना चाह रही है। रबी 2022-23 के बीमा क्लेम का अभी तक कोई अता पता नहीं है। हरियाणा सरकार ने मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल में एक क्षतिपूर्ति पोर्टल बनाया है।
क्षतिपूर्ति का मतलब बनता है कि नुकसान की भरपाई, लेकिन सरकार क्षतिपूर्ति के नाम पर किसानों के साथ भद्दा मजाक कर रही है। किसान की गेहूं की फसल लगभग 50 हजार की होती है। नुकसान वाले गांवों में 75 से 100 प्रतिशत नुकसान हुआ है, लेकिन क्षतिपूर्ति के नाम पर किसान को एवरेज 1710 रुपए प्रति एकड़ मुआवजा जारी किया गया है। लखविंद्र सिंह ने कहा कि यही नहीं सरकारी को-ऑपरेटिव बैंकों से किसान अपनी फसल पालने के लिए जो कर्ज लेते थे, उस पर पहले कोई ब्याज नहीं लिया जाता था, लेकिन अब हरियाणा सरकार ने किसानों से 7 प्रतिशत ब्याज वसूलने का तुगलकी फरमान जारी किया है। कॉपरेटिव बैंक के उच्च अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि किसान से 7 प्रतिशत ब्याज वसूला जाएगा, लेकिन उसमें से 3 प्रतिशत भारत सरकार व 4 प्रतिशत हरियाणा सरकार किसान के खाते में वापस कर देगी। जब इस संबंधी लिखित में आदेश दिखाने की बात कही तो अधिकारियों ने कहा कि लिखित में आर्डर अभी नहीं आया है, लेकिन किसानों का ब्याज एक बार लेंगे और उसे वापस कर देंगे। किसानों को ब्याज नहीं लगेगा। लखविंद्र सिंह ने कहा कि वे हरियाणा सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि सरकार बहाने से किसानों से किसान आंदोलन का बदला ले रही है।
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