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स्कूल समय से ही था गायकी का शौक: कुलविंद्र भुल्लर

नए गाने की प्रमोशन के लिए पंजाबी कलाकार कुलविंद्र भुल्लर मीडिया से हुए रू-ब-रू
 
 
स्कूल समय से ही था गायकी का शौक: कुलविंद्र भुल्लर

सिरसा। काम छोटा हो या बड़ा हो, इससे फर्क नहीं पड़ता। बशर्ते उस काम के प्रति आपका नजरिया सकारात्मक होना चाहिए और लक्ष्य प्राप्ति के लिए तब तक लडऩा चाहिए, जब तक सफलता आपके कदम न चूम ले। हम गरीबी में पैदा हुए ये हमारा कसूर नहीं है, बल्कि गरीबी में रहकर मर जाना, ये उससे भी बड़ा कसूर है। उक्त बातें सिरसा जिले के उभरते पंजाबी गायकार कुलविंद्र भुल्लर ने बुधवार को अपने नए गाने के प्रमोशन के अवसर पर मीडिया से रू-ब-रू होते हुए कही। कुलविंद्र भुल्लर ने कहा कि उसका जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ। स्कूल समय से ही उसे गाने का शौक था और उसने स्कूल में आयोजित अनेक कार्यक्रमों में प्रतिभागिता की। जैसे-तैसे कर उसने 12वीं तक की पढ़ाई की, लेकिन उसके बाद कभी मजदूरी तो कभी किसानी कर परिवार चलाने का प्रयास किया।

वह सिद्धू मूसेवाला के गाने लगातार सुनता आ रहा है। फिर उसे गायकी का ऐसा नशा चढ़ा कि उसने तय कर लिया कि चाहे जो भी हो जाए, उसे कुछ बड़ा करना है। उसने कभी हार नहीं मानी और ये तय कर लिया कि कुछ नया व हट कर करना है। कुलविंद्र भुल्लर ने बताया कि गांव माखा निवासी हरदीप सिंह, जोकि उसके गाने लिखता है, का साथ मिला और अब तक उसके चार गाने आ चुके हंै, जोकि लोगों ने बहुत पसंद किए हंै और 7 गाने तैयार हो चुके हंै, जोकि कुछ ही समय में श्रोताओं को सुनने को मिलेंगे। उन्होंने कोई गुरु नहीं बनाया और न ही किसी से सीखा, बल्कि अपनी मेहनत से ही आगे बढ़ा हूं।

गानों में परोसी जाने वाली अश्लीलता व नशे के बारे में पूछे सवाल पर भुल्लर ने कहा कि समय के हिसाब से व लोगों की डिमांड के अनुसार एक कलाकार अपना गाना तैयार करता है, लेकिन उनका प्रयास रहेगा कि सभ्य गाने ही लोगों के बीच में लेकर आएं, ताकि अपनी एक अलग पहचान बना सकें। उन्होंने नए गाने जहांगीर ने सताए अंग्रेज की कुछ पंक्तियां भी गाकर सुनाई। कुलविंद्र भुल्लर ने कहा कि श्रोताओं का सहयोग इसी प्रकार से मिलता रहा तो गायकी के क्षेत्र में उसका भी एक नाम होगा। उनके साथ लेखक हरदीप सिंह, अंग्रेज सिंह व बादल सोनी भी उपस्थित थे।