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शारीरिक एवं मानसिक शुद्धि हेतु यज्ञ करना अनिवार्य है: राजकुमार शास्त्री

 
शारीरिक एवं मानसिक शुद्धि हेतु यज्ञ करना अनिवार्य है: राजकुमार शास्त्री

सिरसा। आर्य समाज सिरसा के यज्ञशाला में साप्ताहिक यज्ञ का अनुष्ठान किया गया। यज्ञ में ब्रह्मा राजकुमार शास्त्री के निर्देशन में सभी आर्यांे एवं मुख्य यजमान सुधाकर शर्मा पत्नी सहित श्रद्धापूर्वक यज्ञ में आहुतियां प्रदान की।

तत्पश्चात् शास्त्री ने यज्ञ का महत्व बताते हुए कहा कि जो कार्य जगत के उपकार के लिए किया जाता है, वह यज्ञ है। शतपथ ब्राह्मण में कहा यज्ञो वै श्रेष्ठतमं कर्म अर्थात् दुनिया का श्रेष्ठ कर्म यज्ञ है

 यज्ञ का तीन अर्थ है, देवपूजा, संगतिकरण और दान। यज्ञ करने वाला याज्ञिक, आध्यात्मिक एवं भौतिक सुख प्राप्त करता है, जो व्यक्ति नित्य प्रति यज्ञ करता है। उसके घर-परिवार में बालक से वृद्ध तक निरोग काया वाले होते हैं।

फ्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने इस यज्ञ पर खोज किया तो पाया कि यज्ञप्रेमी लोग हवन करते हुए आम की लकड़ी व शक्कर जलाते हैं, जिससे फार्मिक एल्डिहाइड गैस उत्पन्न होता है, जो चारों ओर के वातावरण को शुद्धकर स्वच्छ व सुरम्य बनाता है।

शारीरिक एवं मानसिक शुद्धि हेतु यज्ञ करना अनिवार्य है। यज्ञ करने वाला याज्ञिक कभी भी तनाव ग्रस्त नहीं होता है। सदैव आनंद से ओतप्रोत रहता है। इस अवसर आर्य समाज के मंत्री ओमप्रकाश खर्रा, लेखा निरीक्षक राजेन्द्र आर्य, सुरेश शेरडिया, जयप्रकाश, बालचंद मुनि, दीपक भाटी, देवमित्र, संदीप नुईया, चन्द्रभान, पूर्ण देवी, पृथ्वी सिंह, वेदप्रकाश सरदाना आदि उपस्थित रहे।