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हाईकोर्ट के जज से हो सहकारिता विभाग घोटाले की जांच : कुमारी सैलजा

घोटालेबाजों को सत्ता का पूरा संरक्षण, नहीं होगा दूध का दूध और पानी का पानी
 
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चंडीगढ़, 08 फरवरी।  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं उत्तराखंड की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि  सहकारिता विभाग के घोटाले की जांच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सीटिंग जज से कराई जानी चाहिए। भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की कोई भी एजेंसी इस घोटाले की जांच को अंजाम तक नहीं पहुंचा सकती। क्योंकि, इतना बड़ा घोटाला सत्ताधारियों की शहर के बिना संभव नहीं हो सकता और अब तक विजिलेंस ने सत्ता में बैठे किसी भी शख्स का नाम उजागर नहीं किया है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि सहकारिता विभाग के घोटाले को बड़े ही सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। विजिलेंस ने शुरुआती तौर पर इसे 100 करोड़ रुपये से अधिक का बताया है। हाईकोर्ट के जस्टिस से जांच करने पर घोटाले की राशि इससे कई गुणा बढ़ सकती है क्योंकि, विजिलेंस में इतना दम नहीं कि वह प्रदेश सरकार में बैठे उन लोगों से पूछताछ कर सके, जिनकी शह घोटालेबाजों को लगातार मिल रही थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सिर्फ अधिकारी व कर्मचारी अपने दम पर इतने बड़े घोटाले को अंजाम नहीं दे सकते। गहराई से जांच होने पर ही पता चलेगा कि भाजपा-जजपा गठबंधन के कौन-कौन लोग इस घोटाले से लगातार अपना हिस्सा ले रहे थे। जिस तरीके से जिलों से रिकॉर्ड गायब होने की सूचनाएं मिल रही हैं, उससे साफ है कि घोटालेबाजों का सत्ता का पूरा संरक्षण मिल रहा था। हर कदम को उठाते समय ये एक-दूसरे के संपर्क में थे।

कुमारी सैलजा ने कहा कि करनाल व पानीपत जिले का 2021 से 2023 तक का सहकारिता विभाग का रिकॉर्ड ही गायब है। ऐसे ही सोनीपत जिले में 2022 के बाद का कोई रिकॉर्ड नहीं मिल रहा। पंचकूला व अंबाला जिले का 2016 से 2022 तक, फतेहाबाद का 2014 से 2018 तक, सिरसा का 2020 तक का रिकॉर्ड आधा अधूरा पाया गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जांच एजेंसी को वाउचर, आरडी, प्रॉफिट एंड लोस अकाउंट, बैलेंस शीट, लेजर, ट्रायल बैलेंस जैसे दस्तावेज न मिलने से साफ है कि घोटाले को पूरी प्लानिंग के तहत अंजाम दिया गया। सहकारिता विभाग के 100 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की जांच राज्य सरकार द्वारा महालेखाकार ऑडिट से करानी थी, लेकिन किसी ऊपरी दबाव में सरकार ने जांच के लिए फाइल को आगे ही नहीं बढ़ाया। सरकार में बैठे लोगों के नाम घोटाले में उजागर न हो जाएं, इसलिए ही किसी प्राइवेट सीए फर्म से भी जांच नहीं कराई गई। योग्य सीए एजेंसी न मिलने का बहाना बनाते हुए जांच नहीं होने दी गई।

कुमारी सैलजा ने कहा कि जब प्रदेश सरकार इस तरीके से मामले को दबाना चाहती है तो फिर इसका दूध का दूध और पानी का पानी सिर्फ हाई कोर्ट के जस्टिस की अध्यक्षता में होने वाली जांच से ही हो सकता है।