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हिंदू मुस्लिम एकता के पक्षधर थे महाराजा सूरजमल : डॉक्टर ढींडसा

महाराजा सूरजमल के बलिदान दिवस पर  जाट धर्मशाला में सम्मान समारोह का आयोजन

 
हिंदू मुस्लिम एकता के पक्षधर थे महाराजा सूरजमल : डॉक्टर ढींडसा

सिरसा महाराजा सूरजमल के बलिदान दिवस पर आज  जाट धर्मशाला में सम्मान समारोह का आयोजन सुबह किया गया । जिसमें जाट समाज के उन लोगों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया जिन्होंने समाज के लिए उल्लेखनीय कार्य किए है।

Honor ceremony organized in Jat Dharamshala on the martyrdom day of Maharaja Surajmal

इससे पूर्व बरनाला रोड़ स्थित महाराजा सूरजमल चौक का विधिवत शिलान्यास किया गया  ।  इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि - आदित्य देवीलाल, चेयरमैन हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड तथा इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता 

अंतरराष्ट्रीय ख्याती प्राप्त वैज्ञानिक एवं जेसीडी के महानिदेशक डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा थे।इस कार्यक्रम में अध्यक्षता वरिष्ठ डॉक्टर  डॉ. आरएस सांगवान द्वारा की गई एवं विशिष्ट अतिथि पूर्व आईजी सीआर कास्वां थे। इस अवसर पर जेसीडी विद्यापीठ के जनसंपर्क निदेशक प्राचार्य डॉक्टर जय प्रकाश,संस्था के प्रधान डा० राजेंद्र कड़वासरा, महा सचिव:एडवोकेट हनुमान गोदारा महिला प्रधान :बिमला सीवर, संरक्षक -  लालचंद गोदारा, विशेष सहयोगी: महेंद्र घणघस,सुरजीत जी भादू के इलावा अन्य समाज के गण मान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता  डॉक्टर ढींडसा ने अपने संबोधन में कहा कि महाराजा सूरजमल या सूजान सिंह  का जन्म 13 फरवरी 1707 को राजस्थान के भरतपुर में हुआ था। 25 दिसम्बर 1763 को महाराजा सूरजमल जी वीरगति को प्राप्त हुए थे। वे  राजस्थान के भरतपुर के हिन्दू जाट राजा थे । उनका शासन जिन क्षेत्रों में था वे वर्तमान समय में भारत की राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश के आगरा, अलीगढ़, फ़िरोज़ाबाद ज़िला,  एटा,जिला ; राजस्थान के भरतपुर, धौलपुर जिला ; हरियाणा का गुरुग्राम, रोहतक, झज्जर, फरीदाबाद,  रेवाड़ी, मेवात जिलों के अन्तर्गत हैं। राजा सूरज मल में वीरता, धीरता, गम्भीरता, उदारता, सतर्कता, दूरदर्शिता, सूझबूझ, चातुर्य और राजमर्मज्ञता का सुखद संगम सुशोभित था। मेल-मिलाप और सह-अस्तित्व तथा समावेशी सोच को आत्मसात करने वाली भारतीयता के वे सच्चे प्रतीक थे। राजा सूरज मल के समकालीन एक इतिहासकार ने उन्हें 'जाटों का प्लेटों' कहा है। इसी तरह एक आधुनिक इतिहासकार ने उनकी स्प्ष्ट दृष्टि और बुद्धिमत्ता को देखने हुए उनकी तुलना ओडिसस से की है।