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योग से इंद्रियों और मन को नियंत्रण कर राम को अपने भीतर प्रकट करें: रघुबीर महाराज

 
योग से इंद्रियों और मन को नियंत्रण कर राम को अपने भीतर प्रकट करें: रघुबीर महाराज

सिरसा। अखिल भारतीय श्री राम मुलख दयाल योग प्रचार समिति के प्रधान योगाचार्य व पदैन संचालक योग गुरु रघुबीर महाराज ने दिव्य योग साधना मंदिर कोटली में मासांत हवन व सत्संग के सुअवसर पर उपस्थित संगत से अपने संबोधन में फरमाया कि तन में है मन, मन में है राम। जब मनुष्य के शरीर का विश्लेषण किया जाए तो अनुभव होता है मनुष्य के तन में है मन और मन में है राम। परंतु मनोविज्ञान के महान पंडित फ्रायड इस सूत्र से बिल्कुल सहमत नहीं है। वे फरमाते हंै कि मैंने मनुष्य के मन को बहुत टटोला है। इसमें मुझे भी राम नजर नहीं आते। इसके विपरित मन में अहंकार है, काम है और लोभ है।

फ्रायड आगे फरमाते हंै कि भारतीय संत योगी, महापुरुष झूठ बोलते हैं। उनके विचार निराधार हंै। कलयुग के अवतार योगेश्वर श्री राम मुलख दयाल महाराज व गुरमत के अनुसार वह अपनी जगह सही है। आम मनुष्य तीन अवस्थाओं में जीता है। जागृत, निंद्रा व स्वपन। इन तीन अवस्थाओं में तो अहंकार, लोभ और काम ही पाया जाता है, लेकिन चौथी अवस्था जिसे लुरिया अवस्था कहते हंै, उसमें मनुष्य के मन में राम को पाया जाता है। रघुबीर महाराज ने आगे फरमाया कि जब उत्तम सााक अपनी इंद्रियों और चंचल मन को नियंत्रण कर लेता है, तब मनुष्य के मन में राम प्रकट हो जाता है। योग साधना द्वारा राम को पाना ही मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य है। फ्रायड इस सिद्धांत को नहीं समझ पाया।

योग विज्ञान के अनुसार योग से इंद्रियों और मन को नियंत्रण कर राम को अपने भीतर प्रकट करें और अपना जीवन सफल बनाएं। इस मौके पर पृथ्वी सिंह बैनीवाल, विष्णु शर्मा, मा. हनीष सुचान, लछमन योगाचार्य फूलकां, अरूण चौधरी, खेम चंद मेहता, दामोदर फूलकां, रोहताश खाई शेरगढ़, रामसकल यादव, राज चावला, फूल रानी, पूनम सहित अन्य श्रद्धालु उपस्थित थे।