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मनुष्य के बंधन व मोक्ष का कारण मन है: रघुबीर महाराज

 
मनुष्य के बंधन व मोक्ष का कारण मन है: रघुबीर महाराज
सिरसा। अखिल भारतीय राम मुलख दयाल योग प्रचार समिति के प्रधान योगाचार्य व पदैन संचालक योग गुरु रघुबीर महाराज ने मासांत सत्संग के सुअवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को कोटली दिव्य योग साधना मंदिर में फरमाया कि मन एवं मनुष्यणाम कारणं बंध मोक्षम, यह सत्य है, मन मनुष्य के बंधन व मोक्ष का कारण है। यदि मन संसार की ओर व बाहर की ओर दौड़ता है तब मनुष्य को जन्म मरण के चक्कर में फंसाता है। मन का भाव पानी जैसा है। जैसे पानी सदैव नीचे की ओर जाता है, वैसे ही मनुष्य का मन अपने आप बुराई की ओर जाता है। मन को किसी प्रेरणा की जरूरत नहीं है। इस प्रकार मनुष्य कर्म बंधन में फंस जाता है, लेकिन उसी पानी की ओर चढ़ाने के लिए पूरे प्रेशर की जरूरत पड़ती है। संसार में पानी को उपर चढ़ाने के लिए मोटर की आवश्यकता  होती है। बिना मोटर के पानी उपर नहीं जा सकता। इसी प्रकार मन को भगवान में, ईश्वर में लगाने के लिए गुरु मंत्र की आवश्यकता पड़ती है। बिना गुरु मंत्र के मन ईश्वर में नहीं लग सकता। जब तक ईश्वर में मन नहीं लगता, मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती। रघुबीर महाराज ने आगे फरमाया कि मन को परमात्मा में लगाना आसान नहीं है। मनुष्य का मन बहुत चंचल है। जैसे वायु को वश में करना बहुत मुश्किल है, वैसे ही मन को वश में करना बड़ा कठिन है। गुरु कृपा से जो मन को वश में करता है, वही मोक्ष को पाता है। दास ने इस संबंध में योग योगेश्वर प्रभुराम मुल्ख दयाल महाराज की प्रेरणा से कुछ लाइनें मन बड़ा चंचल है, इसे ध्यान योग से नियंत्रण में लाएं। रघुबीर नियंत्रण  में कर, लख खुशियां लख पातशाईयां पाएं। इस मौके पर पृथ्वी सिंह बैनीवाल, मा. हनीष सुचान, अरूण चौधरी, सुरजीत व प्रवीण आदमपुर, खेमचंद मेहता, रामसकल यादव, शशिकांत, दयाराम, राज चावला, अनीता, फूल रानी व सुशीला उपस्थित थे।