विधायक शीशपाल केहरवाला ने सदन में उठाए अनेक महत्वपूर्ण मुद्दे
सिरसा। कालांवाली के विधायक शीशपाल केहरवाला ने हरियाणा विधानसभा में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया। विधानसभा में स्पीकर से मुखातिब होते हुए विधायक शीशपाल केहरवाला ने कहा कि घग्घर से जब भी नए चैनल निकाले जाने की बात कही जाती है तब तब यही कहा जाता है कि घग्घर में इसके लिए पर्याप्त पानी नहीं है, मगर पिछले दिनों घग्घर में आई बाढ़ के कारण करोड़ों का नुकसान हुआ और उसकी एवज में ही प्रभावित लोगों को करोड़ों का ही मुआवजा राशि आवंटित कही जा रही है।
यदि घग्घर से नए चैनल्स निकाल दिए जाएं तो न तो बाढ़ की विभिषिका झेलनी पड़ेगी और किसानों को भी उनके खेतों में समुचित पानी मिल सकेगा। विधायक ने इसी कड़ी में अपने हलके से गुजरने वाली घग्घर के समीपवर्ती गांवों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में विकसित भारत संकल्प रैलियां निकाली जा रही हैं जो आमजन के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं।
विधायक केहरवाला ने कहा कि उपमंडल स्तर पर जब भी ये यात्राएं गांवों से होकर गुजरती हैं तो उपमंडलाधीश इन यात्राओं की व्यवस्था में जुटते हैं जबकि उपमंडल कार्यालय में उनसे जुड़े लोगों को निराश ही वहां से लौटना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि बेशक भाजपा नेता ऐसी यात्राएं निकालें मगर उनसे आमजन को किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो, इसका विशेष रूप से ख्याल रखा जाना चाहिए। उन्होंने नरमा उत्पादकों की पीड़ा को उजागर करते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि वे अपनी नीतियों से 2022 तक किसानों की आय को दोगुणा करेंगे मगर वर्ष 2013-14 के दौरान जो नरमा 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक मंडी में बिकता था, आज वही नरमा 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल से कम दामों पर किसान बेचने पर विवश है।
उन्होंने कहा कि युवा भी कभी सीईटी के जरिए तो कभी पीजीटी के रूप में रोजगार पाने के लिए सडक़ों पर प्रदर्शन को मजबूर हैं मगर सरकार उनके प्रति पूरी तरह उदासीन है।
विधायक शीशपाल केहरवाला ने कहा कि सरकार हरियाणा के मीडियाकर्मियों से भी भेदभाव करने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि जिस परिवार में यदि पति पत्नी दोनों पत्रकार हैं तो उनमें से केवल एक को ही पेंशन देने का प्रावधान किया गया है जबकि किसी पत्रकार के निधन पर उनकी पत्नी को मिलने वाली पेंशन को भी आधा किया गया है।
इतना ही नहीं किसी पत्रकार के खिलाफ यदि कोई केस दर्ज होता है तो उसकी पेंशन बंद करने का तुरंत प्रावधान किया गया है जो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी केस में जब तक वह दोषी सिद्ध नहीं होता तब तक उसकी पेंशन बंद न की जाए।