उत्तर भारत के सबसे बड़े एमएसजी नेचुरोपैथी सेंटर योग ध्यान एवं षट्कर्म का शुभारंभ
सिरसा। अब मरीज बिना दवा के प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से अपना इलाज करा सकेंगे। इसके लिए उत्तर भारत के सबसे बड़े अस्पताल एमएसजी नेचुरोपैथी सेंटर योग ध्यान एवं षट्कर्म का शुभारंभ शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल, सिरसा की तीसरी मंजिल पर किया गया है, जिसकी शुरूआत डेरा सच्चा सौदा के चेयरमैन डा. पीआर नैन इन्सां व प्रबंधन समिति के सदस्यों, अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों और कर्मचारियों ने धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा का नारा व प्रार्थना का भजन बोलकर की।
आपको बता दें कि इससे पहले शाह सतनाम जी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में मरीजों को एलोपैथिक और आयुर्वेदिक पद्धति की सुविधाएं दी जा रही हैं। प्राकृतिक चिकित्सा के शुरू होने से अब एक ही छत के नीचे तीन पद्धतियों से इलाज संभव हो गया है।
इस मौके पर डेरा सच्चा सौदा के चेयरमैन डा. पीआर नैन इन्सां ने कहा कि पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां और डेरा सच्चा सौदा का एक ही उद्देश्य है कि मरीजों को सस्ती दरों पर इलाज मिले। उन्होंने कहा कि चाहे इलाज किसी भी पद्धति से हो, लेकिन रोगी का तंदुरुस्त होना हमारे लिए महत्वपूर्ण है। श्री नैन ने कहा कि पूज्य गुरु जी ने हमें इलाज के लिए एक ही छत के नीचे तीनों पद्धतियों के अस्पताल की सौगात दी है। उन्होंने कहा कि यह अस्पताल दुनिया में मील का पत्थर साबित होगा।
डॉ. जितेंद्र इन्सां ने कहा कि नेचुरोपैथी सेंटर योग ध्यान एवं षट्कर्म उत्तर भारत का सबसे बड़ा प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र है। यहां बिना दवा के असाध्य रोगों का इलाज किया जाएगा। पहले लोगों को इलाज कराने के लिए दक्षिण क्षेत्र में जाना पड़ता था। अब इस सेंटर में ध्यान, योग और खान-पान में बदलाव से बीमारियों का इलाज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मानव शरीर पांच तत्वों जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि, आकाश से बना है, इसलिए इस सेंटर में मरीजों का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से किया जाएगा। इस केंद्र में मरीजों का इलाज हाइड्रो कोलोन थेरेपी के साथ-साथ पंचकर्म की प्राचीन पद्धति सहित उन्नत प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस केन्द्र में प्राकृतिक चिकित्सा की सभी तकनीकें एक ही स्थान पर मरीजों को उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा के संबंध में लोगों की धारणा है कि इससे इलाज में लंबा समय लगता है, लेकिन यह समझने की जरूरत है कि इस पद्धति से छोटी-मोटी बीमारियों को तुरंत ठीक किया जा सकता है। पुरानी और बड़ी बीमारियों में जीवन भर एलोपैथी दवाएँ खानी पड़ती है, जिनके काफी दुष्प्रभाव होते हैं, इसके विपरीत प्राकृतिक चिकित्सा में बिना किसी दुष्प्रभाव और दवा के 10 से 15 दिनों में इलाज किया जा सकता है। मधुमेह, रक्तचाप, थायराइड जैसे रोगों में एलोपैथिक पद्धति में इन्हें नियंत्रित करने के लिए लगातार दवाइयों का सेवन करना पड़ता है, लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में बताई गई पद्धति के अनुसार खान-पान में परिवर्तन करके इन रोगों को ठीक किया जा सकता है। उन्होंने सेंटर में इलाज पर होने वाले खर्च के बारे में बताते हुए कहा कि इसे तीन चरणों में रखा गया है। सबसे पहली बात तो यह कि इस सेंटर में बेड का कोई चार्ज नहीं होगा, सिर्फ इलाज का ही चार्ज लगेगा। दूसरा उन लोगों के लिए साधारण शुल्क है, जो इलाज के लिए यहां निजी
कमरे चाहते हैं। तीसरा यह कि जो लोग यहां नहीं रह सकते, उनके लिए ऑनलाइन सलाह के तहत घर बैठे इलाज की सुविधा दी गई है। हालांकि इस दौरान उपचार में अधिक समय लग सकता है और अधिक सावधानियों की आवश्यकता भी होगी।