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फिजियोथेरेपी है निष्क्रिय अंगों को क्रियाशील बनाने की एक बेहतर चिकित्सा पद्धति: डॉ. ढींडसा

 
फिजियोथेरेपी है निष्क्रिय अंगों को क्रियाशील बनाने की एक बेहतर चिकित्सा पद्धति: डॉ. ढींडसा 

सिरसा जिला के डींग रोड़ स्थित नव निर्मित फिजियोथेरेपी सेंटर मिशन वैल और  गुरु नानक हैंडलूम व टेक्सटाइल शोरूम का उद्घाटन जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉक्टर कुलदीप सिंह ढींडसा द्वारा फीता काटकर  किया गया । इस अवसर पर उनके साथ जेसीडी विद्यापीठ के जन संपर्क निदेशक प्राचार्य डॉ जय प्रकाश, सिरसा जिला की महिला अध्यक्षा कृष्णा फोगाट, जगदेव फोगाट , डॉक्टर योगेश सहारण , डॉक्टर अंकित सहारण , डॉक्टर राजेश गोदारा , डॉक्टर वर्षा, धर्मपाल सहारण , राजबीर सहारण , सुमन सहारण राजपुरा साहनी, रामकुमार रूंडला,  डॉक्टर निरंजन,  नरेंद्र, राम  एवं अन्य गण मान्य लोग  मौजूद रहे। 

  इस अवसर पर डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि मौजूदा दौर में ज्यादातर लोग जहां जरूरत के अनुसार अपने शरीर से श्रम नहीं कर पा रहे हैं। वहीं अधिक देर तक कंप्यूटर व मोबाइल पर बैठकर काम करने से उनके हड्डियों और मांसपेशियों में भी खिंचाव आना शुरू हो जाता है। ऐसे तमाम तरह के शारीरिक समस्याओं के लिए फिजियोथेरेपी पद्धति काफी कारगर और लाभकारी पद्धति है। उन्होंने कहा की मौजूदा समय में अधिकांश लोग दवाइयों से बचने के लिए अपना रुख फिजियोथेरेपी की ओर कर रहे है। यह पद्धति न केवल कम खर्चीला है, बल्कि इस पद्धति का कोई दुष्प्रभाव भी नही होता है। डॉक्टर ढींडसा  ने कहा की फिजियोथेरेपी इंसान के शारीरिक गतिविधियों से जुड़ी एक बेहतर चिकित्सा पद्धति है जो इंसानों के निष्क्रिय हो चुके अंगों को भी क्रियाशील बनाने का काम करती है। 

डॉक्टर ढींडसा ने कहा कि फिजियोथेरेपी, जिसे भौतिक चिकित्सा के रूप में भी जाना जाता है, एक संबद्ध स्वास्थ्य पेशा है, जो रोगियों को उनकी शारीरिक गतिशीलता, शक्ति और कार्य को बहाल करने, बनाए रखने और बढ़ाने में मदद करने के लिए जैव यांत्रिकी , मैनुअल थेरेपी, व्यायाम चिकित्सा और इलेक्ट्रोथेरेपी का उपयोग करता है। फिजिकल थेरेपी की शुरुआत वर्ष 1813 में हुई थी, जब फिजियोथेरेपी के जनक पेर हेनरिक लिंग ने रॉयल सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ जिमनास्टिक्स की स्थापना की थी।  भौतिक चिकित्सा का उद्देश्य दर्द से राहत देना, आपको बेहतर चलने में मदद करना या कमजोर मांसपेशियों को मजबूत करना है। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।