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संकटमोचन के नाम से मशहूर प्राध्यापक धर्मेंद्र शास्त्री को स्टूडेंट ने दी अनोखी विदाई

बच्चों ने स्किट के माध्यम से उनके महान व्यक्तित्व को उकेरा तो नम् हो गई सबकी आंखें
 
Students gave a unique farewell to professor Dharmendra Shastri, famous as Sankatmochan.

Mhara Hariyana News, Sirsa
सिरसा। शिक्षक समाज की धुरी तथा राष्ट्र निर्माता होते हैं। किंतु मा. धर्मेंद्र शास्त्री स्कूली बच्चों के लिए शिक्षा के साथ-साथ उनके हर दुख-सुख में भी सांझीदार रहे। बच्चों में संकटमोचन के नाम से मशहूर मा. धर्मेंद्र शास्त्री शिक्षा विभाग में 31 वर्ष की सराहनीय सेवाओं के बाद सेवानिवृत हो गए। फूलकां के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आयोजित विदाई समारोह में स्कूली बच्चों ने उनके जीवन के हर पहलु को टच करती ऐसी स्किट पेश की, जिसे सुनकर मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गई।


स्कूल प्रधानाचार्य देवकी नंदन कौशिक ने बताया कि शिक्षक अपने सेवाकाल के दौरान हर संभव प्रयास विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा व संस्कारों द्वारा उन्नति की ओर ले जाना चाहता है। विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास ही प्रत्येक शिक्षक का मुख्य ध्येय होता है। उन्होंने बताया कि मा. धर्मेंद्र शास्त्री ने अप्रैल 1992 में बरासरी(सिरसा) गांव में राउवि में संस्कृत अध्यापक पद पर ज्वाइन किया था। वहां इन्होंने 11 वर्षों तक अपनी सेवाएं दी। इसके बाद 2004 से 2006 तक सिरसा के ही राउवि खैरेका में नियुक्त रहे। इसके बाद इन्होंने रावमावि नेजाडेला कलां में 11 वर्ष अपनी सेवाएं दी। वर्ष 2017 से  22 नवंबर 2023 तक रावमावि फूलकां में बतौर संस्कृत अध्यापक सेवा दी। गत 23 नवंबर को लंबे इंतजार के बाद पदोन्नति की लिस्ट आई जिसके अनुसार मा. धर्मेंद्र शास्त्री ने बतौर संस्कृत प्रध्यापक रावमावि खैरपुर में ज्वाइन कर लिया। फूलकां स्कूल में आयोजित विदाई कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। वहीं केमिस्ट्री प्राध्यापिका वंदना खटकड़ ने मंच संचालन कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस दौरान संस्कृत अध्यापक संघ के जिला प्रधान हरिओम भारद्वाज, सुरेन्द्र शास्त्री व सत्यनारायण शास्त्री जी ने मा. धर्मेंद्र शास्त्री को स्मृति चिह्न तथा शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। वहीं विद्यालय स्टाफ  ने उनको अंगूठी, शॉल, प्रशस्ति पत्र, गिफ्ट्स देकर सम्मानित किया। स्कूली बच्चों के अभिभावकों ने भी गिफ्ट्स देकर उनका सम्मान बढ़ाया। इस अवसर पर वरिष्ठ प्राध्यापिका वंदना खटकड़, पार्वती देवी, मंजू शर्मा, परवीन रानी, पूनम रोहिला, कंचन ग्रोवर, प्राध्यापक सतबीर सिंह, प्राध्यापक तेजवीर , प्राध्यापक देव विरेंद्र, शिक्षक रमेश कुमार, जगदीश प्रसाद, दयाल चंद, शिक्षिका हरप्रीत कौर, स्वाति गर्ग, उषा रानी, केहर सिंह तथा प्राइमरी स्कूल स्टाफ  शुगन चंद, राजाराम, पालाराम, संदीप, गुरदेव इत्यादि भी मौजूद रहे।
 

सोशल मीडिया पर सैल्फी विद माइ स्टूडेंट मुहिम लाई रंग
प्राध्यापक धर्मेंद्र शास्त्री ने 6 वर्ष का समय फूलका स्कूल में बिताया। इस दौरान उन्होंने स्कूली बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर सैल्फी विद माई स्टूडेंट मुहिम चलाई, जिसमें स्कूली बच्चे के जन्मदिन पर अपनी एफबी पर स्टूडेंट के साथ सैल्फी डाली जाती थी, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया। संस्कृत प्रवक्ता धर्मेंद्र पाल शास्त्री ने अपने 3 दशक के सेवाकाल में विद्यार्थियों को शिक्षा, संस्कार, समाज सेवा, खेल, सांस्कृतिक गतिविधियों व पर्यावरण सुरक्षा के लिए प्रेरित किया, वहीं निजी खर्च पर बच्चों को टूर पर ले जाना, खासकर बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किताब, ड्रेस आदि की मदद करना तथा मिड डे मील में बच्चों को अपने खर्च पर देशी घी का हलवा खिलाना, अभिभावकों को बच्चों को कॉलेज शिक्षा में दाखिला करवाने के लिए प्रेरित करना आदि कार्य किए। खास बात यह भी थी कि प्राध्यापक धर्मेंद्र शास्त्री स्कूल में पढ़ने वाली बेटियों को उनके जन्मदिन पर विशेष तौर पर सम्मानित करते थे।