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सेनानी की ज़मीन की तरफ़ ना देखे सरकार, पहरवार तो होगा याद - जयहिंद

 
सेनानी की ज़मीन की तरफ़ ना देखे सरकार, पहरवार तो होगा याद - जयहिंद

Mhara Hariyana News, झज्जर: नवीन जयहिंद सोमवार सुबह साढ़े दस बजे श्रीराम शर्मा पार्क पहुंचे। इस मौके पर पार्क में समाज के प्रतिष्ठित लोग और 36 बिरादरी के लोग मौजूद रहे। वीन जयहिन्द रविवार को भी स्वंत्रता सेनानी पण्डित श्री राम शर्मा पार्क नीलाम हो रही जमीन के विरोध में पहुंचे थे। 

इस मौके पर जयहिंद ने कहा कि आज सुबह ही  सरकार की तरफ़ से एक नोटिस आया है जिसमें इस नीलामी को स्थगित करने का कहा गया है। यह हमारी लड़ाई की पहली जीत है । जब तक सरकार इस नीलामी को पूर्ण तरह रद्द नहीं कर देती और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं करती है तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।

जयहिंद ने कहा कि पण्डित श्री राम एक स्वतंत्रता सेनानी थे, आंदोलनकारी थे, 10 साल तक जेल में रह कर आ चुके है। सरकार स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों का अपमान कर रही है। 

सेनानी की ज़मीन की तरफ़ ना देखे सरकार, पहरवार तो होगा याद - जयहिंद

उन्होंने आगे कहा कि इस पूरे घोटाला में शामिल अधिकारियों और नेताओं को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए और सरकार को पूरी जमीन श्रीराम शर्मा पार्क के नाम कर देनी चाहिए। 

साथ ही जयहिंद ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो वह जनता के साथ फिर से सड़कों पर आएंगे और जिस तरह से इस नीलामी को उन्होंने रुकवाया है जमीन को भी स्वतंत्रता सेनानी पं श्रीराम शर्मा पार्क के नाम करवाएंगे ।

जयहिंद ने कहा कि रातों-रात विज्ञापन उर्दू के अखबार में देना और उसके एक दिन बाद नीलामी करवाना अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़ा करता है। 

पार्क की तोड़ी गई दीवार पर भी नवीन जयहिंद ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि प्रशासन को पता तक नहीं चलता और पार्क की दीवार तोड़ दी जाती है।  ये कैसे प्रशासन है । रात में एक पार्क की दीवार तोड़ दी जाती है और प्रशासन को खबर तक नहीं होती है।

जयहिंद ने कहा वे लड्डू और लठ्ठ दोनों खाने को तैयार है।  एक दर्जन केस पहले से ही चल रहे है अब समाज के लिए एक केस और कर दे सरकार।

जयहिंद ने साथ ही मांग की कि सरकार स्वतंत्रता सेनानी पण्डित श्री राम शर्मा की मूर्ती की स्थापना करे और मंच का पुनर्निर्माण करवाए। हर साल रामलीला होती है इस पार्क में लेकिन सरकार ने भगवान श्री रामचंद्र को भी नहीं बक्शा। पार्क, स्कूल, कॉलेज और अस्पताल किसी जाति-बिरादरी के नहीं बल्कि 36 बिरादरी के होते है। अगर सरकार के पास पैसे नहीं है तो मुख्यमंत्री कटोरा नहीं  तो टोकरा लेकर निकले पैसे जनता देदेगी।