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नेत्रदानी व शरीरदानी मनजीत कौर इन्सां को नामचर्चा कर दी भावभीनी श्रद्धांजलि

परिजनों ने 7 जरूरतमंद परिवारों को राशन बांटकर सचखंडवासी को दी सच्ची श्रद्धांजलि
 
नेत्रदानी व शरीरदानी मनजीत कौर इन्सां को नामचर्चा कर दी भावभीनी श्रद्धांजलि

सिरसा। डेरा सच्चा सौदा की अनथक सेवादार नेत्रदानी व शरीरदानी मनजीत कौर इन्सां धर्मपत्नी जसपाल इन्सां के श्रद्धांजलि स्वरूप मंगलवार को शाह सतनाम जी मार्ग स्थित वारिस रिजोर्ट में निमित नामचर्चा का आयोजन किया गया।

नेत्रदानी व शरीरदानी मनजीत कौर इन्सां को नामचर्चा कर दी भावभीनी श्रद्धांजलि

श्रद्धांजलि नामचर्चा में डेरा सच्चा सौदा की विभिन्न समितियों के सदस्यों, हरियाणा-पंजाब के 85 मैंबर सेवादार बहन भाईयों के अलावा शहर की विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व राजनीतिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों और ब्लॉक कल्याण नगर, सिरसा, श्री जलालआणा साहिब, रोड़ी, शाह सतनाम जी नगर सहित आस-पास के ब्लॉकों से काफी संख्या में साध-संगत ने पहुंचकर सचखंडवासी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

नेत्रदानी व शरीरदानी मनजीत कौर इन्सां को नामचर्चा कर दी भावभीनी श्रद्धांजलि

वहीं इस दौरान परिजनों की ओर से शरीरदानी व नेत्रदानी मनजीत कौर इन्सां को सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए 7 अति जरूरतमंद परिवारों को राशन वितरित किया। इसके अलावा ब्लॉक कल्याण नगर की ओर से सचखंडवासी के परिजनों को नेत्रदान व शरीरदान मुहिम में योगदान के लिए ब्लॉक की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। मंगलवार को दोपहर 12 बजे ब्लॉक कल्याण नगर के जोन नंबर 2 के प्रेमी सेवक किशोरी लाल इन्सां ने धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का इलाही नारा लगाकर श्रद्धांजलि नामचर्चा की शुरुआत की।

नेत्रदानी व शरीरदानी मनजीत कौर इन्सां को नामचर्चा कर दी भावभीनी श्रद्धांजलि

इसके पश्चात कविराजों ने अनेक चेतावनी प्रथाए भजनवाणी के माध्यम से मनुष्य जीवन की सार्थकता को बयान किया। कविराजों ने बंदे जे नाम ध्याए छड़ के काल दे धंधेया नूं...,  क्या मुनियाद तेरी है प्राणी- दो दिन की है जिंदगानी..., चल दिए ओड़ निभा के सतगुरु के प्यारे..., दुनिया सराएं में ना दिल को लगाना..., आया दो घडिय़ा रहण नूं घर ही बणा लिया..., घटती घटती घट जाएगी तेरी रे उमरिया... आदि भजन बोले। इनके पश्चात पवित्र ग्रंथ में से जीएसएम सेवादार पवन इन्सां ने अनमोल वचन पढ़कर सुनाए गए, जिसे साध-संगत ने एकाग्रचित होकर श्रवण किया।

इस अवसर पर सचखंडवासी के पति जसपाल इन्सां, पुत्र रविंद्र रियाज इन्सां, पुत्रवधु सुमन रियाज इन्सां, बेटी परविंद्र इन्सां के अलावा भाजपा नेता अमन चौपड़ा, नितिन महेंद्रू, वरिष्ठ कांग्रेस नेता नवीन केडिय़ा, युवा कांग्रेस नेता राजन मैहता, सुनीता सेतिया, शहर के अलग-अलग संस्थानों के मीडिया कर्मियों के अलावा सच कहँू प्रबंधन समिति के सदस्यों, विभिन्न ब्लॉकों के जिम्मेवार बहन-भाईयों के अलावा काफी संख्या में साध-संगत मौजूद रही। इसके अलावा विभिन्न राजनीतिक पार्टियों व सामाजिक संस्थाओं की ओर से शोक संदेश भी भेजे गए।


नामचर्चा कार्यक्रम के दौरान सचखंडवासी मनजीत कौर इन्सां को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए 85 मैंबर अमरजीत इन्सां ने कहा कि बहन मनजीत कौर इन्सां हमेशा मानवता भलाई कार्यों में आगे रहते थी। हालांकि दुख की बात है कि वह छोटी उम्र में सचखंड जा विराजे है।


लेकिन इस उम्र में भी वो पूर्ण सतगुरु से जुड़कर इस मनुखी जीवन का पूरा फायदा उठाकर इस संसार से विदा हुई है और अपनी बाजी को जीतकर गई है। बहन मनजीत कौर इन्सां का ससुराल परिवार के साथ-साथ मायका परिवार भी हमेशा मानवता भलाई कार्यों में बढ-चढ़कर भाग लेता है।


85 मैंबर राकेश बजाज इन्सां ने अपने संबोंधन के दौरान सचखंडवासी मनजीत कौर इन्सां को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि जो इस संसार में आता है उसे एक दिन इस दुनिया से रुखस्त जरूर होना होता है। लेकिन इस संसार में आने और जाने में फर्क है।

बहन मनजीत कौर इन्सां ने इस मनुखी जीवन में पूर्ण सतगुरु का दर पकड़कर अपना जीवन सफल बनाया है। इतना ही उन्हें जब भी कोई भी सेवा का संदेश मिलता था तो वे सबसे पहले तैयार मिलते थे। इस संसार से रुखस्त लेते हुए भी वो नेत्रदान और शरीरदान कर महान सेवा कमा गई है। ऐसी रूह धन्य कहनें के काबिल है।
सच कहूँ प्रबंधन समिति के सदस्य पवन इन्सां ने सचखंडवासी मनजीत कौर इन्सां को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मौत एक अटल सच्चाई है, जो इस संसार में आता है उसे एक न एक दिन जाना जरूर होता है।

लेकिन जाने-जाने (संसार से विदा लेना) में फर्क होता है। एक वो होता है जो काल की जंजीरों में जकड़ कर जाता है और एक वो होता है जो पूर्ण गुरु-मुर्शिद से जुड़कर सतगुरु की गोद में बैठकर इस संसार से विदा होता है। वह सीधा निजधाम जाता है। यह साक्षात देखने को भी मिला जब बहन मनजीत कौर इन्सां का शरीरदान हो रहा था।

उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं बल्कि एक शुकून था। यह एक भगत और पूर्ण गुरु के शिष्य की निशानी होती है। हालांकि बहन के शरीर छोड़े हुए 10 घंटे से अधिक का समय हो चुका था। जब एक पूर्ण गुरु का शिषय प्राण त्यागता है तो वह ऐसे होता है जैसे वह कपड़ा बदलता है। इनका पूरा परिवार सेवा में जुटा हुआ है। उन्होंने कहा कि हम सभी को भी बहन मनजीत कौर इन्सां की तरह सच के मार्ग पर दृढ़ता के साथ अडिग होकर चलना चाहिए, यहीं बहन के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है।