टीकाकरण ने बचाई 60 फीसदी मरीजों की जान, अस्पताल से छुट्टी के बाद 6.5 फीसदी कोरोना मरीजों की मौत
Mhara Hariyana News, New Delhi
अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद करीब 6.5 फीसदी कोरोना मरीजों की मौत हुई। संक्रमण की चपेट में आने के बाद जिन लोगों को गंभीर हालत में भर्ती किया गया उनमें संक्रमण का असर लंबे समय तक देखने को मिला। अस्पताल से छुट्टी मिलने के एक वर्ष तक पुरुष रोगियों में सबसे ज्यादा जान का जोखिम रहा। हालांकि राहत यह भी है कि अस्पताल से घर जाने के बाद जिन लोगों ने कोरोना रोधी टीका की खुराक ली, उनमें 60 फीसदी बचाव भी हुआ।
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में सोमवार को प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि कोरोना के लिए गठित नेशनल क्लीनिकल रजिस्ट्री के तहत देश के 31 अस्पतालों में भर्ती मरीजों पर यह अध्ययन किया गया है। इसके लिए कुल 14,419 मरीजों का चयन किया, जिनके अस्पताल से घर जाने के बाद शोधकर्ताओं की टीम ने कम से कम एक बार फोन पर फॉलोअप लिया। पूछताछ में पता चला कि अस्पताल से छुट्टी होने के एक वर्ष में 942 (6.5%) लोगों की मौत हुई। इन रोगियों को संक्रमित होने से पहले सह बीमारियां भी थीं। शोधकर्ताओं ने इस साल फरवरी तक मरीजों से फालॉअप लिया।
40 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में जोखिम अधिक
आईसीएमआर के अनुसार, अध्ययन में यह भी पता चला है कि अस्पताल से छुट्टी के एक साल के भीतर उन पुरुष रोगियों में जान का जोखिम अधिक रहा जिनकी आयु 40 वर्ष से अधिक थी और वह सह-रुग्णताओं से ग्रस्त थे। इसी विश्लेषण में यह भी पता चला कि अस्पताल से छुट्टी के बाद जिन लोगों ने कोरोना का टीका लिया उनमें जान का जोखिम 60% तक कम देखने को मिला है। 18-45 वर्ष की आयु के लोगों में भी इसी तरह के परिणाम देखे गए।
इन पर भी अध्ययन जारी
18 से 45 वर्ष के लोगों में थ्रोम्बोटिक घटनाओं पर कोरोना टीकाकरण का प्रभाव पता लगाने के लिए अध्ययन किया जा रहा है, जिसे 2022 में शुरू किया गया। 18-45 वर्ष के लोगों में अचानक होने वाली मौतों से जुड़े कारकों का पता लगाने के लिए कई अस्पतालों को मिलाकर केस-नियंत्रण अध्ययन जारी है।