logo

मोची का बेटा राष्ट्रपति, घर पर शराबी करते थे पेशाब, ब्राजील में चमका फिदेल कास्त्रो का ‘हीरा’

Cobbler's son President, used to drink at home, Fidel Castro's 'diamond' shines in Brazil

 
Cobbler's son President, used to drink at home, Fidel Castro's 'diamond' shines in Brazil
WhatsApp Group Join Now

Mhara Hariyana News:

पहले करप्शन मामले में जेल उसके बाद उसी देश का राष्ट्रपति. सुनने में थोड़ा अजीब लगता है. कोई देश कैसे किसी ऐसे नेता को चुन सकता है जिस पर पहले से ही मुकदमा चल रहा हो. हालांकि विश्व के चौथे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश ब्राजील वासियों ने लूला डा सिल्वा को अपना नया मुखिया चुन लिया है. लुइज़ इंसियो लूला दा सिल्वा की कहानी भी काफी रोचक है. वो इससे पहले भी देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं. दक्षिणपंथी बोलसोनारो को 49.1 प्रतिशत मत मिले जबकि विजयी नेता डा सिल्वा को 50.9 मत हासिल हुए. चार दशक पहले क्यूबा क्रांति के जनक फिदेल कास्त्रो ने इसकी भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि तुम नौकरी के लिए नहीं बने हो. राजनीति में कदम रखो.


लूला डा सिल्वा की बायोग्राफी लिखने वाले और उनके दोस्त फर्नांडो मोराइस ने जो किताब में जो लिखा है उसका हर शब्द आपकी आंखें नम कर देगा. कैसे 76 साल का एक शख्स आरोपों के बाद जेल में रहा और अब उसी राष्ट्र का राष्ट्रपति भी बन गया है. वो कहते हैं कि सिल्वा लैटिन अमेरिका के सबसे प्रभावशाली और स्थायी राजनेताओं में से एक हैं. अगर चार दशक पहले डा सिल्वा को फिदेल कास्त्रो ने वो फटकार नहीं लगाई होती तो शायद आज ब्राजील में एक युग का आगाज नहीं हुआ होता. 12 साल पहले ये रिपोर्ट द गार्जियन में पब्लिश हुई थी.

जब पूरी तरह से राजनीति छोड़ने का बनाया मन
1982 में लूला डा सिल्वा साओ पाउलो के गर्वनर चुनाव हार गए थे. इसके बाद उन्होंने राजनीति और चुनाव से बिल्कुल हटने का मन बना लिया था. उनके दोस्त ने कहा कि वो बिल्कुल निराश हो गया था और राजनीति पर फिर कभी न लौटने का फैसला किया. इसके फिदेल ने कड़ी फटकार लगाई. डा सिल्वा क्यूबा की राजधानी हवाना पहुंचे हुए थे. तब उनसे कहा गया था कि राजनीति में वापस लौटो. लूला के इतिहासकार का मानना ​​​​है कि यह उनके 76 वर्षीय जीवन सबसे महत्वपूर्ण पल था. उन्होंने फिदेल कास्त्रो की सलाह को दिल से लिया और फिर राजनीति में बने रहे.

फिदेल कास्त्रो की वो फटकार
इन सबके बीच मोची के बेटे लूला डा सिल्वा ने चार साल बाद फिर राजनीति में कदम रखा. वो पहले मजदूर वर्ग से राष्ट्रपति बनने के लिए सफर शुरू कर चुके थे. हालांकि सिल्वा दो 1994 और 1998 में राष्ट्रपति चुनाव हार गए. लेकिन फिदेल कास्त्रो की फटकार अभी भी उनके कानों में गूंज रही थी. वो राजनीति में डटे रहे और आखिरकार 2002 में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से पहले देश में अपने प्रति एक माहौल बना दिया. इसके बाद वो चुनाव भी जीते और इस दिन एक मोची का बेटा ब्राजील का राष्ट्रपति बन गया था.