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पायलट के खिलाफ आक्रामक हुए गहलोत, बार-बार क्यों कहते हैं युवाओं की नहीं हुई रगड़ाई?

Gehlot became aggressive against the pilot, why does he repeatedly say that the youth did not rub against him?

 
Gehlot became aggressive against the pilot, why does he repeatedly say that the youth did not rub against him?
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Mhara Hariyana News:

राजस्थान का सियासी संकट और गहलोत-पायलट के बीच खींचतान कम होती दिखाई नहीं दे रही है. कांग्रेस अध्यक्ष पद से चुनाव नहीं लड़ने और विधायकों के सामूहिक इस्तीफे के कांड से बाद अशोक गहलोत लगातार आक्रामक अंदाज में दिखाई दे रहे हैं. सोनिया गांधी से माफी मांगकर लौटने के बाद गहलोत ने कई मौकों पर नाम लिए बिना पायलट पर जमकर हमला बोला है. गहलोत का ताजा बयान सोमवार को आया जहां उन्होंने कहा बिना रगड़ाई के युवाओं को सबकुछ मिल गया है, जल्दबाजी जितनी करेंगे, उतनी ठोकर खाते रहेंगे. मालूम हो कि गहलोत अक्सर अपने बयानों में रगड़ाई का जिक्र करते हैं जिसका मतलब होता है मतलब मेहनत करके अनुभव हासिल करना.


गहलोत का अपने बयानों से साफ कहना है कि पार्टी में जो जितनी मेहनत करता है, उसके हिसाब से उसको जिम्मेदारी मिलनी चाहिए. बता दें कि गहलोत ने यह बयान पहली बार नहीं दिया है, इससे पहले भी वह कई मौकों पर युवाओं को नेतृत्व देने पर ऐसे ही बयान दे चुके हैं.

गहलोत हमेशा यह बताने की कोशिश करते रहे हैं कि युवाओं को जल्दी पद मिलने के बजाय वरिष्ठ लोगों को तरजीह दी जानी चाहिए. वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट की लगातार चुप्पी सियासी गलियारों में छाई हुई है.

बीकानेर में कहा- मेरी हुई खूब रगड़ाई
10 अप्रैल 22 को बीकानेर में एनएसयूआई के 52वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम में गहलोत ने कहा था कि राजनीति में रगड़ाई बहुत जरूरी है, जब मैं एनएसयूआई में था, तब मेरी भी खूब रगड़ाई हुई और कई आंदोलनों में भाग लिया और खूब रगड़ाई करवाई जिसके बाद मुझे तीन बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, 3 बार केंद्रीय मंत्री, 3 बार संगठन महासचिव और 3 बार मुख्यमंत्री बनाया गया.

गहलोत ने कहा था कि देश में दो तरह के नेता होते हैं एक तो वो संगठन में रगड़ाई करवाकर आता है और दूसरा जो सीधे महत्वपूर्ण पदों पर पहुंच जाता है.

बता दें कि सचिन पायलट खेमे की बगावत के दौरान 2020 में गहलोत ने पहली बार रगड़ाई शब्द का इस्तेमाल किया था. उस दौरान गहलोत ने कहा था कि ये बिना रगड़ाई हुए ही केंद्रीय मंत्री और पीसीसी चीफ बन गए और अगर रगड़ाई हुई होती तो आज और अच्छा काम करते.

गहलोत के बयान के सियासी मायने
मालूम हो कि अशोक गहलोत दिल्ली से लौटने के बाद लगातार पायलट का नाम लिए बिना हमलावर मोड में है. सियासी जानकारों का कहना है कि गहलोत के पास विधायकों की ताकत है जिसके बूते वह आलाकमान के लिए अब राजस्थान में एक बड़ी पूंजी बन गए हैं. वहीं राजस्थान विधानसभा चुनावों को नजदीक देखते हुए गहलोत से सत्ता लेना आसान काम नहीं होगा.

ऐसे में गहलोत अब आक्रामक अंदाज में दिखाई दे रहे हैं क्योंकि बीते 25 सितंबर को गहलोत गुट के विधायकों ने अपनी मंशा जाहिर करते हुए साफ कर दिया था कि उन्हें राजस्थान में गहलोत के अलावा कोई भी मंजूर है लेकिन सचिन पायलट मंजूर नहीं है. इसके इतर सचिन पायलट की लगातार चुप्पी को भी गहलोत अपने बयानों से तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.