logo

‘गहलोत या पायलट’ कांग्रेस आलाकमान की पसंद कौन? ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के लिए फिलहाल दोनों जरूरी

राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा राज्य में कांग्रेस का सियासी भविष्य तय कर पाएगी या नहीं लेकिन राहुल की नई छवि बनाने में जुटी पार्टी फिलहाल विवाद को तूल न देकर यात्रा को भली भांति संपन्न कराने के लिए प्रयासरत दिख रही है.
 
rahul and ashok gehlot
WhatsApp Group Join Now

Mhara Hariyana News: राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अभी तक मोटे तौर पर निर्विवादित रही है. वहीं कांग्रेस शासित प्रदेश राजस्थान में यात्रा के प्रवेश करने से पहले विवाद की जड़ें मजबूत दिखाई पड़ने लगी हैं. भारत जोड़ो यात्रा से महज 10 दिन पहले सीएम अशोक गहलोत ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को गद्दार कह दिया, जिससे सियासी विवाद चरम पर पहुंच गया है. ऐसे में कांग्रेस के सामने पार्टी में एकजुटता कायम रखना और यात्रा के दौरान विवाद से बचे रहना गंभीर चुनौती बन गई है. ज़ाहिर है राहुल और प्रियंका की पसंद भले ही पायलट हों. लेकिन राहुल गांधी दोनों को महत्वपूर्ण बताकर विवाद को तात्कालिक रूप से टालने का प्रयास कर रहे हैं.


राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा सफल बनाना जरूरी?
कांग्रेस राहुल गांधी की ब्रैडिंग करने में जुटी है, इसलिए पार्टी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी का अध्यक्ष बनाकर परिवारवारवाद के आरोप को खत्म करने का प्रयास किया है. हालांकि कई अन्य मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रही कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाकर उनको नए रूप में पेश करने की तैयारी में जुटी है. कांग्रेस के मंझे हुए दिग्गज नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की तैयारी थी लेकिन उन्होंने बड़ी ही चतुराई से इस पद को अस्वीकार कर दिया. सूबे की सत्ता पर मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए गहलोत ने नई सियासी दांव खेले, जिसका तोड़ कांग्रेस हाईकमान ढ़ूंढ़ नहीं पाई है.

जाहिर है, 25 सितंबर को राजस्थान में आलाकमान द्वारा भेजे गए दो ऑब्जर्वर के खिलाफ 90 से ज्यादा विधायकों के बगावती रवैये ने कांग्रेस के अंदर की कलह को सतह पर ला दिया था. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान अशोक गहलोत पर कार्रवाई तो दूर उल्टा उन तीन नेताओं पर भी कार्रवाई करने से परहेज कर रही है, जो ऑब्जर्वर अजय माकन के विरोध में लगातार आग उगल रहे थे.

गहलोत का पायलट पर सीधा हमला
वहीं हाल के दिनों में खुद अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर सीधा हमला कर और 25 सितंबर की बगावत को जायज करार देकर हाईकमान को चुनौती दे डाली है. ज़ाहिर है अशोक गहलोत ने अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं कि हाईकमान अगर राज्य में सचिन पायलट को थोपेगी तो वह उसके परिणाम के लिए तैयार रहे.

अशोक गहलोत की तल्ख टिप्पणी को भांपते हुए कांग्रेस हाईकमान फिलहाल डिफेंसिव होता दिखाई पड़ रहा है. कांग्रेस हाईकमान के लिए राहुल की भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाना और गुजरात में चुनाव सही तरीके से संपन्न कराना, प्राथमिकताओं में ऊपर है. इसलिए गुजरात के प्रभारी और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और पायलट विवाद को लेकर राहुल सहित पूरी पार्टी सधा हुआ बयान दे रही है.

यात्रा को निर्विवाद रखना कांग्रेस के लिए चुनौती?
गहलोत और पायलट के बीच की जुबानी जंग को शांत करने के लिए राहुल गांधी कूदे जरूर हैं लेकिन जयराम रमेश की ट्विटर पर सफाई से कांग्रेस की प्राथमिकताओं का पता साफगोई से चल जाता है. जयराम रमेश राजस्थान में पार्टी से भारत जोड़ो यात्रा को मजबूत करने पर सभी को ध्यान देने की अपील की है.

ज़ाहिर है कांग्रेस प्रभारी अजय माकन के इस्तीफे के बाद केसी वेणुगोपाल को भेजकर कांग्रेस वॉर रूम में पायलट और गहलोत के बीच सुलह का प्रयास कांग्रेस को एकजुट दिखाने का प्रयास है. लेकिन केसी वोणुगोपाल पायलट और गहलोत के बीच मनभेद को किस हद तक दूर कर पाएंगे इसको लेकर कयासों का बाजार गरम है.

भारत जोड़ो यात्रा को लेकर पशोपेश में कांग्रेस
राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के 15 दिन बिना किसी विवाद का पूरी तरह खत्म करना. कांग्रेस के लिए गंभीर चुनौती से कम नहीं है. दरअसल राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के रूट में राजस्थान ही वो प्रदेश है, जहां कांग्रेस की सरकार है. लेकिन राज्य में दो धड़ों के बीच भीषण टकराहट की वजह से यात्रा को लेकर कांग्रेस पार्टी पशोपेश में है. कांग्रेस हाईकमान के सिपहसलार और बेहद विश्वस्त सिपाही केसी वेणुगोपाल को भेजकर वहां माहौल को ठंडा करने का प्रयास कर रही है.

ऐसा माना जा रहा है कि यात्रा पायलट के गढ़ से निकलेगी लेकिन प्रशासनिक अधिकारी और विश्वस्त सिपाही गहलोत के होंगे. यात्रा राजस्थान के जिन इलाकों से निकलने वाली है वो पायलट का गढ़ माना जाता है. राहुल की यात्रा का रूट तय करते समय भी इसको लेकर विवाद हो चुका है. गहलोत समर्थकों द्वारा राजस्थान में यात्रा के रूट को लेकर गहरा असंतोष समय-समय पर बाहर आता रहा है.

पूरा मैनेजमेंट गहलोत और उनके खेमे के हाथ
ऐसे में पायलट के क्षेत्र में पूरा मैनेजमेंट अशोक गहलोत और उनके खेमे के हाथ में रहेगा लेकिन श्रेय लेने और पायलट खेमा द्वारा ताकत प्रदर्शन के नाम की गई कोशिशें यात्रा के दरमियान विवाद का शक्ल ले सकती हैं. वैसे भी यात्रा से पहले ही विजय सिंह बैंसला गुर्जर आरक्षण का हवाला देते हुए राजस्थान में राहुल की यात्रा की एंट्री को लेकर बैन करने की धमकी दे चुके हैं. विजय सिंह बैंसला गुर्जर आरक्षण के अलावा गुर्जर विधायक को सीएम बनाने की मांग कर कांग्रेस पार्टी के सामने गंभीर चुनौती पेश कर चुके हैं. वहीं दो धड़ों में बंटी कांग्रेस और कमजोर दिख रहा हाईकमान इन चुनौतियों से निपटने के लिए दोनों नेता गहलोत और पायलट को पसंद बताकर तात्कालिक समाधान ढ़ूंढ़ने के प्रयास में हैं.

राजस्थान के 7 जिलों की 18 विधानसभाओं से गुजरने वाली भारत जोड़ो यात्रा गुर्जर-मीणा बाहुल्य क्षेत्र से गुजरेगी जो राहुल गांधी सहित कांग्रेस पार्टी को मुसीबत में डाल सकती है. कोटा और झालावाड़ में पायलट समर्थक पायलट के समर्थन और गहलोत के विरोध में माहौल को हवा दे सकते हैं, जिससे राहुल की भारत जोड़ो यात्रा की भद्द पिट सकती है.

बीजेपी का सामना करना पड़ रहा भारी?
बीजेपी को भी राजस्थान में गहलोत और पायलट विवाद के बाद बैठे बिठाए नया मुद्दा मिल गया है. गहलोत द्वारा पायलट पर आक्रमण के बाद बीजेपी के केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया समेत कई नेता कांग्रेस को घेरने में जुट गए हैं. कांग्रेस के भीतर मची घमासान को लेकर बीजेपी इसे कांग्रेस की असफलता करार देने में जुटी है और सरकार के 4 साल पूरे होने पर कांग्रेस को घेरने का मन बना चुकी है. कांग्रेस हाईकमान ऐसी किरकिरी से बचने की फिराक में है इसलिए राहुल गांधी पायलट और गहलोत विवाद को तरजीह नही देते हुए दोनों को सूबे के लिए अहम नेता करार दे रहे हैं. Tags:
Ashok Gehlot vs Sachin Pilot, bharat jodo yatra, Congess leader Rahul Gandhi, Rajasthan Latest Updates