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हिमाचल प्रदेश इलेक्शन: अपनी ही पार्टी का खेल बिगाड़ रहे प्रत्याशी, 5 बागी जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहे

हिमाचल प्रदेश विधानसभा इलेक्शन 2022 में कुछ राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नेताओं की बगावत का असर राज्य की सियासत पर भी पड़ सकता है. राज्य की 68 विधानसभा सीटों के लिए कुल 21 बागी नेताओं ने ताल ठोकी.
 
हिमाचल प्रदेश इलेक्शन: अपनी ही पार्टी का खेल बिगाड़ रहे प्रत्याशी, 5 बागी जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहे
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Mhara Hariyana News: हिमाचल प्रदेश इलेक्शन: अपनी ही पार्टी का खेल बिगाड़ रहे प्रत्याशी, 5 बागी जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहेहिमाचल प्रदेश इलेक्शन
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को अपने ही लोगों की बगावत का सामना करना पड़ा. दोनों दलों के सामने उनके बागी नेताओं ने ही सबसे बड़ी चुनौती खड़ी की. कुछ राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इसका असर राज्य की सियासत पर भी पड़ सकता है. हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों के लिए कुल 21 बागी नेताओं ने ताल ठोकी. इस बीच, हम आपको 5 ऐसे बागी नेताओं के बारे में बताएंगे जो अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी का खेल बिगाड़ सकते हैं.


फतेहपुर ने निर्दलीय लड़े कृपाल परमार
हिमाचल चुनाव में कांगड़ा जिले की फतेहपुर सीट से बीजेपी के बागी नेता कृपाल सिंह परमार सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे. चुनाव के बीच कथित तौर पर एक खबर आई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कृपाल परमार को फोन कर चुनाव न लड़ने की बात कही थी. लेकिन कृपाल उनकी भी बात नहीं माने और निर्दलीय चुनाव लड़ा. कृपाल परमार बीजेपी के दिग्गज नेता रहे हैं. वह राज्यसभा सांसद समेत संगठन में भी कई बड़े पद संभाल चुके हैं.

केएल ठाकुर भी हुए बागी
सोलन जिले की नालागढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी के बागी नेता केएल ठाकुर ने भी बगावत की. पिछली बार बीजेपी ने उन्हें इसी सीट से उतारा था लेकिन वे कांग्रेस के लखविंदर सिंह राणा से हार गए थे. अब लखविंदर बीजेपी में शामिल हो गए हैं और पार्टी ने उन्हें इसी सीट से टिकट दिया. टिकट न मिलने से केएल ठाकुर ने बगावत कर दी. बीजेपी जब 2012 में राज्य में सरकार नहीं बना पाई थी उस समय केएल ठाकुर ने इसी सीट से जीत दर्ज की थी.

40 साल बाद बतौर निर्दलीय चुनाव में उतरे गंगूराम
सिरमौर जिले की पच्छाद विधानसभा सीट पर 40 साल बाद कांग्रेस के बागी नेता गंगूराम मुसाफिर बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे. 1985 से 2019 तक गंगूराम कांग्रेस के टिकट पर लड़ते रहे हैं. 2020 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुईं दयाल प्यारी कश्यप को कांग्रेस ने यहां से उतारा तो गंगूराम बागी हो गए. गंगूराम मुसाफिर लगातार सात बार चुनाव जीत चुके हैं. साथ ही वह कई मंत्रालय भी संभाल चुके हैं.

अन्नी से किशोर लाल की बगावत
कुल्लू जिले की अन्नी विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक किशोर लाल को बीजेपी ने इस बार चुनावी मैदान में नहीं उतारा. पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के पारस राम को मात दी थी. बीजेपी ने इस बार किशोरी की जगह लोकेंद्र कुमार को उतारा तो उन्होंने बगावत कर दी. उन्होंने यहां से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी ताल ठोकी.

सुलह सीट पर भी चुनौती
सुलह विधानसभा सीट से कांग्रेस के नेता जगजीवन पाल ने बगावत कर दी. उन्होंने यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया. पार्टी ने जगदीश सिपहिया को टिकट दे दिया था, जिससे वह काफी नाराज थे. लंबे समय से जगजीवन पाल यहां से सक्रिय थे.