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हिमाचल चुनावः क्या पहाड़ों से निकलेगा कांग्रेस की जीत का रास्ता?

Himachal elections: Will the way for Congress's victory emerge from the mountains?

 
Himachal elections: Will the way for Congress's victory emerge from the mountains?
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Mhara Hariyana News:

हिमाचल में वैसे तो पिछले साढ़े तीन दशकों से हर चुनाव में सत्ता परिवर्तन इतिहास रहा है. कांग्रेस इस के सहारे हिमाचल प्रदेश में जीत की उम्मीद लगाए बैठी है. वहीं, बीजेपी इस इतिहास को बदलकर एक नया इतिहास लिखने की जीतोड़ कोशिश कर रही है. बीजेपी की इन्हीं कोशिशों की वजह से कांग्रेस के लिए ये चुनाव काफी मुश्किल होने वाला है. 2018 के बाद से कांग्रेस एक भी राज्य में विधानसभा चुनाव नहीं जीती है. हिमाचल के पहाड़ों से उसकी जीत का रास्ता निकल सकता है. लिहाजा ये चुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति वाला बन गया है.


कांग्रेस के सामने इस चुनाव में कई बड़ी चुनौतियां है. इनसे पार पाना उसके लिए लोहे के चने चबाने जैसा मुश्किल काम है. उसके सबसे बड़े नेता वीरभद्र सिंह इस चुनाव में नजर नहीं आएंगे, वो अब इस दुनिया में नहीं हैं, हालांकि उनके परिवार के भरोसे ही कांग्रेस चुनावी मैदान में है. कांग्रेस का तबका वीरभद्र के परिवार के खिलाफ है. दरअसल, पिछले कई दशकों से कांग्रेस की राजनीति हिमाचल में वीरभद्र सिंह के इर्द-गिर्द घूमती रही थी. कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने का श्रेय कई सालों से उन्हीं को मिलता रहा है. अब इस चुनाव में जब वो नहीं हैं तो उनकी जगह पर उनकी पत्नी प्रतिभा और बेटे विक्रमादित्य सिंह कमान संभाले हुए हैं.

हालांकि हर कोई जानता है कि वीरभद्र सिंह का कोई विकल्प हिमाचल कांग्रेस के लिए नहीं हो सकता है. लिहाज इस चुनाव में कांग्रेस को उनकी कमी खल रही है. वीरभद्र सिंह और उनकी रणनीति के बगैर चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए चुनौती है.

बागी उम्मीदवार बने सिरदर्द
कांग्रेस के एक दर्जन से ज्यादा बागी उम्मीदवार उसके लिए चुनाव में बड़ा सिरदर्द बन गए है. टिकट कटने से नाराज ये नेता निर्दलीय तौर पर चुनाव मैदान में हैं. हालांकि कईयों ने आलाकमान के कहने पर नाम वापस ले लिया था. लेकिन दर्जनभर से ज्यादा अभी भी चुनाव मैदान में डटे हुए हैं. इनमें प्रमुख हैं पूर्व मंत्री गंगू राम मुसाफिर (पछड़), कुलदीप कुमार (चिंतपूर्णी), पूर्व विधायक जगजीवन पाल (सुल्लाह), सुभाष मंगलेट (चोपल), तिलक राज (बिलासपुर), बीरू राम किशोर (झंडुता), विजय पाल खाची ( ठियोग), पारस राम (अन्नी), लाल सिंह कौशल (नचन), सतीश कौल (जयसिंहपुर), संजीव भंडारी (जोगिंद्रनगर), राजिंदर ठाकुर (अर्की), सतीश कौल (जयसिंहपुर) और युवराज कपूर (करसोग) शामिल हैं. ये तमाम बागी उम्मीदवार कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी करके सत्ता में उसकी वापसी की राह में रोड़ा आटका सकते हैं. लिहाज़ा कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार इनकी मानमौनव्वल में जुटे हैं.