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Jaipur: ‘राज्यपाल का रामकथा करवाना संवैधानिक पद की मर्यादा के विरुद्ध’, उठे सवाल

Jaipur: 'Governor's Ram Katha to be done against the dignity of constitutional post', questions raised
 
Jaipur: 'Governor's Ram Katha to be done against the dignity of constitutional post', questions raised
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Mhara Hariyana News
जयपुर में सांस्कृतिक केंद्र की ओर से राजभवन में करवाया जा रहा रामकथा कार्यक्रम विवादों में घिर गया है. राज्यपाल की ओर से प्रदर्शनी के उद्घाटन और रामकथा को लेकर सामाजिक संगठनों ने सवाल उठाए हैं. पीयूसीएल ने कहा कि कार्यक्रम संवैधानिक पद की मर्यादा के विरुद्ध है.
Jaipur: 'राज्यपाल का रामकथा करवाना संवैधानिक पद की मर्यादा के विरुद्ध', उठे सवालविवादों में राज्यपाल कलराज मिश्र का कार्यक्रम

राजधानी जयपुर में सांस्कृतिक केंद्र की ओर से राजभवन में राज्यपाल कलराज मिश्र की पहल पर पांच दिवसीय रामकथा का आयोजन किया जा रहा है जो 27 अगस्त से शुरू हो गया. इस कार्यक्रम के तहत पहले दिन भक्ति कला प्रदर्शनी का शुभारंभ किया गया जहां राज्यपाल कलराज मिश्र और संत विजय कौशिक महाराज मौजूद रहे. इधर राजभवन की ओर से करवाया जा रहा यह कार्यक्रम विवादों में भी घिर गया है. राज्यपाल की ओर से प्रदर्शनी के उद्घाटन को लेकर सामाजिक संगठनों ने राजभवन में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों पर गंभीर सवाल उठाए हैं.


सामाजिक संगठन पीयूसीएल ने रामकथा के आयोजन पर कड़ी आपत्ति दर्ज करवाते हुए कहा है कि राजभवन में इस तरह के धार्मिक आयोजन संवैधानिक पद और मूल्यों की मर्यादा से परे हैं जिसे सरकार को तत्काल प्रभाव से रोकना चाहिए. संगठन का कहना है कि राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र की ओर से संत श्री विजय कौशल महाराज से राजभवन परिसर में 27 से 31 अगस्त 2022 तक रामकथा करवाना उनके संवैधानिक पद की मर्यादा के विरुद्ध है.

पीयूसीएल ने आपत्ति दर्ज करवाते हुए कहा कि वह राजस्थान में रामकथा करवाने और भगवान राम के विरूद्ध नहीं है बल्कि उनका विरोध राज्यपाल की ओर से आयोजन करवाने को लेकर है. पीयूसीएल ने कहा कि राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 157 के तहत शपथ लेते हैं जहां वह संवैधानिक पद पर रहते हुए राजभवन में एक धार्मिक आयोजन करवा रहे हैं.

सवालों में आमंत्रण पर शासकीय मुहर
पीयूसीएल ने राजभवन को पत्र लिखकर कहा है कि राजभवन परिसर में 27 से 31 अगस्त 2022 तक रामकथा करवाना संवैधानिक पद की मर्यादा के विरुद्ध है. पत्र में कहा गया है कि एक संवैधानिक संस्था की ओर से एक धार्मिक कार्यक्रम को राजभवन में आयोजित करवाना भारतीय संविधान की प्रस्तावना में निरुपित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के ठीक विपरीत है.

संगठन की राज्य अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए भेजे गए आमंत्रण पर शासकीय मुहर लगी हुई है और कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार राजस्थान सरकार के सूचना प्रसारण निदेशालय की ओर से भी किया जा रहा है जिससे साफ जाहिर होता है कि यह राज्यपाल का निजी कार्यक्रम नहीं हैं.

वहीं पीयूसीएल ने इस सम्बन्ध में पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से राजभवन में आयोजित करवाई जा रही भक्ति कला प्रदर्शनी जिसमें देवी-देवताओं और भगवान की लीलाओं की कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया है पर भी सवाल उठाए हैं. बता दें कि राजभवन में चल रहे इस कार्यक्रम को लेकर व्हाट्सएप पर भेजे गए आमंत्रण में बाकायदा शासकीय मुहर लगी हुई है और कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार राजस्थान सरकार के सूचना प्रसारण निदेशालय की ओर से किया जा रहा है.

धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को कमजोर करेगा कार्यक्रम
वहीं इसके आगे पीयूसीएल ने कहा कि भक्ति कला के नाम पर हो रही यह प्रदर्शनी राजभवन में किसी धार्मिक त्योहार पर होने वाले मिलन उत्सव कार्यक्रम से बिल्कुल अलग है. श्रीवास्तव ने कहा कि राज्यपाल को सभी धर्मों के प्रति निरपेक्ष और समानता का भाव रखना चाहिए.