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निकाय चुनाव की सबसे हॉट सीट लखनऊ…BJP लगाएगी ब्राह्मण पर दांव!

लखनऊ शहर में महापौर की कुर्सी पर ब्राह्मण की राह सबसे आसान होती है. BJP इस प्रयोग को एक बार फिर यहां दोहराना चाहती है.
 
निकाय चुनाव की सबसे हॉट सीट लखनऊ…BJP लगाएगी ब्राह्मण पर दांव!
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Mhara Hariyana News: लखनऊ नगर निगम के मेयर का ताज पहनने के लिए दिल्ली तक रेस शुरू हो चुकी है. उत्तर प्रदेश की राजधानी और इस बार अनारक्षित होने की वजह से इस सीट को लेकर तकरीबन 50 से ज़्यादा लोग अपनी किस्मत आज़माना चाहते हैं. लेकिन, अंदर की बात ये है कि BJP इस बार लखनऊ में मेयर की कुर्सी पर किसी ब्राह्मण को देखना चाहती है. 


ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि यहां अब तक सिर्फ़ दो मेयर ऐसे हैं, जो सबसे लंबे समय तक रहे. एक डॉक्टर एस. सी राय और दूसरे दिनेश शर्मा. लखनऊ नगर निगम सीट पर क़रीब 4 लाख ब्राह्मण वोटर हैं. इतना बड़ा वोटबैंक किसी की भी जीत या हार तय करने के लिए काफ़ी है. हालांकि, 28 लाख मतदाताओं वाले लखनऊ नगर निगम में बनिया, पंजाबी और मुस्लिम भी कुछ हद तक निर्णायक हैं, लेकिन दबदबा ब्राह्मण वोटबैंक का ही है. इसीलिए BJP इस बार यहां ब्राह्मण उम्मीदवार उतारकर राजधानी की मेयर सीट पर कब्ज़ा बरक़रार रखना चाहती है.

विस चुनाव की नाराज़गी की भरपाई मेयर चुनाव में होगी?
विधानसभा चुनाव में लखनऊ में कुछ विधायकों और ख़ास तौर पर ब्राह्मण नेताओं की नाराज़गी सामने आई थी. इसकी बड़ी वजह ये थी कि कुछ विधायकों के टिकट काटे गए और कुछ के क्षेत्र बदल दिए गए. इसका ख़ामियाज़ा चुनाव नतीजों में देखने को मिला. लखनऊ मध्य सीट पर BJP के रजनीश गुप्ता चुनाव हारे, जबकि लखनऊ पश्चिम से अंजनी श्रीवास्तव को हार का सामना करना पड़ा. पार्टी ने कैंट से चार बार विधायक रहे सुरेश तिवारी का टिकट काटकर बृजेश पाठक को दिया था.

इसके अलावा सरोजिनी नगर से तीन बार विधायक का चुनाव लड़ने वाले वीरेंद्र तिवारी को भी इस बार टिकट नहीं दिया गया. हालांकि, उन्हें लैकफेड का चेयरमैन बना दिया गया. बहरहाल, अब पार्टी लखनऊ शहर के ब्राह्मणों को उनकी बिरादरी का मेयर देने का मन बना रही है. सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि पार्टी चाहती है कि दिनेश शर्मा की तरह एक बार फिर ब्राह्मण के हाथ में लखनऊ मेयर की कमान सौंपी जाए, ताकि लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण वोटबैंक को एकजुट रखा जा सके.

लखनऊ मेयर के लिए 3 ब्राह्मण नेताओं में कड़ा मुक़ाबला
निकाय चुनाव के लिहाज़ से लखनऊ पूरे प्रदेश में सबसे बड़ा नगर निगम है. 110 वॉर्ड और 28 लाख से ज़्यादा वोटर के साथ ये यूपी का सबसे बड़ा नगर निगम है. इतनी बड़ी संख्या वाले वॉर्ड में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह का जातिगत समीकरण हैं. लेकिन ओवरऑल देखें तो ब्राह्मण वोटर क़रीब 4 लाख से ज़्यादा हैं. ऐसे में यहां तीन ब्राह्मण नेता टिकट के लिए अपनी अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं. सुरेश तिवारी लखनऊ कैंट से चार बार विधायक रह चुके हैं. हालांकि, वो विधानसभा में टिकट कटने के बाद काफ़ी तेवर दिखा चुके हैं. इसके अलावा इतने लंबे समय तक विधायक रहने की वजह से पार्टी किसी और को मौक़ा देने के मूड में है. सरोजिनी नगर से तीन बार विधायक का चुनाव लड़कर हारने वाले पुराने कार्यकर्ता वीरेंद्र तिवारी भी मेयर की रेस में हैं.

हालांकि, वो LACFED के चेयरमैन हैं, इसलिए लाभ के एक पद पर रहते हुए टिकट की उनकी दावेदारी पर पार्टी कितना गौर करेगी, ये वक्त बताएगा. मेयर की रेस में लखनऊ से तीसरा ब्राह्मण चेहरा है हीरो वाजपेयी का. अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में लखनऊ महानगर के महामंत्री से लेकर मीडिया प्रभारी की भूमिका निभा चुके हीरो वाजपेयी फिलहाल पार्टी प्रवक्ता हैं. सदस्यता प्रमुख से लेकर कई ज़िलों में प्रभारी की भूमिका भी निभा चुके हैं. लेकिन, इससे पहले कोई चुनाव नहीं लड़ा. ख़बर है कि राजनाथ सिंह लखनऊ के सांसद होने के नाते मेयर के टिकट में अहम भूमिका निभाएंगे. इसलिए राजनाथ के दिल्ली वाले घर तक नेताओं की हाज़िरी शुरू हो गई है.

राजनाथ के ग्रीन सिग्नल से ही मिलेगा टिकट?
लखनऊ में मेयर के टिकट को लेकर कहा जा रहा है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की रज़ामंदी ज़रूरी है. यानी लखनऊ का मेयर होने के नाते वो अपना भी चुनावी गणित देखेंगे और उसके हिसाब से जो नेता फिट बैठेगा, उसी को टिकट मिलेगी. दरअसल, लखनऊ लोकसभा में तीन लाख से ज़्यादा ब्राह्मण वोटर हैं. ऐसे में ब्राह्मण नेता को लखनऊ मेयर का टिकट देकर एक तीर से दो शिकार हो सकते हैं. पहला ये कि लखनऊ में मेयर का चुनाव जीतने की राह आसान होगी और दूसरा ये कि लोकसभा चुनाव में भी इसका अनुकूल असर देखने को मिल सकता है. इसके अलावा ब्राह्मण को मेयर का टिकट देने का तीसरा गणित ये है कि राजपूत, बनिया और कायस्थ को विधानसभा चुनाव में टिकट देकर पार्टी इन बिरादरी के वोटर के मन की बात कर चुकी है.