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पंचायत चुनाव से पहले तेजी से जनसंपर्क करेंगी ममता, मार्च में फिर शुरू होगी ‘दुआरे सरकार’ योजना

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने जनसंपर्क तेज करने का निर्णय किया है. इसके तहत 'दुआरे सरकार' योजना मार्च से पहले फिर शुरू की जाएगी.
 
पंचायत चुनाव से पहले तेजी से जनसंपर्क करेंगी ममता, मार्च में फिर शुरू होगी ‘दुआरे सरकार’ योजना
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पश्चिम बंगाल में इस साल पंचायत चुनाव की तैयारी तेज हो गयी है. ममता बनर्जी सरकार ने अगले मार्च में एक और ‘दुआरे सरकार‘ शिविर की योजना बनाई है. टीएमसी पंचायत चुनाव से पहले ज्यादा से ज्यादा साधारण मुद्दों को हल करना चाहती है. इसके साथ ङी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इस तरह के मुद्दों से संबंधित अधिक शिकायतों को एकत्र करने के लिए पार्टी के ‘दीदीर सुरक्षा कवच’ कार्यक्रम को कुछ और दिनों तक बढ़ाने पर विचार कर रही है. ‘दीदीर सुरक्षा कवच’ को लेकर राज्य के विभिन्न इलाकों में टीएमसी नेताओं को विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ रहा है.


सत्तारूढ़ दल ने ‘दुआरे सरकार’ शिविर को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करने के लिए ‘दीदीर सुरक्षा कवच’ कार्यक्रम शुरू किया है. इस पहल का मुख्य विचार विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की समस्याओं का दस्तावेजीकरण करना और उन्हें पार्टी की ओर से सरकारी परियोजनाओं में हल करना था.

पंचायत चुनाव के पहले फिर शुरू होगी ‘दुआरे सरकार’ योजना
प्राप्त जानकारी के अनुसार उस योजना की तरह पंचायत चुनाव से पहले एक दौर में ‘दुआरे सरकार’ शुरू करने पर विचार किया जा रहा है. नबान्न सूत्रों के मुताबिक मई में पंचायत चुनाव होने की बात मानकर राज्य सरकार इस खेमे में समस्या के समाधान पर जोर देना चाहती है. कई दिनों से शिकायतें आ रही थीं कि राज्य सरकार द्वारा घोषित योजनाएं सभी तक नहीं पहुंच रही हैं. कई जगहों पर आम लोगों ने सीधे इसकी शिकायत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से की है. तृणमूल के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को भी जनसंपर्क कार्यक्रम में कई जगहों पर यह शिकायत मिली है.

‘दीदीर सुरक्षा कवच’ कार्यक्रम में लगातार हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन
इस संबंध में जानकारी जुटाने के लिए पार्टी द्वारा ‘दीदीर सुरक्षा कवच’ नाम से शुरू किए गए कार्यक्रम को 15 दिन हो चुके हैं. 28 तारीख तक पार्टी द्वारा प्रदेश के 20 जिलों की 800 ग्राम पंचायतों को दीदी दूत से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर प्रशासनिक स्तर पर भी कार्य की तैयारी चल रही है. हालांकि तृणमूल के इन प्रतिनिधियों को कई जगहों पर विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन पार्टी नेतृत्व का मानना ​​है कि प्रारंभिक समीक्षा में वे इस कार्यक्रम के लक्ष्य तक पहुंच गए हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी में पहुंचने लगी ज्यादातर शिकायतें सरकारी सेवाओं से जुड़ी हैं. अनुपलब्धता या प्रशासनिक जटिलता की शिकायतों में वृद्धावस्था भत्ता जैसे प्रत्यक्ष वित्तीय लाभ प्रदान करने वाली योजनाएं हैं. हालांकि सड़क, पानी आदि के मुद्दे हैं, लेकिन प्रमाण पत्र, भत्ते आदि की समस्याएं अपेक्षाकृत आसान हैं और नवान्ना मार्च में ‘गवर्नमेंट एट द डोर’ शिविर में यथासंभव हल करने का प्रयास करना चाहते हैं.