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PM उम्मीदवारी के लिए दिल्ली दौड़ रहे विपक्षी नेताओं को भी संदेश है राहुल की यात्रा ​​​​​​​

राहुल गांधी ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का आगाज कर दिया है. 3500 किलोमीटर की यह पदयात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर तक है. भारत जोड़ो यात्रा 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों से होकर गुजरेगी.
 
PM उम्मीदवारी के लिए दिल्ली दौड़ रहे विपक्षी नेताओं को भी संदेश है राहुल की यात्रा
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Mhara Hariyana News


कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दी है. दिल्ली के रामलीला मैदान में महंगाई के खिलाफ 'हल्ला बोल' रैली करने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने देश की जमीनी हकीकत की थाह लेने और उसे अपने पैरों से नापने के लिए कन्याकुमारी से कश्मीर तक पदयात्रा की शुरुआत की है.राहुल इस यात्रा के जरिए महंगाई, बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दे उठाकर सिर्फ नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ जमीनी स्तर पर माहौल ही नहीं बनाएंगे बल्कि विपक्ष के उन नेताओं और छत्रपों को भी सियासी संदेश देने की कोशिश करेंगे, जो 2024 के लिए विपक्षी खेमे से पीएम उम्मीदवारी के लिए ताल ठोक रहे हैं.

कई चुनौतियों से जूझ रही कांग्रेस
कांग्रेस की पदयात्रा के कई राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से कश्मीर की पदयात्रा तब शुरू की है, जब उनकी पार्टी कई चुनौतियों से जूझ रही है. कांग्रेस की केवल दो राज्यों में सरकार और दो राज्यों में गठबंधन सरकार बची है. इतना ही नहीं 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष का नेतृत्व कौन करेगा? इसे लेकर विपक्षी नेताओं की तरफ़ से रोज नए नाम उछाले जा रहे है. ऐसे में राहुल गांधी की इस पदयात्रा पर विपक्ष और सत्तापक्ष की नजरें टिकीं हैं. 

दरअसल, 2024 में विपक्षी एकता का सूत्रधार कौन बने, संघर्ष इस बात का है. इसकी वजह है कि विपक्षी खेमे में दावेदार अनेक हैं. एक तरफ बिहार सीएम नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एक करने के लिए दिल्ली दौरे पर केजरीवाल से लेकर अखिलेश यादव और राहुल गांधी सहित तमाम विपक्षी नेताओं से मिलें.

बंगाल सीएम ममता बनर्जी अपना अलग ताल ठोक रही हैं और आए दिन दिल्ली का दौरा करके विपक्षी नेताओं से मेल-मिलाप कर अपनी पीएम उम्मीदवारी की दावेदारी को मजबूत कर रही हैं. 

वहीं, अरविंद केजरीवाल और केसीआर अपनी अलग ही ढपली बजा रहे हैं. केसीआर भी दिल्ली से लेकर बिहार तक दौरा करके विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं तो केजरीवाल के दिल्ली और पंजाब चुनाव जीतने के बाद हौसले बुलंद हैं. ऐसे में उनकी कोशिश है कि गुजरात और हिमाचल चुनाव में कुछ सीटें जीतकर वह बीजेपी के बाद विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी बन जाए. उनकी पार्टी की ओर से यह तक बताए जाने लगा है कि मोदी के सामने केजरीवाल ही सबसे बड़ी चुनौती बन सकते हैं. 

विपक्षी एकता की अगुआ कैसे बनेगी कांग्रेस?

कांग्रेस भी इसी उधेड़बुन में है कि वो 2024 के चुनाव के लिए बन रही विपक्षी एकता के अगुआ कैसे बने. ऐसे में राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को किनारे रखकर बीजेपी के खिलाफ देश भर में सियासी माहौल बनाने के लिए पदयात्रा पर निकल पड़े हैं. राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा का आगाज तमिलनाडु के उसी श्रीपेरंबदुर से किया है, जहां पर 1991 में उनके पिता राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. 

राहुल गांधी ने तमिलनाडु के श्रीपेरंबदुर में अपने पिता राजीव गांधी के स्मारक का दौरा किया. राहुल ने ट्वीट कर कहा, 'मैंने अपने पिता को नफरत और विभाजन की राजनीति में खो दिया. मैं अपने प्यारे देश को भी नहीं खोऊंगा. प्यार नफरत पर जीत हासिल करेगा. आशा डर को हरा देगी. हम सब मिलकर जीतेंगे.' राहुल ने इस तरह से भारत जोड़ो यात्रा से पहले बड़ा सियासी संदेश दिया है. 

कांग्रेस की इस यात्रा को 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के तौर पर भी देखा जा रहा है. राहुल गांधी 3570 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकल पड़े हैं. कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों से होकर गुजरेगी. पांच महीने की इस पदयात्रा का राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से आगाज किया है और 150 दिनों तक चलने के बाद यह यात्रा कश्मीर से समाप्त होगी.

चमक-दमक से दूर साधारण तरीके से यात्रा करने की रूप रेखा बनाई गई है ताकि राहुल को जननेता के तौर पर स्थापित किया जा सके.

बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने का प्लान

कांग्रेस ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि विपक्ष के सामने और कोई रास्ता ही नहीं है. इस यात्रा के जरिए राहुल गांधी लोगों के बीच जाएंगे और उन्हें देश की मौजूदा स्थिति से वाकिफ कराएंगे. राहुल ने रामलीला मैदान में हल्ला बोल रैली के दौरान ही साफ कर दिया था कि भारत जोड़ो यात्रा का मकसद आम लोगों से मिलना और उन्हें सरकार की ओर से फैलाए जा रहे झूठ के बारे में बताना है. उन्हें बताना है कि सरकार किस तरह से केंद्रीय एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही हैं. मुझसे ईडी ने 55 घंटों तक पूछताछ की. लेकिन वो 100 साल तक भी मुझसे पूछताछ करें तो मुझे इसकी परवाह नहीं. हमें इस तरह की कार्रवाइयों के खिलाफ खड़ा होना है.


राहुल ने साफ कहा कि महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ अभियान भारत जोड़ो यात्रा का मकसद है. हिन्दुस्तान में आम नागरिक बहुत मुश्किल में हैं. लोग बहुत दर्द सह रहे हैं जब विपक्ष इन बातों को संसद में उठाना चाहता है, तब मोदी सरकार विपक्ष को संसद में बोलने नहीं देती. इसलिए जनता को सच बताने के वास्ते उन्हें आगे आना पड़ा, जिसके लिए भारत जोड़ो यात्रा पर वह निकल रहे. ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा को चुनावी राजनीति से अलग रखने की कोशिश हो रही है और कहा जा रहा है कि बढ़ती गरीबी, असमानता और सांप्रदायिक नफरत के खिलाफ यात्रा है.

विपक्षी नेताओं के लिए होगा संदेश

कांग्रेस भले ही कुछ कहे, लेकिन इसका मकसद कहीं न कहीं 2024 के चुनाव से पहले कांग्रेस की तैयारियों से भी है. भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए राहुल गांधी ने 12 राज्यों के 22 शहरों से होकर गुजरेंगे. ये एक तरह से चुनाव से पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जोश भरने की कवायद के तौर पर भी देखी जा रही है.

यात्रा राहुल गांधी को विपक्षी खेमे में एक मजबूत और जननेता के तौर पर मजबूत करेगी. इससे विपक्षी एकता कायम करने की दिशा में उनकी भूमिका अहम हो सकती है. इसके साथ ही राहुल दिल्ली दौड़ लगाने वाले क्षत्रपों के पीएम पद की दावेदारी में चुनौती खड़ी कर सकते हैं. इसलिए इस यात्रा को 2024 के लोकसभा चुनावों की रिहर्सल के तौर देखा जा रहा है.