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आज सब दिल से! मुखाग्नि के बाद जब जुड़े मोदी तो ममता बन गईं दीदी

Today all from the heart! Mamta became Didi when Modi joined after Mukhagni
 
आज सब दिल से! मुखाग्नि के बाद जब जुड़े मोदी तो ममता बन गईं दीदी
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तू डाल-डाल मैं पात-पात के मुहावरे पर चलने वाली पश्चिम बंगाल की राजनीति ने आज सद्भाव का संदेश देश को दिया. राजनीतिक युद्ध में आमने-सामने रहने वाले दो क्षत्रपों के बीच दिखी इस परिपक्वता, समझ और अनुभव से देशभर के नेताओं को सबक सीखना चाहिए. मंच तो सजी थी, लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ममता बनर्जी ने तंज नहीं कसा. मां को मुखाग्नि दे चंद घंटों में देश सेवा में जुट जाने वाले प्रधानमंत्री मोदी का ममता ने ढांढस बढ़ाया. तीन मिनट के संबोधन में ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को डेढ़ मिनट का समय दिया, जिसमें वो लगातार उनके कर्तव्यों की सराहना करते हुए ‘दीदी’ की भांति इस कठिन समय में सांत्वना देती दिखीं.


प्रतिद्वंदी को पछाड़ने के उद्देश्य से राजनीतिक वक्तव्यों में छिछले से छिछले बयान देने के इस दौर में शुक्रवार एक सिल्वर लाइनिंग की भांति चमकता हुआ दिखाई दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां के दुखद निधन की खबर सुबह-सुबह आई. किसी भी बेटे के लिए मां का निधन एक ऐसा झटका होता है, जिसे दुनिया का कोई भी सुख और समृद्धि भर नहीं सकता. पीएम मोदी अपनी मां के प्रति अंतिम कर्तव्य को निभाने के लिए अहमदाबाद में थे. वहीं उनका एक और कर्तव्य बंगाल में लंबित था.

एक राज्य में राजनीतिक संभावनाओं की तलाश में जुटी पार्टी के प्रमुख नेता का और प्रधान सेवक के तौर पर किसी राज्य को उसकी ऐसी धरोहर सौंपने का जो लाखों लोगों के जीवन को सुगमता देगा. प्रधानमंत्री मोदी ने इन दोनों ही कर्तव्यों को बड़ी ही ईमानदारी से निभाया. उन्होंने अपनी मां के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी और फिर डिजिटली बंगाल की जनता से जुड़ते हुए उन्हें वंदे भारत के रूप में उनकी सौगात सौंपी. इस दौरान वो नजारा भी दिखा जो भारतीय लोकतंत्र की महानता को दर्शाता है.

ममता बनर्जी ने राजनीतिक पटल पर अपने घोर प्रतिद्वंदी नरेंद्र मोदी की कर्तव्य निष्ठा को नमन किया. बनर्जी ने कहा, एक बच्चे के लिए उसकी मां से बढ़कर कोई नहीं होता. आपकी मां हमारी भी मां हैं और आपने अपने कर्तव्यों से अपनी मां को सम्मान दिया है. प्रधानमंत्री मुखाग्नि देने के बाद सीधे वर्चुअली बंगाल से जुड़े तो राजनीतिक तल्खियों को दरकिनार रखते हुए ममता बनर्जी ने कहा, आप बंगाल आने वाले थे, लेकिन निजि क्षति के कारण यहां नहीं पहुंच सके. ऐसी विपत्ति के दौर में भी आप हमसे वर्चुअली जुड़े ये बताता है कि आप दिल से हमारे बीच पहुंच गए.

बंगाल की मुख्यमंत्री ने इसी के साथ पीएम से कहा कि आज का दिन आपके लिए दुखद रहा है. आप आराम करिए. ये बयान यूं तो आम लगता है, लेकिन टीएमसी-बीजेपी के रिश्तों और ममता-मोदी के बयानों का पुराने इतिहास के परिपेक्ष में देखने पर इसकी महत्ता का असली पता चलता है.

बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी की दहाड़ राजनीतिक गलियारों में जमकर गूंजी. चुनावी नतीजों के बाद उनका ‘खेला होबे’ का नारा काफी पॉपुलर हुआ. देश के अन्य राज्यों में चुनावों के वक्त बीजेपी की खीज और उन्हें चिढ़ाने के लिए राजनीतिक दलों का पसंदीदा स्लोगन बन गया. देश की राजनीति में ‘खेला होबे’ के नारे के अलावा इन चुनावों ने एक और योगदान किया. वो था टकराव का. टकराव भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस का. ये टकराव इतना मजबूत दिखा कि एक बार को विपक्ष ममता बनर्जी में मोदी को हराने का विकल्प दिखने लगा था. हालांकि आपसी मनमुटाव में ये विकल्प भी छू हो गया.


लेकिन टीएमसी-बीजेपी नेताओं के बीच बयान और बवाल थमा नहीं. ये बवाल कभी खूनी संघर्षों में दिखा तो कभी नेताओं की टीका-टिप्पणियों में. लेकिन शुक्रवार को जिस गंभीरता से इन दोनों नेताओं ने बर्ताव किया वो भारतीय राजनीति की परिपक्वता को दर्शाता है. साथ ही ये भी बताता है कि ‘नो नोनसेंस’ पॉलिसी पर चलने वाली स्ट्रिक्ट वुमन ममता बनर्जी को देश और देश का प्रधानमंत्री दीदी क्यों कहता है. क्योंकि इस मां के बिछड़ने के गम को सहने का सामर्थ ‘दीदी’ ही दे सकती है.