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गुजरात जैसी जीत की हुंकार भरने वाली BJP के लिए 9 राज्यों में क्या हैं चुनौतियां?

What are the challenges in the 9 states for the BJP which is boasting of Gujarat-like victory?
 
गुजरात जैसी जीत की हुंकार भरने वाली BJP के लिए 9 राज्यों में क्या हैं चुनौतियां?
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दिल्ली में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को अगले चुनाव का संदेश दिया. पीएम ने संगठन को बूथ स्तर पर मजबूत करने को कहा है. वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि इस साल पार्टी को सभी 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करनी है. जेपी नड्डा ने कहा कि 2023 और 2024 का एक भी चुनाव नहीं हारना है. उन्हेंने इसी के साथ पूरी कार्यकारिणी से आह्वान किया कि चुनाव के लिए कमर कस लें. उन्होंने कहा कि जहां सरकार है वहां संगठन को और मजबूत किया जाए और जहां सरकार नहीं है वहां भी संगठन को मजबूत किया जाए.


इस साल जिन नौ राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, वे राज्य हैं त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, कर्नाटक, मिजोरम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना. इनके अलावा संभव है साल के अंत तक जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा का चुनाव हो सकता है. यानी कुल मिलाकर इस साल 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं. यही वजह है कि बैठक के पहले दिन कर्नाटक, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के प्रदेश अध्यक्षों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट पेश की.

गुजरात जैसी जीत की हुंकार
जैसा कि पिछले कुछ सालों से बीजेपी ने अपना इरादा साफ कर दिया है कि वो हर चुनावी मैदान में जीत के अफर्ट के लिए उतरती है. हारना उसे मंजूर नहीं. बीजेपी ने पिछले कई चुनावों में इसे साबित भी कर दिखाया है. साल 2022 के चुनाव में हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को भले ही हार मिली लेकिन गुजरात की ऐतिहासिक जीत को बीजेपी ने एक बड़े जश्न और जुलूस में बदल दिया. बीजेपी के लिए गुजरात की जीत एक ऐसा मॉडल है, जिसे पार्टी अब अगले नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव में एक रणनीति के तौर पर पेश करने जा रही है.

राजस्थान, छत्तीसगढ़ पर खास नजर
वैसे तो बीजेपी ने सभी नौ राज्यों में जीतने और सरकार बनाने की हुंकार भरी है लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर बीजेपी की सबसे खास नजर है. दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार है. महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन और पंजाब गंवाने के बाद कांग्रेस के पास यही दो राज्य बचे थे. हालांकि हिमाचल प्रदेश में जीत से कांग्रेस भी उत्साहित है लिहाजा इन दोनों राज्यों में बीजेपी कुछ विशेष रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतरना चाहेगी. राजस्थान में बीजेपी की कमान किसको मिलती है, इस पर सबकी नजर है. पिछले काफी समय से राजस्थान में बीजेपी गहलोत सरकार के खिलाफ आक्रामक है और माहौल बनाना शुरू कर चुकी है. वहीं छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल पर नक्सल और हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी पहले से मोर्चा खोल चुकी है.

हिंदुत्व और धर्मांतरण का मुद्दा
हालांकि हिंदुत्व और धर्मांतरण दो ऐसे मुद्दे हैं जिसे बीजेपी सभी राज्यों के चुनावों में आजमाती है, 2023 के चुनावों में भी ये मुद्दे रहने वाले है. इसी सिलसिले में कर्नाटक, तेलंगाना और नॉर्थईस्ट के राज्य अहम हैं. वैसे नॉर्थ ईस्ट में प्रधानमंत्री के विकास प्रोजेक्ट्स को भी चुनावी मुद्दा बनाया जा सकता है.

सभी राज्यों की अपनी-अपनी चुनौतियां
जिन नौ राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उनमें कई ऐसे राज्य हैं जहां बीजेपी या एनडीए की सरकार नहीं है, उनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़ के अलावा तेलंगाना भी खास अहम है. तमाम विवादों के बाद भी छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की छवि काफी साफ-सुथरी मानी जाती है तो राजस्थान में अशोक गहलोत को परास्त करना भी बहुत आसान नहीं हैं जबकि तेलंगाना में केसीआर का अपना दबदबा रहा है. बीजेपी को इन राज्यों में कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. राजस्थान बीजेपी में गुटबंदी के चलते कोई चेहरा तय नहीं होना-एक बड़ा संकट है. बीजेपी के लिए कर्नाटक और मध्यप्रदेश भी काफी अहम है, जहां सरकार बचाने की चुनौती होगी.


2023 के साथ 2024 पर भी नजर
खास बात ये कि इन राज्यों को देखें तो ये सभी पूर्व, उत्तर से लेकर दक्षिण तक आते हैं. इन राज्यों में लोकसभा की सत्रह फीसदी सीटें आती हैं. बीजेपी की इस बैठक में इन राज्यों की विधानसभा सीटों के साथ-साथ लोकसभा की सीटों पर भी मंथन किया जा रहा है. यानी साल 2023 में 2024 पर भी चिंतन जारी है.