मोहन भागवत ने क्यूं याद दिलाई आंबेडकर की चेतावनी? दूरियों-दुश्मनी पर क्या बोले

Mhara Hariyana News: उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन भौगोलिक सीमाओं में बदलाव का कारण बनती है, ऐसे में नई जनसंख्या नीति सब पर समान रूप से लागू हो और किसी को छूट नहीं मिलनी चाहिए.चीन की एक परिवार एक संतान की नीति का उल्लेख करते हुए भागवत ने कहा- जहां हम जनसंख्या पर नियंत्रण का प्रयास कर रहे हैं, वहीं हमें देखना चाहिए कि चीन में क्या हो रहा है? उस देश ने एक परिवार, एक संतान नीति अपनाया और अब वह बूढ़ा हो रहा है?
उन्होंने कहा कि भारत में 57 करोड़ युवा आबादी के साथ यह राष्ट्र अगले 30 वर्षों तक युवा बना रहेगा. भागवत ने कहा कि दो प्रकार की बाधाएं सनातन धर्म के सामने रुकावट बन रही हैं जो भारत की एकता एवं प्रगति के प्रति शत्रुता रखने वाली ताकतों की तरफ से पैदा की गई हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी ताकतें गलत बातें एवं धारणाएं फैलाती हैं, अराजकता को बढ़ावा देती हैं, आतंक तथा संघर्ष एवं सामाजिक अशांति को बढ़ावा देती हैं.
भागवत ने कहा- केवल समाज के मजबूत एवं सक्रिय सहयोग से ही हमारी समग्र सुरक्षा एवं एकता सुनिश्चित की जा सकती है. उन्होंने कहा, शासन व प्रशासन के इन शक्तियों के नियंत्रण व निर्मूलन के प्रयासों में हमको सहायक बनना चाहिए. समाज का सबल व सफल सहयोग ही देश की सुरक्षा व एकात्मता को पूर्णत: निश्चित कर सकता है.
उन्होंने कहा कि संविधान के कारण राजनीतिक तथा आर्थिक समता का पथ प्रशस्त हो गया, लेकिन सामाजिक समता को लाये बिना वास्तविक व टिकाऊ परिवर्तन नहीं आयेगा ऐसी चेतावनी बाबा साहब आंबेडकर जी ने सभी को दी थी. उन्होंने कहा, हमें कोशिश करनी चाहिए कि हमारे मित्रों में सभी जातियों एवं आर्थिक समूहों के लोग हों ताकि समाज में और समानता लाई जा सके.