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Delhi में जारी रहेगी बिजली subsidy, LG ने दी फाइल को मंजूरी

 
Delhi में जारी रहेगी बिजली subsidy, LG ने दी फाइल को मंजूरी
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Mhara Hariyana News, New Delhi
Delhi में बिजली subsidy के मुद्दे पर पूरे दिन सियासी पारा चढ़ता रहा। Delhi की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने शनिवार से Delhi में मुफ्त बिजली नहीं मिलने का दावा कर दिया तो LG ने भी पलटवार किया। 
मंत्री ने LG पर फाइल अपने पास रखने का आरोप लगाया। दोनों पक्षों में आरोप-प्रत्यारोप के बाद आखिरकार शाम ढलने पर Delhi वासियों को राहत मिली। LG ने subsidy की फाइल को मंजूरी देते हुए ऊर्जा मंत्री को अनावश्यक राजनीति, झूठे आरोपों से बचने और Delhiवासियों को गुमराह नहीं करने की सलाह दी है। उधर, subsidy मामले में LG की हरी झंडी मिलने का श्रेय लेते हुए Delhi सरकार ने कहा कि उनके प्रयास से जनता के आक्रोश को देखते हुए यह फैसला लिया गया।

ऊर्जा ने उपराज्यपाल पर लगाया था बिजली सब्सिडी से जुड़ी फाइल रोकने का आरोप
Delhi की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने शुक्रवार को मीडिया के समक्ष उपराज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि बिजली subsidy से जुड़ी फाइल रोककर बैठ गए हैं। उन्होंने दावा किया कि शनिवार से Delhi वासियों को मुफ्त बिजली नहीं मिलेगी। 
आतिशी ने कहा कि उन्होंने LG साहब के दफ्तर में संदेश भेजकर केवल 5 मिनट का वक्त मांगा, लेकिन जवाब नहीं मिला। LG से फाइल जल्द पास करने का आग्रह करते हुए कहा कि इसमें देरी होने पर बिजली बिल में subsidy नहीं मिलेगी। 
इससे Delhi के 46 लाख परिवारों, किसानों, वकीलों और 1984 दंगा पीड़ितों को फ्री बिजली मिलनी बंद हो जाएगी। टाटा, बीएसईएस ने चिट्ठी लिखी है कि उनके पास subsidy की सूचना नहीं आई तो बिलिंग शुरू करेंगे।

ऑडिट नहीं कराने पर सरकार की आलोचना
उधर, LG दफ्तर ने जवाब दिया है कि उनकी कुछ बिंदुओं पर आपत्ति है जिसे दुरुस्त करने को कहा गया है। साथ ही LG ने आप सरकार पर बिजली कंपनियों का ऑडिट ना कराने की तीखी आलोचना की है। बिजली मंत्री को सलाह दी है कि LG के खिलाफ अनावश्यक राजनीति और झूठे आरोपों से बचें। 
झूठे बयानों से लोगों को गुमराह करना बंद करना चाहिए। मंत्री और मुख्यमंत्री को Delhi की जनता को जवाब देना चाहिए कि इस संबंध में फैसला 4 अप्रैल तक क्यों लंबित रखा गया, जबकि समय सीमा 15 अप्रैल थी। LG को 11 अप्रैल को फाइल क्यों भेजी गई। 13 अप्रैल को चिट्ठी लिखकर प्रेस कांफ्रेंस कर नाटक करने की क्या जरूरत थी, जब LG ने फाइल को मंजूरी दे दी।

सुविधाएं रुकने नहीं देगी केजरीवाल सरकार
Delhi सरकार ने बिजली subsidy मामले पर LG की मंजूरी पर कहा है कि केजरीवाल सरकार के प्रयास और जनता में फैले आक्रोश के आगे LG झुके। केजरीवाल सरकार Delhi की जनता को आश्वस्त करना चाहती है कि चाहे कुछ भी क्यों ना करना पड़े Delhiवासियों को मिल रही सुविधाओं को रुकने नहीं देंगे।

एक दिन पहले मंत्री ने बिजली subsidy के मामले में पूरे दिन LG से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन वक्त नहीं मिला। LG की तरफ से बिजली subsidy रोकने की सूचना जैसे ही जनता तक पहुंची, उनमें भारी आक्रोश फैल गया।

शुक्रवार को भी ऊर्जा मंत्री आतिशी ने फाइल क्लीयर कराने का प्रयास किया और साथ ही मुफ्त बिजली रोकने की भाजपा और LG की साज़िश का मीडिया के सामने खुलासा किया। इसके बाद LG ने आनन-फानन में मुफ्त बिजली फाइल को मंजूरी दे दी।

सरकार की आलोचना
Delhi के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने निजी बिजली कंपनियों को 13,549 करोड़ रुपये दिए जाने की ऑडिट से बचने के लिए आम आदमी पार्टी सरकार की तीखी आलोचना की है। यह subsidy 2016 से 2022 के बीच दी गई। LG ने आर्थिक तौर पर कमजोर वर्गों के लिए इस मद में राहत पर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने साफ किया subsidy के मद में दी गई यह राशि जनता से टैक्स और राजस्व के रूप में मिली है। सरकार की अहम जिम्मेदारी है कि इसका फायदा किसी निहित स्वार्थ वाले या धन चोरी करने वाले के हाथों में जाने के बजाय जरूरतमंदों को मिले।

LG ने केजरीवाल सरकार के कैग के पैनल में शामिल ऑडिटर से बिजली कंपनियों के ऑडिट के प्रस्ताव को अनुमति देते हुए स्पष्ट किया कि ऑडिट कैग द्वारा ही किया जाना चाहिए। पैनलबद्ध ऑडिटर को कैग ऑडिट का विकल्प नहीं माना जा सकता है।

उन्होंने कहा कि आप सरकार ने बिजली कंपनियों के खातों के ऑडिट कराने में घोर लापरवाही बरती है। सरकार ने 2015 में डीईआरसी से बिजली कंपनियों के खाते का ऑडिट कराने के लिए कह तो दिया लेकिन इस मुद्दे पर उदासीन रही जबकि वह विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 108 को लागू कर सकती थी। 

इस अधिनियम के तहत डीईआरसी को ऑडिट करने के लिए बाध्यकारी निर्देश दे सकती थी। पर सच्चाई यह है कि डीईआरसी ने किसी तरह का ऑडिट नहीं किया। इसके बाद मुख्य सचिव ने इस अधिनियम के बाध्यकारी धारा के तहत डीईआरसी को ऑडिट करने के लिए दिसंबर 2022 में फाइल भेजा। 
लेकिन 27 जनवरी को तत्कालीन बिजली विभाग के मंत्री मनीष सिसोदिया ने भी खारिज कर दिया। LG ने इसपर आश्चर्य व्यक्त किया है। गंभीर आपत्ति व्यक्त करते हुए LG ने जनता के 13,549 करोड़ रुपये का पिछले 6 वर्षों से ऑडिट नहीं किया गया है।

खाते का कैग से ऑडिट कराने का मामला पिछले 7 साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित
सार्वजनिक धन को बिना कोई जांच आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लिए तय subsidy निजी बिजली वितरण कंपनियों को दे दिया गया। LG ने कहा कि सरकार के ढुलमुल रवैये की वजह से बिजली कंपनियों के खाते का कैग से ऑडिट कराने का मामला पिछले 7 साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। 
           दरअसल, 2015 में Delhi उच्च न्यायालय ने बिजली कंपनियों के कैग द्वारा ऑडिट कराने के Delhi सरकार के आदेश को रद्द कर दिया था। Delhi सरकार ने इस फैसले के खिलाफ 2016 में अपील दायर की थी और तब से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।