घोसी उपचुनाव: लोकसभा चुनाव से पहले जीत से इंडिया को ताकत, सहयोगी दलों को मिलेगी ऊर्जा; एनडीए के लिए बड़ा झटका
Mhara Hariyana News, Lucknow : Ghosi सीट के उपचुनाव के नतीजे ने विपक्षी Alliance INDIA को बड़ी ताकत दी है। वहीं, BJP के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक Alliance (एनडीए) को आत्ममंथन के लिए विवश किया है। भले ही नतीजा सिर्फ एक सीट का हो, लेकिन इसकी चर्चा लोकसभा चुनाव तक रहेगी।
INDIA के गठन के बाद यूपी में हुए पहले चुनाव में विपक्षी दलों ने पूरी ताकत लगाई। SP प्रत्याशी Sudhakar Singh को कांग्रेस, रालोद, आप और अपना दल कमेरावादी ने भी समर्थन दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि Sudhakar Singh की बड़े अंतर से जीत ने न सिर्फ SP को ऊर्जा दी है, बल्कि विपक्षी Alliance को मजबूती दे सकता है।
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अब INDIA के घटक दल अपने Alliance को मजबूत करने के लिए सीटों के बंटवारे में अड़ियल रुख के बजाय समझौतावादी रास्ता अपनाएंगे। इतना ही नहीं जो छोटे विपक्षी दल अब तक INDIA में शामिल होने से बच रहे थे, वह भी Alliance का हिस्सा बन सकते हैं।
अखिलेश बोले- सिर्फ SP का नहीं, INDIA का प्रत्याशी जीता
Ghosi उपचुनाव से भविष्य की राजनीति का अंदाजा SP अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक्स (पूर्व नाम ट्विटर) पर दिए बयान से लगाया जा सकता है। अखिलेश ने कहा कि Ghosi ने सिर्फ SP का नहीं, बल्कि INDIA Alliance के प्रत्याशी को जिताया है। अब यही आने वाले कल का भी परिणाम होगा।
यूपी एक बार फिर देश में सत्ता के परिवर्तन का अगुआ बनेगा। उन्होंने कहा कि भारत ने INDIA को जिताने की शुरुआत कर दी है और यह देश के भविष्य की जीत है। अखिलेश के बयान से साफ है कि लोकसभा चुनाव में INDIA फिर एनडीए को हराने के लिए पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेगा।
सीटों के बंटवारे पर पड़ेगा असर
जानकारों का मानना है कि उपचुनाव के नतीजों से लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में अपना दल, सुभाSP और निषाद पार्टी की भागीदारी पर भी असर पड़ेगा। यदि उपचुनाव BJP जीतती तो राजभर और निषाद मजबूती से मोलभाव कर पाते।
BJP के वोटबैंक में लगी सेंध, SP का मजबूत हुआ
Ghosi के नतीजे बताते हैं कि SP ने BJP के परंपरागत ठाकुर, भूमिहार, वैश्य के साथ राजभर, निषाद और कुर्मी मतदाताओं में अच्छी खासी सेंध लगाई है। वहीं SP का परंपरागत यादव और मुस्लिम वोटबैंक तो उसके साथ मजबूती से खड़ा रहा।
स्वार उपचुनाव में मिली हार के बाद माना जा रहा था कि मुस्लिम वोट SP से खिसक रहा है, लेकिन Ghosi में मिली जीत ने SP के साथ मजबूती से होने की बात फिर साबित की है।
BJP को सोचना पड़ेगा
राजनीतिक विश्लेषक जेपी शुक्ला का मानना है कि Ghosi उपचुनाव के नतीजे पूरे लोकसभा चुनाव की नतीजों पर असर डालेंगे यह कहना उचित नहीं हैं। लेकिन यूपी में इसका असर होगा। खासतौर पर पूर्वांचल की सीटों पर BJP को सोचना पड़ेगा। BJP के लिए यह संदेश भी है कि वह इतना ताकतवर न माने कि राजनीति में वैसा ही होगा, जैसा वह चाहेगी।
BJP की हार के कारण
- - दलित वोट उम्मीद के हिसाब से न मिलना। बड़ी तादाद में क्षत्रिय सजातीय उम्मीदवार के साथ चले गए।
- - साढ़े छह साल में चौथे विधानसभा चुनाव से राजनीतिक अस्थिरता का माहौल।
- - एनडीए के सहयोगी दलों का सजातीय वोट बैंक में पकड़ साबित न कर पाना।
- - रामपुर और आजमगढ़ उपचुनाव जैसा माहौल का न बन पाना।
SP की जीत के कारण
- - SP अध्यक्ष अखिलेश यादव का खुद उप चुनाव के मैदान में उतरना और Sudhakar Singh का स्थानीय होना।
- - मुस्लिम-यादव फैक्टर का मजबूत होना।
- - बSP के मैदान में न होने से दलित मतदाताओं के बीच पैठ बढ़ाने में कामयाबी
- - स्थानीय मुद्दों का SP के पक्ष में होना।
काम नहीं आए जातीय समीकरण
Ghosi में करीब 55 हजार राजभर, 19 हजार निषाद और 14 हजार कुर्मी मतदाता हैं। BJP ने सुभाSP अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद की सभाएं, रैलियां और बैठकें कराईं। लेकिन चुनाव आंकड़े बता रहे हैं कि कुर्मी, राजभर और निषाद मतदाताओं ने स्थानीय उम्मीदवार को महत्व देते हुए मतदान किया है। यही नहीं करीब 8 हजार ब्राह्मण और तकरीबन 15 हजार क्षत्रिय भी SP की ओर चले गए।
अवसरवादी और बाहरी का मुद्दा दारा की हार की बड़ी वजह
उपचुनाव में SP ने BJP प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के खिलाफ अवसरवादी और बाहरी होने का मुद्दा उठाया था। SP ने मतदाताओं को बताया कि 16 महीने पहले चुनाव जीतने के लिए दारा सिंह BJP छोड़कर SP में आए थे। चुनाव जीतने के बाद अब मंत्री बनने के लिए फिर BJP में चले गए हैं। इसे दारा की हार की बड़ी वजह मानी जा रही है।
आजमगढ़ के मूल निवासी दारा सिंह 2017 में मऊ की मधुबन सीट से चुनाव लड़े थे। तब वे बSP छोड़कर BJP में आए थे। जब 2022 का चुनाव आया तो वे BJP छोड़ SP में चले गए और मऊ की Ghosi सीट से चुनाव लड़े और जीते। उपचुनाव में दारा फिर Ghosi से चुनाव लड़े, लेकिन इस बार वे SP की जगह BJP से थे।