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Rajeev Gandhi से भारत रत्न वापसी का प्रस्ताव पास करने वाले Kajriwal का साथ कैसे दे Congress

 
Rajeev Gandhi से भारत रत्न वापसी का प्रस्ताव पास करने वाले Kajriwal का साथ कैसे दे Congress
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Mhara Hariyana News, Jaipur

Delhi Govt. को लेकर केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं Delhi के मुख्यमंत्री अरविंद Kajriwal, विपक्षी दलों का समर्थन मांग रहे हैं। इस बाबत Congress पार्टी से भी बात हुई है, लेकिन Congress को वह दिन याद आ गया, जब Delhi विधानसभा में Kajriwal Govt. ने पूर्व प्रधानमंत्री Rajeev Gandhi से 'भारत रत्न' वापस लेने का प्रस्ताव पास कर दिया था। 
अब Congress पार्टी, अध्यादेश के मुद्दे पर Kajriwal का साथ देने से हिचक रही है। दूसरी ओर, संविधान निर्माता डॉ. बीआर आंबेडकर ने बाकायदा संविधान में ही ऐसी व्यवस्था कर दी थी कि भारत की राजधानी में कोई भी कानून भारत की संसद ही बनाएगी। Delhi में चार मुख्यमंत्रियों के साथ काम कर चुके पूर्व विधानसभा सचिव एवं संविधान विशेषज्ञ एसके शर्मा बताते हैं, अब पावर को लेकर जो विवाद शुरू हुआ है, वह सीधे तौर पर डॉ. आंबेडकर की विद्वता पर सवाल है।

असल विवाद की यही जड़ है
एसके शर्मा के मुताबिक, Delhi में चुनी हुई Govt. 'पंजाब, हरियाणा या उत्तर प्रदेश की तर्ज पर शासन करना चाहती है। असल विवाद की यही जड़ है। वे Supreme Court के फैसले पर टिप्पणी नहीं करेंगे। Supreme Court ने बीते दिनों अपने एक फैसले में Delhi Govt. को ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार दे दिया था। 
इसके बाद जब Kajriwal ने ताबड़तोड़ ट्रांसफर करने शुरू किए तो केंद्र Govt. द्वारा Delhi में तबादलों और नियुक्तियों पर अध्यादेश लाया गया। इससे Kajriwal Govt. के हाथ में आई ट्रांसफर पोस्टिंग दोबारा से एलजी के पास चली गई। अब Kajriwal इस मुद्दे पर केंद्र के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन मांग रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से बातचीत की है। उनके साथ पंजाब के सीएम भगवंत मान भी थे।

डॉ. आंबेडकर की विद्वता पर सवाल उठाना
संविधान विशेषज्ञ एसके शर्मा के मुताबिक, Delhi को लेकर कानून बनाने का अधिकार, केंद्र के पास है। Delhi में जितने कानून बने हैं, वे सब कानून संसद ने बनाए हैं। संविधान निर्माता डॉ. बीआर आंबेडकर ने संविधान में यह व्यवस्था दी है। 
Delhi को पूर्ण राज्य की मांग करना, डॉ आंबेडकर की विद्वता पर सवाल उठाना है। इससे पहले आम आदमी पार्टी, Delhi को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठा चुकी है। 1947 में जब स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का निर्माण हो रहा था, तो उस वक्त Delhi को भी पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात सामने आई थी। 
संविधान सभा ने इस मामले में पट्टाभि सीतारमैया की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की। कमेटी की रिपोर्ट में Delhi को पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर सहमति बनी। यह रिपोर्ट जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जरिए डॉ. आंबेडकर तक पहुंची तो उन्होंने इसे खारिज कर दिया। डॉ. आंबेडकर का कहना था कि भारत की राजधानी पर Delhi राज्य का अधिकार नहीं हो सकता है। 
Delhi को लेकर केंद्र Govt. ही कानून पास करेगी। इसमें राज्य का कोई दखल नहीं होगा। 1987 में Delhi को पूर्ण राज्य बनाने के लिए बालाकृष्णन कमेटी बनी। कमेटी ने कहा, कानून व्यवस्था में कोई बदलाव Delhi के हित में नहीं है। इसके बाद Delhi Govt. और अफसरों के बीच हुए टकराव के बाद केंद्र ने संसद के जरिए एनसीटी Govt. (संशोधन) अधिनियम 2021 लागू कर दिया। इसमें चुनी हुई Govt. के ऊपर उपराज्यपाल को प्रधानता दी गई।

संविधान की बंदिशों को तोड़ने का प्रयास
बतौर एसके शर्मा, Kajriwal Govt. उन बंदिशों से बाहर निकलने का प्रयास करते रहे, जिनका उल्लेख भारतीय संविधान में देखने को मिलता है। शक्तियों के मसले पर कई बार हुई टकराहट के बाद केंद्र ने वह कानून लागू कर दिया, जिसके तहत Delhi Govt. का मतलब 'उपराज्यपाल' होगा। 
दरअसल, Delhi Govt. अन्य प्रदेशों की तर्ज पर आगे बढ़ना चाहती है। अतीत को देखें तो Delhi एक केंद्र शासित प्रदेश रहा है। जिस तरह पुडुचेरी में यह मांग आई कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधि भी Govt. में होने चाहिए, वैसे ही Delhi में एक सिस्टम बना दिया गया। विधानसभा का गठन कर एलजी की सलाह से शासन करने की प्रथा शुरू हो गई। हालांकि Kajriwal Govt., पंजाब, हरियाणा या उत्तर प्रदेश की तर्ज पर काम करना चाहती थी। 
Delhi की Govt. को अब कोई भी कार्यकारी फैसला लेने से पहले उपराज्यपाल की अनुमति लेनी होगी। आप Govt. से पहले जब विधानसभा में कोई बिल पेश होता था, तो 239ए के अंतर्गत वहां एलजी का नाम आता था। Delhi Govt. ने विधान सभा कार्यवाही के इस हिस्से से उपराज्यपाल शब्द ही हटा दिया। इससे तकरार बढ़ती चली गई। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के साथ उपराज्यपाल लिखा जाने लगा। जब पर सवाल उठे तो Govt. का अर्थ 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की मंत्री परिषद' लिखना प्रारंभ कर दिया गया।

क्या फर्क है अनुच्छेद 239 और 239AA में
एसके शर्मा बताते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 239 और 239AA की व्याख्या को लेकर Delhi Govt. और केंद्र Govt. के बीच शुरू से मतभेद रहा है। अनुच्छेद 239 केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। इसमें उनके अधिकार एवं सीमाएं वर्णित हैं। Delhi के लिए विशेष तौर पर 239AA जोड़ा गया है। 
इसके अनुसार, 239AA के प्रावधानों की व्याख्या उपराज्यपाल अपनी समझ के अनुसार करेंगे। Kajriwal Govt. इसे अपने तरीके से समझती रही। साल 2018 में Supreme Court ने अपने फैसले में कहा था, अनुच्छेद-239AA आखिर एक लोकतांत्रिक प्रयोग था। इसकी व्याख्या से ही तय होगा कि ये सफल रहा या नहीं। इसकी व्याख्या क्या है। इसमें Delhi को अन्य केंद्रशासित राज्यों से अलग दर्जा मिला है। इसमें यह भी लिखा है कि इसके तहत Delhi में चुनी हुई Govt. होगी, जो जनता के लिए जवाबदेह होगी। उच्चतम न्यायालय ने इनको रेखांकित कर दिया है। Delhi के उपराज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 239AA के प्रावधानों को छोड़कर अन्य मुद्दों पर निर्वाचित Govt. की सलाह पर काम करें।

Delhi में ऐसा प्रावधान रहा है
नियमों में यह बात कही गई है कि जमीन, पुलिस, कानून व्यवस्था और सर्विसेज यानी सेवा, इन चार विषयों में विधानसभा का कोई दखल नहीं होगा। लिहाजा, केंद्र शासित प्रदेश की अपनी कोई सेवा नहीं होती, इसलिए राजनिवास से इन चारों विषयों का संचालन होगा। इन पर विधानसभा, उपराज्यपाल को राय नहीं देगी, भले ही वह मानें या न मानें। 
बाकी विषयों के लिए एडवांस में केंद्र की अनुमति लेनी होगी। बतौर एसके शर्मा, बाकी विषयों पर Delhi विधानसभा कानून बना सकती है। राज्य या समवर्ती सूची वाले विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार है। इसके लिए एडवांस में केंद्र की अनुमति लेनी होती है। 'आप' Govt. से पहले Delhi में जो Govt. रही हैं, वे कानून बनाने से पहले केंद्र की अनुमति लेती थीं, इसलिए उनका केंद्र के साथ विवाद नहीं हुआ। कई मसलों पर केंद्र, एलजी और राष्ट्रपति तक का अपमान हुआ। लोकपाल के बिल को लेकर जो कुछ हुआ, वह सभी ने देखा था।

दुनिया के कई देशों में लागू है यह व्यवस्था
Supreme Court ने 11 मई को दिए अपने एक फैसले में राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण, Delhi Govt. को सौंप दिया था। अब केंद्र Govt. ने संविधान पीठ के फैसले की समीक्षा के लिए Supreme Court का दरवाजा खटखटाया है। 
इसके अलावा केंद्र Govt., राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए एक अध्यादेश ले आई। इसके जरिए ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार, दोबारा से उपराज्यपाल के पास चला गया है। केंद्र Govt. के सूत्रों का कहना है कि ऐसी व्यवस्था दुनिया के कई देशों में लागू है। 
अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी, जर्मनी की राजधानी बर्लिन और फ्रांस की राजधानी पेरिस में भी Delhi जैसी व्यवस्था बताई गई है। Delhi बड़ी संख्या में राजनयिक मिशनों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मेजबानी करती है। ऐसे में केंद्र Govt. का नियंत्रण, विदेशी Govt. के साथ प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करता है। इन राजनयिक संस्थाओं के सुचारू संचालन की सुविधा भी प्रदान करता है।