logo

ममता-केजरीवाल भी चलेंगे अखिलेश वाला सियासी दांव! क्या कांग्रेस के लिए चुनौती बन गया 'सीट वाला' बयान?

 
ममता-केजरीवाल भी चलेंगे अखिलेश वाला सियासी दांव! क्या कांग्रेस के लिए चुनौती बन गया 'सीट वाला' बयान?

Mhara Hariyana News, New Delhi : समाजवादी पार्टी के मुखिया Akhilesh Yadav ने यह कहकर alliance में बड़ी सियासी हलचल पैदा कर दी है कि "वह सीटें मांग नहीं रहे बल्कि सीटें दे रहे हैं"। सियासी गलियारों में कहा यही जा रहा है कि अगर Akhilesh Yadav की तर्ज पर ही अन्य राज्यों के प्रमुख विपक्षी दल चलने लगे तो Congress के लिए आने वाले Loksabha चुनाव में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि जो स्थिति विपक्षी alliance में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की है वही पश्चिम बंगाल में Mamta बनर्जी की पार्टी तृणमूल Congress की है। 

उसी तरह Delhi में Aam Aadmi Party के नेता Arvind Kejriwal की है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि "अगर जिस राज्य में alliance में शामिल दलों का सबसे बड़ा जनाधार होगा वहां पर उसको सबसे ज्यादा सीटें मिलेंगी" के फॉर्मूले पर टिकट बंटवारे की स्थिति बनी तो Congress के लिए व्यक्तिगत तौर पर बड़ी चुनौतियां आ सकती हैं। 

हालांकि शुरुआती दौर में जिस राज्य में जिसकी सबसे ज्यादा बड़ी पार्टी होगी उसी आधार पर INDIA alliance में टिकटों के बंटवारे की मांग भी हुई थी। वहीं Congress और समजावादी पार्टी के नेताओं का कहना है कि पूरा विपक्ष इस वक्त एकजुट होकर चुनाव की तैयारी में है। सीटों के बंटवारे को लेकर किसी भी तरह का कोई मतभेद नहीं है।

समाजवादी पार्टी के मुखिया Akhilesh Yadav ने जिस तरीके से अपनी पार्टी को आगे रखते हुए यह बयान दिया कि वह टिकट मांग नहीं रहे हैं, बल्कि दे रहे हैं। उसके सियासी गलियारों में तमाम मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला कहते हैं कि Akhilesh Yadav का यह बयान उस आधार पर दिया गया है जिस पर alliance की नींव रखते वक्त टिकटों के बंटवारे की चर्चा हुई थी। 

शुक्ला कहते हैं कि तब तक यही हुआ था कि जिसकी जिस राज्य में सबसे ज्यादा सीटें होंगी या सबसे बड़ा दल होगा उसकी हिस्सेदारी Loksabha के चुनाव में टिकटों के लिहाज से सबसे ज्यादा होगी। अब अगर Akhilesh Yadav उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा सीटें ले रहे हैं या वह यह कह रहे हैं कि वह सीटें किसी से मांग नहीं रहे बल्कि दे रहे हैं तो इसमें गलत क्या है। 

उनका कहना है कि Congress का उत्तर प्रदेश में इस वक्त उतना वजूद नहीं है कि वह समाजवादी पार्टी के लिए सीटों का ऑफर कर सके। Congress के लिए यही सबसे बड़ी चुनौती भी है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जिस तरीके से Akhilesh Yadav ने टिकट बंटवारे पर बयान दिया है उस बयान का असर देश के अलग-अलग राज्यों में भी देखाने को मिल सकता है। राजनीतिक विश्लेषक उमाकांत दुबे कहते हैं कि पश्चिम बंगाल में Mamta बनर्जी विपक्ष की सबसे बड़ी नेता है और राज्य में उनकी ही सरकार है।

 अगर Akhilesh Yadav के इस बयान को टिकटों के बंटवारे से पहले का बड़ा सियासी स्ट्रोक माना जाए तो पश्चिम बंगाल में उत्तर प्रदेश में Akhilesh Yadav की तरह Mamta बनर्जी की सबसे बड़ी दावेदारी और भागीदारी होनी चाहिए। 

इसी तरह Delhi में Arvind Kejriwal विपक्ष में बड़ी पार्टी के तौर पर सबसे बड़े नेता हैं और सरकार भी उनकी है। दुबे कहते हैं कि यह मांग INDIA alliance के दौरान उठी थी कि जिस राज्य में alliance का सहयोगी दल सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर होगा उसकी उतनी ही सीटें मिलनी चाहिए। हालांकि इस पर आम सहमति तो नहीं बनी थी लेकिन इस मांग के उठने और Akhilesh Yadav के टिकट मांगने की बजाय टिकट देने वाले बयान को जोड़कर देखा जा रहा है।

वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला कहते हैं कि अगर alliance के नेताओं के इन बयानों को देखा जाए तो स्पष्ट होता है कि Congress के लिए निजी तौर पर कई राज्यों में बड़ी चुनौतियां सामने नजर आ रही हैं। जैसे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी Congress के लिए बड़ी चुनौती बनकर टिकटों के बंटवारे के लिहाज से खड़ी है। 

ठीक उसी तरह पश्चिम बंगाल में तृणमूल Congress भी Congress के लिए टिकटों के बंटवारे के लिहाज से बड़ी चुनौती है। Aam Aadmi Party का टिकटों के बंटवारे को लेकर पहले से ही टकराहट सामने आ चुकी है। 
Delhi में जहां Aam Aadmi Party सभी सीटों पर मजबूत तैयारी के साथ आगे बढ़ रही है। वहीं Congress लगातार यह दावा कर रही है कि 2019 के Loksabha चुनाव में उनकी पार्टी दूसरे नंबर की सबसे बड़ी पार्टी रही थी। 

इसलिए Delhi में टिकट बंटवारे के लिहाज से उसकी दावेदारी को किसी भी स्तर पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए। बृजेश शुक्ला कहते हैं कि इसी तरह बिहार में भी Congress सीटों को देने की बजाय लेने की स्थिति में ही नजर आ रही है। 

हालांकि महाराष्ट्र में पहले से चल रहे हैं महाअगाड़ी alliance के चलते बहुत सी परिस्थितियां अन्य राज्यों की तुलना में सामान्य है। लेकिन चुनौतियों की लिहाज से Congress वहां भी अपनी मनमर्जी से सीटों को देने की स्थिति में नहीं है।

हालांकि, इस पूरी सियासत पर Congress पार्टी के नेताओं का कहना है कि Akhilesh Yadav के बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की ओर से तमाम तरह के नैरेटिव गढ़े जा रहे हैं। Congress पार्टी के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत कहते हैं की Akhilesh Yadav अगर उत्तर प्रदेश में सीटों को मांगने की बजाय सीटों को छोड़ने की बात कर रहे हैं तो उसमें गलत क्या कह रहे हैं। 

समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में विपक्षी alliance INDIA की सबसे बड़ी पार्टी है। अगर वह सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ती भी है तो अंततः उसका फायदा INDIA को ही होने वाला है। Congress के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि Akhilesh Yadav ने इस दौरान यह भी कहा कि सीटों के बंटवारे पर विपक्षी दल एक होकर आपसी सामंजस्य के साथ सीटों का बंटवारा करेंगे। 

इसलिए यह कहना कि Akhilesh Yadav इस बयान से बड़ा सियासी संकट खड़ा हो गया है तो यह महज भारतीय जनता पार्टी की अपनी एक सोच हो सकती है।

समाजवादी पार्टी के राज्यसभा MP और विपक्षी दलों के कोऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्य जावेद अली कहते हैं कि सवाल सीटों की संख्या का है ही नहीं। वह कहते हैं कि सिर्फ इसे एक मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है। 

जावेद अली कहते हैं कि विपक्षी alliance INDIA मजबूत स्थिति में है और सीटों के बंटवारे को लेकर किसी भी तरीके का कोई विवाद है ही नहीं। टिकट चाहे सबसे ज्यादा समाजवादी पार्टी को मिले या Congress पार्टी को। तृणमूल Congress को मिले या Aam Aadmi Party को। जेडीयू, राजद और शिवसेना समेत राकपा को मिले या alliance के किसी अन्य सहयोगी को मिले। 
लेकिन जो भी सीटें जिसको मिलेगी उसके आए परिणाम अंततः INDIA alliance को ही मजबूत करेंगे। इस चुनाव में सीटें किसको कितनी मिलेंगी यह बड़ा सवाल किसी तरह से नहीं है।