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सरकार के साथ चौथे दौर की वार्ता टूटी, सरपंचों का 17 मार्च को विधानसभा घेराव का ऐलान

The fourth round of talks with the government broke down, Sarpanchs announced assembly siege on March 17
 
सरकार के साथ चौथे दौर की वार्ता टूटी, सरपंचों का 17 मार्च को विधानसभा घेराव का ऐलान

Mhara Hariyana News, Chandigarh। 
हरियाणा सरकार और सरपंचों के बीच ई-टेंडरिंग के समाधान को लेकर चल रही चौथी वार्ता भी टूट गई है। वीरवार देर रात तक चली बैठक के बावजूद शुक्रवार सुबह इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। 
सुबह सरपंचों की सीएम के साथ दोबारा बैठक नहीं हुई और न ही अगली बैठक के आयोजन का तिथि तय हो सकी। ई टेंडरिंग और राइट टू रीकॉल पर कोई सहमति नहीं बनने से देर शाम सरपंचों की प्रदेशस्तरीय कार्यकारिणी ने 17 मार्च को विधानसभा के घेराव का ऐलान किया है। सरपंचों का कहना है कि सरकार के साथ उनकी किसी भी बात पर सहमति नहीं बनी है, अब आंदोलन तेज किया जाएगा।

इससे पहले, वीरवार रात सीएम मनोहर लाल ने कहा कि था ज्यादातर मांगों पर सहमति बन गई और शुक्रवार सुबह 9.30 बजे फिर सरपंचों के साथ बैठक होगी। लेकिन सीएम प्रस्तावित कार्यक्रमों के तहत राजभवन और उसके बाद करनाल चले गए।  

शाम तक सरपंचों ने मुख्यमंत्री से बैठक के लिए का इंतजार किया, लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ी। जब सीएम की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिला तो शाम को सरपंच एसोसिएशन ने एमएलए हास्टल में अपनी बैठक की और आंदोलन जारी करने का ऐलान कर दिया। सरपंचों ने 11 मार्च को करनाल में सीएम आवास घेराव का कार्यक्रम रद कर 17 को विधानसभा घेराव की घोषणा कर दी।

सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कराने पहुंचे नरवाल, नहीं बनी बात
शाम को डीआईजी ला एंड आर्डर ओपी नरवाल और सीएम के पब्लिसिटी ओएसडी तरूण भंडारी एमएलए हास्टल पहुंचे। यहां सरपंचों के साथ बैठक हुई। 
भंडारी ने सरपंचों से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के लिए कहा, लेकिन सरपंचों ने इंकार कर दिया। सरकार की तरफ से कहा गया कि अगर सरपंच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करते हैं तो ही मुख्यमंत्री के साथ दोबारा बैठक होगी, वरना वह जा सकते हैं।

यहां बिगड़ी बात
एक तो सरकार की तरफ से साफ कर दिया गया कि राइट टू रीकाल एक्ट को वापस नहीं लिया जाएगा। दूसरा, मुख्यमंत्री ने सरपंचों को 2 लाख की बजाय पांच लाख रुपये की पावर देने पर भी सहमति जता दी थी लेकिन इसमें शर्त लगा दी कि सरपंच साल में केवल पांच बार ही 5 लाख की शक्ति (25 लाख) का प्रयोग कर सकेंगे, जबकि सरपंच इसे दस बार देने पर अड़े रहे। सुबह सरपंचों ने इसी पर फैसला करके सरकार को बताना था, लेकिन सरपंचों में इसको लेकर सहमति नहीं बन सकी।

विधानसभा घेराव का ऐलान
सरपंचों ने 17 मार्च को विधानसभा घेराव का ऐलान तो कर दिया, लेकिन विधानसभा तक कैसे पहुंचेंगे इसकी कोई तैयारी सरपंचों ने नहीं की है। इससे पहले एक मार्च को सरपंचों ने सीएम आवास घेराव का ऐलान किया था, लेकिन पंचकूला में ही सरपंचों को रोक लिया गया और लाठीचार्ज करना पड़ा था। अब देखना यह है कि सरपंच चंडीगढ़ पहुंचते हैं या फिर दोबारा से पंचकूला में अपना डेरा डालेंगे।

सरकार सरपंचों की बात सुनने को तैयार नहीं है। हम बड़े खुले दिल के साथ आए थे, मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात भी रख दी थी। सरकार ने भरोसा दिया था कि सुबह दोबारा बैठक होगी, लेकिन बैठक नहीं हुई। 
सरकार जरबरदस्ती करने की कोशिश कर रही है, इसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा। इसलिए 17 मार्च को विधानसभा का घेराव किया जाएगा। हम गांव गांव जाकर सरकार की कारगुजारियां बताएंगे। -रणबीर सिंह समैण, प्रदेशाध्यक्ष, सरपंच एसोसिएशन।