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Azam Khan की गठबंधन की प्रतिष्ठा दांव पर, सपा और BJP गठबंधन की रणनीति की भी होगी परीक्षा

 
Azam Khan की गठबंधन की प्रतिष्ठा दांव पर, सपा और BJP गठबंधन की रणनीति की भी होगी परीक्षा
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Mhara Hariyana News, Muradabad
रामपुर की स्वार विधानसभा सीट पर उपElection को लेकर राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि इस सीट का Election परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन इसका असर 2024 के लोकसभा Election पर दिखाई देगा। क्योंकि इससे यह तस्वीर साफ हो जाएगी की अल्पसंख्यक Voter किसके साथ है।

रामपुर की स्वार विधानसभा सीट पर उपElection में सपा नेता Azam Khan के साथ-साथ BJP गठबंधन की प्रतिष्ठा दांव पर है। उपElection में भले ही अपना दल (एस) का प्रत्याशी मैदान में है, लेकिन उसको BJP का समर्थन तो है ही। निकाय Election की वजह से इस उपचुनाव का शोर कुछ कम रहा हो लेकिन इसके परिणाम का असर 2024 के लोकसभा Election पर भी पड़ेगा।

विधानसभा चुनाव में अब्दुल्ला खान विजयी रहे थे
अल्पसंख्यक बहुल स्वार विधानसभा सीट से 2022 के विधानसभा Election में Azam Khan के पुत्र अब्दुल्ला आजम ने जीत हासिल की थी। मुरादाबाद की कोर्ट से दो साल की सजा मिलने के बाद 15 फरवरी 2023 को उनकी विधायकी रद्द कर दी गई थी। इसके बाद इस सीट पर कर्नाटक विधानसभा के Election के साथ उपचुनाव कराए जाने का एलान Election आयोग ने किया। 

अपना दल ने अहम अंसारी को बनाया प्रत्याशी
कांग्रेस, बसपा और आम आदमी पार्टी ने उप चुनाव में भाग लेने से इन्कार कर दिया। BJP ने यह सीट अपना दल (एस) के लिए छोड़ दी। अपना दल (एस) ने स्वार के पूर्व पालिकाध्यक्ष शफीक अहमद अंसारी को अपना प्रत्याशी घोषित किया। सपा ने आखिरी वक्त पर अपने पत्ते खोले और नामांकन दाखिल करने की समय सीमा समाप्त होने के लगभग आधा घंटा पहले अनुराधा चौहान को प्रत्याशी घोषित कर सबको चौका दिया।

अपना दल (एस) से मुस्लिम प्रत्याशी और सपा से हिंदू उम्मीदवार के मैदान में आने से इस सीट के सियासी समीकरण बदल गए। BJP और सपा के वरिष्ठ नेताओं ने उपElection में प्रचार करने से दूरी बनाए रखी।

लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा जीत का असर 
सपा प्रत्याशी की ओर से Election प्रचार की कमान Azam Khan संभाले रहे तो अपना (एस) के प्रत्याशी की ओर से प्रदेश से सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर। राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि इस सीट का Election परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन इसका असर 2024 के लोकसभा Election पर दिखाई देगा। क्योंकि इससे यह तस्वीर साफ हो जाएगी की अल्पसंख्यक Voter किसके साथ है।