घोसी में करारी हार के बाद ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान का क्या होगा?
Mhara Hariyana News, Lucknow : घोसी Byelection के ऐसे नतीजे की कुछ शीर्ष BJP नेताओं ने कल्पना नहीं की थी। वहीं समाजवादी पार्टी के रणीनीतिकारों को इतनी ही बड़ी जीत मिलने की उम्मीद थी। यह उम्मीद पालने वालों में पूर्व CM अखिलेश यादव, Shivpal Singh यादव और अखिलेश के करीबी संजय लाठर थे।
सुधाकर सिंह जीत गए। Dara Singh Chauhan और सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर की कोशिशें काम नहीं आईं। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी इसे इंडिया गठबंधन की जीत बताते हैं। लेकिन सियासी तौर पर इसे केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उपCM केशव प्रसाद मौर्या की रणनीतिक हार के तौर पर देखा जा रहा है।
लोकभवन के सूत्र बताते हैं कि Byelection का मतदान होने से पहले ही CM योगी आदित्यनाथ को पता था कि Dara Singh Chauhan चुनाव हार जाएंगे। हारेंगे ही नहीं बल्कि बड़े अंतर से हारेंगे। इस तरह की संभावना को मान लेने में समाजवादी पार्टी के संजय लाठर को भी कोई संकोच नहीं है।
बनारस के रहने वाले गाजीपुर मूल के BJP के एक बड़े नेता ने कहा कि Dara Singh Chauhan दल बदलू थे। उन्हें पता नहीं क्यों टिकट मिला। यह तो हमारे नेताओं का निर्णय था। दूसरे, Omparkash राजभर को भी न जाने क्यों एनडीए में लाया गया। सूत्र का कहना है कि वह चुके हुए नेता हैं। ऐसे में तो हारना ही था।
विधानसभा का सत्र, Shivpal Singh यादव और CM योगी की हंसी
कुछ ही समय पहले उ.प्र. विधानसभा सत्र के दौरान Shivpal Singh यादव ने CM योगी आदित्यनाथ को हंसते हुए एक सुझाव दिया था कि वह Omparkash राजभर को जल्द से जल्द मंत्रिमंडल में शामिल कर लें और अगर ऐसा नहीं करेंगे तो राजभर फिर हमारे साथ आ जाएंगे। इस पर CM योगी आदित्यनाथ अपनी हंसी नहीं रोक पाए थे।
राजनीति के सधे शिवपाल का यह तीर ठीक निशाने पर था। इसके मायने भी निकाले गए कि CM योगी आदित्यनाथ Omparkash राजभर के एनडीए में शामिल होने से खुश नहीं थे। बताते हैं कि एनडीए में Omparkash राजभर को लाने की जमीन उपCM केशव प्रसाद मौर्या ने तैयार की थी।
Omparkash राजभर कई बार उप CM बृजेश पाठक से भी मिल चुके थे। Dara Singh Chauhan को लेकर भी CM योगी की अपनी राय थी। लेकिन केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की निगाह राजनीतिक मैक्रोमैनेजमेंट पर थी जो अन्य पिछड़ा वर्ग, दलितों, गैर जाटव आदि को जोड़कर 2014 और 2017 जैसी राजनीतिक पृष्ठभूमि खड़ा करने पर केन्द्रित है। इसके सामानांतर CM योगी आदित्यनाथ 2022 के चुनाव से पहले साथ छोड़ने और भला बुरा कहने वालों पर सीमित राय रख रहे थे।
अब क्या होगा Omparkash राजभर और दल बदलू Dara Singh Chauhan का?
Omparkash राजभर केन्द्रीय गृहमंंत्री अमित शाह से भेंट करने, अपनी बात रखने के बाद एनडीए में शामिल हुए थे। इसलिए उनके पास आश्वासन बड़ा है। लेकिन घोसी Byelection ने उन्हें राजनीति के जनाधार में बहुत कमजोर साबित कर दिया है। ऐसे में उन्हें इस हार की कीमत चुकानी पड़ सकती है।
दरअसल, Dara Singh Chauhan को पिछड़ी जाति का चेहरा माना जाता है। 90 के दशक में उन्होंने बसपा से राजनीति शुरू की थी। 1996 में बसपा ने राज्यसभा में भेजा था। कार्यकाल पूरा होने के पहले वह समाजवादी पार्टी में चले गए और 2000 में अगली राज्यसभा उन्हें मुलायम सिंह यादव के आशीर्वाद से मिल गई। राजनीति के मौसम विज्ञानी दारा ने 2007 का विधानसभा चुनाव आते आते बसपा का उभार देखा और फिर बसपाई हो गए।
2009 में बसपा ने घोसी सीट से टिकट दिया। जीत गए। लोकसभा सदस्य बन गए। 2014 में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी। अवसर अनुकूल था। BJP में आए और पिछड़ी जाति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। 2017 में विधानसभा चुनाव BJP के टिकट पर लड़े, विधायक बने। योगी कैबिनेट में मंत्री बने। मन नहीं माना। 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले BJP छोड़ी। तमाम आरोप लगाए। समाजवादी पार्टी में फिर शामिल हुए।
घोसी से विधानसभा चुनाव लड़ा, जीते, विधायक बने। लेकिन सरकार BJP की बन गई। 2023 में मन फिर नहीं माना। समाजवादी पार्टी छोड़ दी। BJP में चले गए। उसी सीट पर घोसी का Byelection हुआ और हार गए। Dara Singh Chauhan की तरह ही Omparkash राजभर ने भी जब चाहा राजनीतिक दल का साथ पकड़ा और जब चाहा सत्ता के करीब जाने के लिए पकड़ा।