सिद्धारमैया को ही Congress ने क्यों बनाया CM, डीके शिवकुमार कैसे छूट गए पीछे? पांच बड़े कारण

Mhara Hariyana News, New Delhi
पांच दिनों तक मंथन के बाद आखिरकार Congress ने Karnatak के नए CM का नाम फाइनल कर ही लिया। Congress के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ही Karnatak के अगले CM होंगे। उन्होंने सीएम की रेस में Karnatak Congress के अध्यक्ष डीके शिवकुमार को पीछे छोड़ दिया।
डीके शिवकुमार भी लगातार कोशिश करते रहे। इसके लिए उन्होंने Congress अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, Rahul Gandhi से लेकर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी तक से मुलाकात की, लेकिन बात नहीं बनी। सिद्धारमैया (Siddaramaiah) डीके शिवकुमार पर भारी पड़े।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि आखिर जिस चेहरे को आगे करके Congress ने पूरा चुनाव लड़ा उसे सीएम क्यों नहीं बनाया? सिद्धारमैया (Siddaramaiah) को Karnatak का CM बनाने की क्या वजह है? आखिर कैसे डीके शिवकुमार पर सिद्धारमैया (Siddaramaiah) भारी पड़े? आइए जानते हैं...
पांच कारण, जिनकी वजह से डीके शिवकुमार पर भारी पड़े सिद्धारमैया (Siddaramaiah)
1. सिद्धारमैया (Siddaramaiah) को मिला ज्यादातर विधायकों का साथ :
इस चुनाव में Congress ने 135 सीटों पर जीत हासिल की है। बताया जाता है कि विधायक दल की बैठक में 95 विधायकों ने खुलकर सिद्धारमैया (Siddaramaiah) का नाम लिया। मतलब विधायक सिद्धारमैया (Siddaramaiah) को ही CM बनाना चाहते हैं। ऐसे में अगर Congress ने सिद्धारमैया (Siddaramaiah) की जगह डीके शिवकुमार को CM बना दिया होता तो संभव है कि आगे चलकर सिद्धारमैया (Siddaramaiah) बगावत कर सकते थे।
2. डीके शिवकुमार पर मुकदमों की मुसीबत :
दूसरा सबसे बड़ा कारण डीके शिवकुमार पर चल रहे मुकदमे हैं। Congress के लिए सबसे बड़ी चिंता यही रही कि डीके शिवकुमार के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। इस बीच, Karnatak के डीजीपी को ही सीबीआई का नया डायरेक्टर भी बना दिया गया है।
कहा जाता है कि सीबीआई के नए डायरेक्टर डीके शिवकुमार को करीब से जानते हैं। दोनों के बीच बिल्कुल नहीं बनती है। ऐसे में Congress को लगा कि अगर डीके शिवकुमार को सीएम बना दिया जाता है तो सीबीआई उनकी पुरानी फाइलों को खोल देगी, जिसका नुकसान सरकार को उठाना पड़ेगा।
3. पिछड़े वर्ग में सिद्धारमैया (Siddaramaiah) की मजबूत पैठ:
ये सबसे बड़ा कारण है। सिद्धारमैया (Siddaramaiah) की पकड़ हर तबके में काफी अच्छी है। खासतौर पर दलित, पिछड़े और मुसलमानों के बीच वह काफी लोकप्रिय हैं।
ऐसे में अगर सिद्धारमैया (Siddaramaiah) को Congress ने CM नहीं बनाया होता तो संभव है कि वह पार्टी के खिलाफ जा सकते थे। ऐसी स्थिति में Congress के हाथों से दलित, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग का एक बड़ा वोट बैंक भी खिसक सकता था।
4. लोकसभा चुनाव पर फोकस :
2013 और फिर 2018 में सरकार बनाने के बावजूद लोकसभा चुनाव में Congress का परफॉरमेंस ठीक नहीं था। ऐसे में इस बार पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। सिद्धारमैया (Siddaramaiah) को पार्टी और सरकार दोनों ही चलाने का अनुभव है। Karnatak में लोकसभा की 28 सीटें हैं, जिसमें से 2019 में Congress को सिर्फ एक सीटें मिली थी।
खुद Congress अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी गुलबर्गा से चुनाव हार गए थे। ऐसे में अब जब फिर से सूबे में सरकार बन चुकी है तो Congress ने इस बार ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य बनाया है। इसके लिए पार्टी हाईकमान को सिद्धारमैया (Siddaramaiah) का चेहरा ज्यादा मजबूत समझ में आया।
5. सिद्धारमैया (Siddaramaiah) का 'अहिन्दा' फॉर्मूला :
सिद्धारमैया (Siddaramaiah) लंबे समय से अल्पसंख्यातारु (अल्पसंख्यक), हिंदूलिद्वारू (पिछड़ा वर्ग) और दलितारु (दलित वर्ग) फॉर्मूले पर काम कर रहे थे। अहिन्दा समीकरण के तहत सिद्धारमैया (Siddaramaiah) का फोकस राज्य की 61 प्रतिशत आबादी है। 2004 से ही वह इस फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं और काफी हद तक ये सफल भी रहा।
ये ऐसा फॉर्मूला है, जिसमें अल्पसंख्यक, दलित, पिछड़ा वर्ग के वोटर्स को एक साथ लाया जा सकता है। Karnatak में दलित, आदिवासी और मुस्लिमों की आबादी 39 फीसदी है, जबकि सिद्धारमैया (Siddaramaiah) की कुरबा जाति की आबादी भी सात प्रतिशत के आसपास है।
2009 के बाद से Congress Karnatak में इसी समीकरण के सहारे राज्य की राजनीति में मजबूत पैठ बनाए हुई है। यही कारण है कि Congress इसे कमजोर नहीं करना चाहती है।
सिद्धारमैया (Siddaramaiah) का ये फैक्टर भी काम कर गया
चुनाव से पहले ही सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ने एलान कर दिया था कि ये उनका आखिरी चुनाव है। इसके बाद वह राजनीति में तो रहेंगे, लेकिन कोई पद नहीं सभालेंगे। चुनाव के बाद भी हाईकमान के सामने उन्होंने यही दांव खेला। उन्होंने कहा कि वह इसके बाद कोई पद नहीं लेंगे। ऐसे में आखिरी बार उन्हें मौका दिया जाना चाहिए।
पार्टी को भी ये बात ठीक लगी। ऐसा इसलिए भी क्योंकि Karnatak में अब बीएस येदियुरप्पा के बाद सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ही सबसे वरिष्ठ नेता हैं। ऐसे में पार्टी को उनके अनुभव का फायदा मिल सकता है।