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'सीमा पार से आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेंगे', बिलावल के सामने भारत की सीधी बात

 
'सीमा पार से आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेंगे', बिलावल के सामने भारत की सीधी बात 

Mhara Hariyana News, New Delhi

भारत के विदेश मंत्री डॉ एस Jaishankar ने शुक्रवार को पणजी में विदेश मंत्रियों की SCO परिषद की बैठक को संबोधित किया। SCO समिट में एस Jaishankar ने terrorism का मुद्दा उठाया। उन्होंने Pak, चीन समेत सभी SCO सदस्य देशों के सामने साफ कर दिया कि भारत सीमा पार से terrorism बर्दाश्त नहीं करेगा।

उन्होंने कहा, हम सबको मिलकर terrorism से लड़ना होगा। terrorism को अभी भी हराया नहीं जा सका। terrorism से मुकाबला हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है।

क्या कहा विदेश मंत्री एस Jaishankar ने?
''एससीओ अध्यक्ष के रूप में हमने एससीओ ऑब्जर्वर और संवाद भागीदारों को 14 से अधिक सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित करके उनके साथ एक अभूतपूर्व जुड़ाव शुरू किया है।''

  • 'terrorism रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हमारा दृढ़ विश्वास है कि terrorism का कोई औचित्य नहीं हो सकता है। इसे सीमा पार terrorism समेत इसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में रोका जाना चाहिए। terrorism का मुकाबला करना SCO के मूल जनादेशों में से एक है।''
  •  Jaishankar ने Pak का नाम लिए बिना कहा,' 'जब दुनिया कोविड से लड़ रही थी, terrorism का खतरा बेरोकटोक जारी था, इसमें सीमा पार terrorism भी शामिल था।''
  • - इससे पहले विदेश मंत्री डॉ एस Jaishankar ने पणजी में विदेश मंत्रियों की SCO परिषद की बैठक के लिए रूस, भारत, चीन, Pak, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों का स्वागत किया।

चीन- रूस से भारत की द्विपक्षीय वार्ता

भारत के विदेश मंत्री एस Jaishankar भी एससीओ के इतर गोवा में चीन के विदेश मंत्री चिन गांग और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। भारत की ओर से साफ किया जा चुका है कि SCO समिट के इतर भारत और Pak के बीच द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी।

वहीं, Pak की ओर से भी कहा गया है कि बिलावल भुट्टों की यात्रा के दौरान भारत के विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता नहीं करेंगे। हालांकि, SCO के इतर बिलावल भुट्टों चीन और रूस के विदेश मंत्री के साथ बैठक कर सकते हैं। बिलावल गोवा में भारतीय मीडिया के सामने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं। माना जा रहा है कि वे इस दौरान चीन राग अलाप सकते हैं।

साल बाद भारत दौरे पर पाक विदेश मंत्री

Pak के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी एससीओ समिट में हिस्सा लेने के लिए गोवा पहुंचे हैं।Pak के किसी विदेश मंत्री की 12 साल में यह पहली यात्रा है। इससे पहले हिना रब्बानी जुलाई 2011 में शांतिवार्ता के लिए भारत दौरे पर आई थीं।

अपनी यात्रा से पहले बिलावल भुट्टो ने एक वीडियो जारी किया। इसमें उन्होंने कहा था कि मेरा भारत जाना यह पैगाम देता है कि Pak एससीओ को कितनी अहमियत देता है। 

भारत ने भेजा था न्योता
भारत ने प्रोटोकॉल के तहत एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों को समिट में शामिल होने के लिए न्योता भेजा था। इन देशों में Pak और चीन भी शामिल हैं। वैसे PM नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि बिलावल नहीं आएंगे, हालांकि उन्होंने समिट में शामिल होने का फैसला किया है। बिलावल जरदारी भुट्टो ने दिसंबर में न्यू यॉर्क में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान PM मोदी पर विवादित टिप्पणी की थी।

क्या है एससीओ?
SCO की स्थापना 15 जून 2001 में की गई थी। इसकी स्थापना सदस्य देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य सहयोग को बढ़ावा देने के मकसद से की गई थी। संगठन के सदस्यों में रूस, भारत, चीन, Pak, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं।

एससीओ की बैठक हर साल आयोजित की जाती है। फिलहाल भारत एससीओ का अध्यक्ष है।

बुरे दौर में भारत और Pak के रिश्ते
बिलावल भुट्टो की ये भारत यात्रा ऐसे वक्त पर हुई, जब दोनों देशों के बीच रिश्ते अपने सबसे बुरे दौर में चल रहे हैं। कई सालों से भारत और Pak के नेताओं ने एक दूसरे देश की यात्रा भी नहीं की। इससे पहले 2014 में Pak के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ PM मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल हुए थे।

इसके बाद 2015 में PM मोदी नवाज शरीफ की नातिन मेहरुन्निसा की शादी में Pak पहुंचे थे। इस दिन नवाज शरीफ का जन्मदिन भी था। PM ने अचानक Pak पहुंचकर उन्हें बधाई दी थी।

PM मोदी के इस दौरे को लेकर Pak की दिवंगत प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो ने उनका स्वागत किया था। उन्होंने ट्वीट कर लिखा था, 'नरेंद्र मोदी Pak में आपका स्वागत। विवादित मुद्दों को सुलझाने का एक मात्र जरिया है लगातार एक-दूसरे से जुड़े रहना। 

हालांकि, 2019 में पुलवामा हमले के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते बिगड़ते चले गए। इसके बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक और फिर जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद दोनों देशों के रिश्ते सबसे खराब दौर में पहुंच गए।