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Meghwal के प्रमोशन से BJP ने वसुंधरा को दिया ये संदेश, एक चेहरे पर भरोसा नहीं कर रहा हाईकमान

 
Meghwal के प्रमोशन से BJP ने वसुंधरा को दिया ये संदेश, एक चेहरे पर भरोसा नहीं कर रहा हाईकमान
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Mhara Hariyana News, Jaipur

कर्नाटक चुनाव खत्म होते ही BJP का फोकस अब Rajasthan, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पर हो गया है। कानून मंत्री किरेन रिजिजू को हटा कर Rajasthan से ताल्लुक रखने वाले सांसद Arjun Ram Meghwal को कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपने को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। 
Meghwal के प्रमोशन के साथ BJP ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। Rajasthan के राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे प्रदेश में आने वाले चुनाव में BJP का चेहरा नहीं होंगी इसलिए Party जाति के अंकगणित को सही करने में जुटी हुई है। 
हाल ही में Party ने जाति विशेष नेताओं को नई जिम्मेदारियां दी हैं। BJP हाईकमान ने इन नियुक्ति के जरिए प्रदेश की जनता समेत पूर्व CM को यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि Party किसी एक चेहरे साथ आगे बढ़ने का जोखिम मोल नहीं ले सकती है। इसलिए वे जातीय संतुलन को मजबूत कर रही है।  

पिछले महीने Jaat नेता को हटा कर एक ब्राह्मण चेहरे को चुना था
पिछले महीने ही Party ने राज्य इकाई का नेतृत्व करने के लिए Jaat नेता को हटा कर एक ब्राह्मण चेहरे को चुना था। वहीं हाल ही में एक अन्य राजपूत नेता के कद को बढ़ाकर Party ने राजनीतिक रूप से शक्तिशाली राजपूत समुदाय को साधने का प्रयास किया है। प्रदेश के राजनीतिक जानकारों की मानें, तो प्रदेश के नेताओं का केंद्र सरकार में प्रमोशन हो या फिर संगठन के अहम पदों पर नियुक्तियां संगठनात्मक कम और Rajasthan के जातीय गणित को साधने वाली ज्यादा लगती हैं। 
पिछले दो माह ने BJP ने फेरबदल कर Rajasthan में अपनी सोशल इंजीनियरिंग पटरी पर लाने की कोशिश की है। साथ ही ये नियुक्तियां कई सियासी संकेत भी देती हैं।

इसलिए पूर्व CM को मिली थोड़ी राहत
Rajasthan में बड़ी संख्या में दलित और खासकर Meghwal आज भी कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीटों पर BJP इनकी मदद से जीत हासिल कर लेती है। ऐसे में जनता के बीच Arjun Ram Meghwal को दलित चेहरा बनाने की बात तय मानी जा रही थी, लेकिन इन्हें केंद्र में ही बड़ी जिम्मेदारी दे दी गई है। 
Meghwal के प्रमोशन के बाद वसुंधरा गुट को झटका भी लगा है। लेकिन राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना कि इस प्रमोशन से उन्हें राहत मिली है। क्योंकि वसुंधरा राजे के लिए उनका गुट लंबे समय से कैंपेन कमेटी के मुखिया के पद की आस लगाए बैठा है। इससे पहले Rajasthan की राजनीति में चर्चा थी कि Meghwal को केंद्र की राजनीति से हटा कर Rajasthan भेजा जाएगा। वहां इलेक्शन कैंपेन कमेटी का उन्हें चेयरमैन बनाया जाएगा।

क्यों अहम है Meghwal?
Rajasthan में दलित करीब 16 फीसदी हैं, और इसमें 60 फीसदी आबादी Meghwalों की है। विधानसभा में सीटों की गणित की बात करें तो 200 में से 34 सीटें एससी और 25 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। प्रदेश में दलित वोटर्स BJP का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। 
पिछले तीन विधानसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि जिस दल ने एससी और एसटी सीटों पर कब्जा किया सरकार उसी की बनी। ऐसे में Meghwal को बड़ी जिम्मेदारी मिलना इन वोटर्स को अपनी तरफ रखने की कोशिश हो सकती है। Meghwal प्रदेश की बीकानेर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। 
इसी के पास श्रीगंगानगर लोकसभा सीट पर भी BJP के दलित सांसद निहालचंद Meghwal छह बार से लोकसभा सीट जीत रहे हैं। निहालचंद को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। लेकिन बालात्कार के आरोप के चलते उन्हें हटाकर Arjun Ram Meghwal को मंत्री बनाकर जातीय संतुलन बनाया गया था। 
हालांकि Arjun Ram Meghwal सरकारी अफसर थे। वे वीआरएस लेकर राजनीति में आए थे। इसलिए जनता में उनकी पकड़ थोड़ी कमजोर है। लेकिन उनकी सांगठनिक दृष्टि बहुत मजबूत है। इसलिए BJP ने Rajasthan चुनाव के लिए बनाई अपनी कोर कमेटी में भी इन्हें शामिल किया है।

लोकसभा अध्यक्ष, उप राष्ट्रपति से भी सध रहे जातिगत समीकरण 
प्रदेश में ब्राह्मण, वैश्य और क्षत्रिय, ये BJP का कोर वोटर है। यही वजह है कि चुनाव से ठीक पहले अब BJP की सोशल इंजीनियरिंग इसी दिशा में नजर आ रही है। एक ओर जहां सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की है। वहीं, दूसरी ओर राजेंद्र राठौड़ को चुनाव से ठीक पहले नेता प्रतिपक्ष बनाकर राजपूतों को भी अपनी तरफ करने का प्रयास किया है। 
राठौड़ के अलावा फिलहाल Rajasthan में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत प्रदेश के बड़े राजपूत चेहरे हैं। वहीं Rajasthan में ओम बिड़ला और गुलाबचंद कटारिया को अहम पद देकर BJP ने वैश्यों को पहले ही साधा हुआ है। ओम बिड़ला जहां लोकसभा अध्यक्ष हैं, वहीं गुलाबचंद कटारिया को हाल ही में असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। इसके अलावा Rajasthan से घनश्याम तिवाड़ी ब्राह्मण चेहरे के रूप में राज्यसभा के सदस्य हैं।

Rajasthan में जाति के तौर पर Jaat समाज का बड़ा प्रभाव है। यही वजह है कि BJP ने वर्तमान में कई अहम पदों पर Jaat नेताओं को बिठाया है। प्रदेश अध्यक्ष के बाद सतीश पूनिया को उपनेता प्रतिपक्ष बनाया है। वहीं, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इसी जाति से आते हैं और वे Rajasthan के रहने वाले हैं। 
केंद्रीय मंत्री के रूप में कैलाश चौधरी Rajasthan में Jaat समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। प्रदेश में आदिवासी समुदाय में मीणा सबसे बड़ा वोट बैंक है। इसी के चलते डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को Rajasthan से राज्यसभा सांसद बनाया हुआ है। कुल मिलाकर 12 फीसदी वोट बैंक Rajasthan में आदिवासियों का है, मगर सांसद के अलावा इस समुदाय के पास फिलहाल कोई खास प्रतिनिधित्व BJP में अब तक नहीं है।

बड़े नेताओं में अब वसुंधरा ही बाकी
BJP ने एक-एक कर तमाम बड़े नेताओं के बीच संतुलन साधते हुए उन्हें अलग-अलग पदों पर नियुक्त कर दिया है। जबकि आने वाले दिनों में कुछ नेताओं को भी नियुक्ति होने की संभावना है। ऐसे में प्रमुख नेताओं में अब सिर्फ वसुंधरा राजे ही हैं, जिन्हें लेकर BJP हाईकमान कोई निर्णय नहीं ले सका है। 
प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे फैक्टर विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 में अहम रहेगा। ऐसे में BJP को उन्हें लेकर जल्द ही कोई ठोस निर्णय लेना पड़ेगा।