बैंकों में पड़ी लावारिस जमा राशि का पता लगाने के लिए RBI ने शुरू किया Portal

Mhara Hariyana News, New Delhi
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार (17 अगस्त, 2023) को बिना दावे वाली जमा (लावारिश जमाराशि) की खोज के लिए यूडीजीएएम (अनक्लेम्ड डिपॉजिट- गेटवे टू एक्सेस इंफॉर्मेशन) नामक केंद्रीकृत वेब Portal लॉन्च किया है। RBI ने इस प्लेटफॉर्म को उपभोक्ताओं के लिए एक ही स्थान पर कई बैंकों में बिना दावे वाली जमा की तलाश आसान करने के लिए लॉन्च किया है।
RBI की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार बैंक अपनी वेबसाइटों पर लावारिस जमाराशियों की सूची प्रकाशित करते हैं। जमाकर्ताओं और लाभार्थियों के लिए इस डेटा तक पहुंच को बेहतर और व्यापक बनाने के लिए RBI ने एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाने का फैसला किया है।
यह उपयोगकर्ता को इनपुट के आधार पर विभिन्न बैंकों में पड़े संभावित लावारिस जमा राशि की खोज करने के लिए सक्षम बनाएगा। 6 अप्रैल, 2023 को जारी विकासात्मक और नियामक नीतियों पर बयान के हिस्से के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक ने लावारिस जमा का पता लगाने के लिए एक केंद्रीकृत वेब सुविधा के निर्माण की घोषणा की थी।
UDGAM Portal का उद्देश्य
वेब Portal की शुरुआत के साथ ग्राहक आसानी से अपने अप्रयुक्त जमा और खातों का पता लगाने में सक्षम होंगे। इसके इस्तेमाल से वे वे या तो अपने जमा खातों को अपने व्यक्तिगत बैंकों में सक्रिय कर सकते हैं या अप्रयुक्त जमा राशि एकत्र कर सकते हैं।
RBI की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस प्लेटफॉर्म को भाग लेने वाले संस्थानों, रिजर्व बैंक सूचना प्रौद्योगिकी प्राइवेट लिमिटेड (RBI) और भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी और संबद्ध सेवाओं (आईएफटीएएस) की साझेदारी में बनाया गया था। फिलहाल ग्राहक Portal पर सूचीबद्ध सात बैंकों में मौजूद अपनी लावारिस जमा के बारे में जानकारी देख सकेंगे।
केन्द्रीयकृत वेब Portal पर उपलब्ध बैंकों की सूची
- state Bank of India
- Punjab National Bank
- Central Bank of India
- Dhanlaxmi Bank Limited
- South Indian Bank Limited
- DBS Bank India Limited
- City Bank
Portal पर शेष बैंकों के लिए खोज सुविधा 15 अक्टूबर 2023 तक शुरू की जाएगी।
अनक्लेम्ड डिपॉजिट क्या है?
"अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स" या लावारिश जमा उन बचत या चालू खातों में पड़े धन को कहते हैं जिनका उपयोग 10 वर्षों से नहीं किया गया है या ऐसे सावधि जमा में जिनका परिपक्वता तिथि के 10 वर्षों तक भुगतान नहीं किया गया है।