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शिव मंदिर में नंदी क्यों होते हैं विराजमान, इनके कान में क्यों बोली जाती हैं मनोकामनाएं?

भगवान शिव की मूर्ति के सामने नंदी विराजमान रहते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार नंदी के दर्शन करने से भी पुण्य प्राप्त होता है. भोलेनाथ के वाहन नंदी कैसे बने आइए जानें.
 
शिव मंदिर में नंदी क्यों होते हैं विराजमान, इनके कान में क्यों बोली जाती हैं मनोकामनाएं?

Mhara Hariyana Ne ws:अक्सर हम देखते हैं कि नंदी की प्रतिमा शिव परिवार के साथ या कुछ दूरी पर मंदिर के बाहर होती हैं. मंदिर में जहां भी भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की जाती है, उनके गण नंदी महाराज सदैव सामने विराजमान रहते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार जिस प्रकार भगवान शिव के दर्शन और पूजन का महत्व है, उसी प्रकार नंदी के दर्शन करने से भी पुण्य प्राप्त होता है. आइए जानते हैं भोलेनाथ के वाहन नंदी कैसे बने महादेव की सवारी?


पौराणिक कथा
शिलाद मुनि के ब्रह्मचारी हो जाने के कारण वंश समाप्त होता देख उनके पितरों को चिंता सताने लगी. मुनि योग और तप में व्यस्त रहने के कारण ग्रहस्थ आश्रम नहीं अपनाना चाहते थे. मगर अपने पितरों की चिंता भी उनसे नहीं देखी जा रही थी. शिलाद मुनि ने अपनी तपस्या से इंद्र देवता को प्रसन्न करके उनसे जन्म और मृत्यु से हीन पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगा. लेकिन इंद्र ने ऋषि को बताया कि वो वरदान को देने में अक्षम हैं, और आपको शिव जी की तपस्या करनी चाहिए, क्योंकि जन्म-मृत्यु से मुक्त होने का वरदान देने का अधिकार उन्हें ही प्राप्त है. भगवान शिव की महिमा से ऋषि शिलाद को पुत्र प्राप्त हुआ, जिसका नाम ‘नंदी’ रखा गया. भगवान शंकर ने मित्र और वरुण नाम के दो मुनि शिलाद के आश्रम में भेजे जिन्होंने नंदी के अल्पायु होने की बात कही. नंदी को जब यह ज्ञात हुआ तो वह महादेव की आराधना से मृत्यु को जीतने के लिए वन में चला गया. दिनरात तपस्या करने के बाद नंदी को भगवान शिव ने दर्शन दिए. शिवजी ने नंदी से उसकी इच्छा पूछी, तो नंदी ने कहा कि मैं पूरी उम्र सिर्फ आपके साथ ही रहना चाहता हूं. शिवजी ने उसे गले लगा लिया. शिवजी ने नंदी को बैल का चेहरा दिया और उसे अपने वाहन, अपना मित्र, अपने गणों में सबसे उत्तम रूप में स्वीकार कर लिया. इसके साथ ही भगवान ने नंदी को अमर होने का वरदान भी दिया. वहीं यह भी यह वरदान दिया कि जब भी भगवान शंकर की कोई भी प्रतिमा स्थापित की जाएगी, तो उसके सम्मुख नंदी का होना अनिवार्य होगा, वरना वह प्रतिमा अधूरी मानी जाएगी.


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