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फूलकां गौशाला में बह रही भक्ति रस की अविरल धारा

धर्म लडऩा नहीं, दूसरों के लिए जीना सिखाता है : नित्यानंद गिरी
 
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सिरसा। आजकल धर्म के नाम पर बड़ी अदला-बदली चल रही है, लेकिन असल धर्म वही है जो इन्सान को इन्सान के लिए जीना सिखाए, दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होने के लिए प्रेरित करे। यह उद्गार स्वामी सदाशिव नित्यानंद गिरी महाराज ने फूलकां गौशाला में श्रीब्रह्म पुराण कथा के छठे दिन सैकड़ों लोगों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कथा कार्यक्रम में शुक्रवार को समाजसेवी व इनैलो के युवा जिला अध्यक्ष भगवान कोटली ने विशेष अतिथि के तौर पर शिरकत की और गौशाला में 11 हजार रूपये की राशि दान की। 
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इस दौरान स्वामी नित्यानंद गिरी ने गौशाला में सेवा कार्यों में भागीदारी के लिए भगवान कोटली की खूब प्रशंसा भी की। स्वामी नित्यानंद गिरी ने धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान ने इन्सान को जिस धर्म में जन्म दिया है, उसे उसी धर्म में रहते हुए इन्सानियत के कार्य करने चाहिएं। इन्सान के लिए तप, दान और सेवा ही असल धर्म है। दया, सत्य और परहित ही धर्म है। पवित्रता, सूचिता, सद्गुण ही धर्म के असल रूप हैं। इन्सान का आत्म स्वरूप में स्थित हो जाना ही धर्म हे। लेकिन आजकल धर्म के नाम पर बहुत शोर है। किसी धर्म की निंदा आत्म कल्याण नहीं हो सकती। स्वामी गिरी ने लोगों को सचेत करते हुए कहा कि धर्म के नाम पर भटको मत, अपितु अपने अंतकरण को शुद्ध करो, अन्यथा कोई फायदा होने वाला नहीं है। केवल दिखावे से भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती। 
जीवन को विस्तारपूर्वक जीओ, क्योंकि धर्म दूसरों के लिए जीने की प्रेरणा देता है। जो लोग सत्ता के लिए धर्म के नाम का प्रयोग कर रहे हैं, उनका उद्देश्य किसी का उद्धार करना नहीं है। सिर्फ स्वार्थ सिद्धी के लिए ऐसा कर रहे हैं। नित्यानंद महाराज ने श्रीब्रह्मपुराण कथा के छठे दिन राजा कंस के अत्याचारों के बारे में बताते हुए कहा कि जीवन में दूसरों की दुवाओं लेने का प्रयास करो, ना कि बद्दुआ लो। क्योंकि गरीब की बद्दुआ आपके जीवन को कष्टों से भर सकती है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने कथा श्रवण करते हुए सुखमई जीवन के बारे में जाना।