logo

नव संवत पर डेरा बाबा सरसाईनाथ में उमड़े श्रद्धालु, नवाया शीश

मुगलकालीन है डेरा बाबा सरसाईनाथ, सिरसा का नामकरण सरसाईनाथ के नाम पर हुआ है
 
 
s

Mhara Hariyana News, Sirsa, सिरसा। नव संवत के अवसर पर परशुराम चौक के निकट स्थित डेरा बाबा सरसाईनाथ में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शीश नवाने के लिए उमड़े। श्रद्धालुओं ने बाबा की समाधि पर भगवा रंग की चादर चढ़ाई और मन्नत मांगी। नव संवत के अवसर पर डेरे को भव्य तरीके से सजाया गया है। बड़ी संख्या में सेवादारों की डयूटी लगाई गई  है। डेरा के महंत बाबा सुंदराईनाथ आने वाले भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हैं। 

मुगलकालीन है डेरा बाबा सरसाईनाथ
डेरा बाबा सरसाईनाथ मुगलकालीन है। नाथ संप्रदाय के मुख्य डेरों में से एक इस डेरे के प्रति सिरसावासियों की अगाध आस्था है। बड़ी संख्या में लोग यहां शीश नवाने के लिए आते हैं। नव संवत के अवसर पर लोग सपरिवार यहां आते हैं। मान्यता है कि बाबा सरसाईनाथ के आशीर्वाद से मुगल बादशाह शाहजहां के बेटे दारा शिकोह को यहां जीवनदान मिला था। जिसके बाद बादशाह ने डेरे में गुबंद बनवाया और ताम्रपत्र दिया, जो कि आज भी है। 

बाबा के नाम से बसा सिरसा शहर
बाबा सरसाईनाथ के नाम से ही सिरसा शहर की स्थापना हुई है। सरसाई नगरी सिरसा के लोग नव संवत पर डेरे में शीश नवाने आते हैं। लोगों का मानना है कि बाबा सरसाईनाथ की कृपा सिरसा पर बनी हुई है तथा यहां कोई दुख तकलीफ नहीं आ सकती। बाबा सरसाईनाथ स्वयं लोगों की रक्षा करते हैं। नव संवत के मौके पर अनेक गणमान्य लोग भी यहां आते हैं। डेरे में दिनभर भजन संकीर्तन का कार्यक्रम चलता है तथा लोग मध्यरात्रि तक आते हैं। 

नवरात्रों पर लोगों ने की शक्ति की अराधना
नवरात्र के पहले दिन बुधवार को मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई दी। लोगों ने विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा की। माता को नारियल, चुनरी, प्रसाद इत्यादि भेंट किए। चैत्र मास के नवरात्रों में लोग नौ दिन उपवास रखकर शक्ति की अराधना करते हैं। सिरसा शहर में बी ब्लाक स्थित दुर्गा मंदिर, सालासर धाम मंदिर, शनिमंदिर, सरसाईनाथ मंदिर इत्यादि में मां शक्ति की उपासना की गई। यहां माता रानी की अखंड ज्योत स्थापित की गई है।