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चेत्र नवरात्रों पर श्री सालासर धाम मंदिर सिरसा में देवी पूजन 22 मार्च से

351 पावन ज्योत से किया जाएगा मां भगवती का आह्वान
 
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Mhara Hariyana News, Sirsa, सिरसा। श्री सालासर धाम मंदिर सिरसा में नवसंवत 22 मार्च से चेत्र नवरात्रों पर देवी पूजन का अनुष्ठान होगा। जिसमें 351 पावन ज्योत से मां भगवती का आह्वान किया जाएगा। नवरात्र के पहले दिन बुधवार को प्रथम देवी शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के साथ ही नवरात्रों का आरंभ होगा। नवरात्रों पर होने वाले कार्यक्रम को लेकर श्री सालासर धाम मंदिर प्रबंधक कमेटी की ओर से व्यापक तैयारियां शुरू कर दी गई है ताकि किसी भी भक्त को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

वर्णनीय है कि श्री सालासर धाम मंदिर का सिरसा ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान है। इस मंदिर की बड़ी मान्यता है कि यहां आने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है। विद्वान पंडितों की देखरेख में विशेष पूजन किया जाता है। कई वर्षों से नवरात्रों के मौके पर 351 ज्योत प्रज्ज्वलित की जाती है। श्रद्धालुओं की ओर से पावन ज्योत बुक करवाई जाती है। मंदिर के प्रबंधक की ओर से श्रद्धालुओं से अपनी ज्योत बुक करवाने का आग्रह किया गया है।

- 31 मार्च को होगा शतचंडी महायज्ञ का आयोजन

सिरसा। श्री सालासर धाम मंदिर सिरसा में नवरात्र के उपलक्ष्य में 31 मार्च को शतचंडी महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। रहा है। मंदिर के पुजारी जलराम, पुजारी जवाहरलाल व आचार्य पुरुषोत्तम शर्मा ने संयुक्त रूप से बताया कि नवरात्रों के उपलक्ष्य में यह 36वां शतचंडी महायज्ञ है। उन्होंने बताया कि 31 मार्च को यज्ञ की आहूति डाली जाएगी, इसके बाद भोग लगाया जाएगा। तत्पश्चात ब्रहमभोज होगा और प्रसाद का वितरण होगा।

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क्या है शतचंडी महायज्ञ

 सनातन धर्म में शतचंडी महायज्ञ को बेहद शक्तिशाली वर्णित किया गया है। इस यज्ञ के माध्यम से बिगड़े हुए ग्रहों की दशा भी सुधारी जा सकती है। कहा जाता है कि इसका आयोजन करने से सौभाग्य व्यक्ति का साथ देने लगता है। इस यज्ञ के बाद मनुष्य खुद को आनंदित महसूस करने लगता है। दरअसल, श्री दुर्गा शप्तशती का 108 बार पाठ करने को शतचंडीपाठ महायज्ञ कहा जाता है। जबकि 1000 बार पाठ करने को सहस्त्रचंडी महायज्ञ और एक लाख बार पाठ करने को लक्ष्यचंडी महायज्ञ कहा जाता है। मां दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है। देवी को प्रसन्न करने के लिए ही अपनाई जाने वाली विधि शतचंडी यज्ञ कहलाती है। वेदों में इसकी महिमा का वर्णन किया गया है।