logo

सिरसा पधारे थे गुरुनानक देव जी, 40 दिनों तक किया तप

Mhara Hariyana News – देश प्रदेश के श्रद्धालुओं के लिए अटूट आस्था का केंद्र है गुरुद्वारा चिल्ला साहिब सिरसा अपनी पावन शिक्षाओं व वाणी से समस्त जगत को राह दिखाने वाले गुरुनानक देव जी का पावन सानिध्य सिरसा को भी मिला हुआ है। गुरुजी ने यहां पर 40 दिनों तक चिल्ला काटा था यानि 40 …
 
सिरसा पधारे थे गुरुनानक देव जी, 40 दिनों तक किया तप

Mhara Hariyana News
– देश प्रदेश के श्रद्धालुओं के लिए अटूट आस्था का केंद्र है गुरुद्वारा चिल्ला साहिब
सिरसा
अपनी पावन शिक्षाओं व वाणी से समस्त जगत को राह दिखाने वाले गुरुनानक देव जी का पावन सानिध्य सिरसा को भी मिला हुआ है। गुरुजी ने यहां पर 40 दिनों तक चिल्ला काटा था यानि 40 दिनों की तपस्या की थी। जिस स्थान पर गुरुनानक देव ने तपस्या की थी, उस स्थान पर वर्तमान में गुरुद्वारा चिल्ला साहिब स्थापित है। यह ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है और यहां आकर श्रद्धालु असीम शांति का अनुभव करते हैं। विक्रमी संवत 1567 को सिरसा पधारे थे गुरु नानक देव जी।

गुरुद्वारे के मुख्य हाल में गुरुद्वारे के इतिहास के संबंध में बोर्ड लगाया हुआ है। इतिहास के अनुसार दूसरी उदासी के समय बठिंडा, भटनेर (हनुमानगढ़), रानियां से होते हुए विक्रमी संवत 1567 को गुरुनानक देव अपने शिष्य मरदाना के साथ सिरसा पधारे। उस समय सिरसा में मुस्लिम फकीरों द्वारा मेले का आयोजन किया गया था। जिस समय गुरुजी सिरसा पधारे, उनका अनोखा पहनावा था। पांवों में खड़ाऊं, हाथ में आसा, सिर पर रस्सी बंधी थी और माथे पर तिलक लगा रखा था। पीर बहावल और ख्वाजा अब्दुल शकुर नामक फकीर खुद को करामाती बताते थे और धागे तबीज करते थे। उन दोनों ने गुरुनानक देव के साथ गोष्ठी की, जिसमें गुरुजी ने उनका अहंकार दूर किया। वहां मौजूद पीरों ने कहा कि तुम्हें परखना चाहते हैं। 40 दिन कोठरी में रहना होगा। रोजाना एक जौ का दाना और पानी पीना होगा। गुरुनानक देव के साथ तीन मुसलमान फकीर भी पानी लेकर बैठ गए, जबकि गुरुनानक देव बिना जौ व पानी के बैठे। कुछ दिनों बाद ही मुस्लिम फकीर बाहर आ गए और गुरु नानक के चरणों में गिर गए कि वाकई तुम खुदा के बंदे हो। गुरुनानक देव ने यहां चिल्ला काटा यानि चालीस दिनों की तपस्या की। गुरुनानक देव जी सिरसा में चार महीने और 13 दिन रहे।

ऐतिहासिक गुरुद्वारे में बड़ा लंगर हाल है, जहां सालाना कार्यक्रम के लिए एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के लिए लंगर तैयार होता है। बाबा अजीत सिंह ने बताया कि गुरुद्वारे में एक बड़े भाग को लंगर तैयार करने व बांटने के लिए बनाया गया है। रोजाना पकने वाला लंगर पुरातन विधि से चूल्हे पर लकडिय़ों से तैयार होता है। तांबे की बड़ी बड़ी देगों में दाल व चावल पकाए जाते हैं। गुरु साहिबानों की पावन शिक्षाओं के साथ-साथ बाबा बघेल सिंह व बाबा प्रीतम सिंह के मार्गदर्शन में गुरुद्वारे ने सेवा कार्यो में विशेष पहचान बनाई है। वर्तमान में जत्थेदार बाबा अजीत सिंह कार सेवा का कार्य संभाल रहे हैं। सिरसा के अलावा माधोसिंघाना, नोहर व साहवा गुरुद्वारों में भी कार सेवा का कार्य जत्थेदार बाबा अजीत सिंह  जी के मार्गदर्शन में हो रहा है।
follow now