पावन महापरोपकार दिवस पर उमड़ा साध-संगत का जनसैलाब
Mhara Hariyana News, Sirsa
सिरसा। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के 33वें गुरुगद्दीनशीनी दिवस के पावन महापरोपकार दिवस का पावन भंडारा शनिवार को एमएसजी डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केन्द्र शाह मस्तान-शाह सतनाम जी धाम, सरसा में भारी तादाद साध-संगत ने हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर पूज्य गुरु जी ने साध-संगत के लिए रूहानी चिट्ठी भेजी, जो साध-संगत को पढ़कर सुनाई गई।
चिट्ठी में पूज्य गुरु जी ने पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज के महापरोपकार का वर्णन करते हुए साध-संगत को एकता में रहने के वचन किए। पावन भंडारे पर मानवता भलाई कार्यों को रफ्तार देते हुए आत्म सम्मान मुहिम के तहत 23 अति जरूरतमंद महिलाओं को सिलाई मशीनें और सेफ मुहिम के तहत नशे छोड़ने वाले 23 युवाओं को पौष्टिक आहार की किटें दी गई। गौरतलब है कि 23 सितंबर 1990 को पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को पावन गुरुगद्दी की बख्शिश करके अपना रूप बनाया था।
महापरोपकार दिवस के शुभ भंडारे का आगाज सुबह 11 बजे पूज्य गुरु जी को धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा के पवित्र नारे के रूप में बधाई के साथ हुआ। इसके बाद कविराजों ने विभिन्न भक्तिमय भजनों के माध्यम से गुरु महिमा का गुणगान किया। इस अवसर पर खास बात ये रही कि पावन भंडारे की शुरूआत से पहले ही सभी पंडाल साध-संगत से खचाखच भर गए। शाह सतनाम जी मार्ग पर जहां तक नजर दौड़ रही थी साध-संगत का भारी जनसमूह नजर आ रहा था। वहीं एमएसजी डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केन्द्र शाह मस्तान-शाह सतनाम जी धाम की ओर आने वाले शाह सतनाम जी मार्ग, रानियां रोड़, डबवाली रोड़, बरनाला रोड़, हिसार रोड़, बाजेकां रोड, रंगडी रोड सहित सभी रास्तों पर कई-कई किलोमीटर दूर-दूर तक साध-संगत के वाहनों की कतारें नजर आ रही थी। इस अवसर पर बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से साध-संगत ने पूज्य गुरु जी के अनमोल वचनों को श्रद्धापूर्वक सुना।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आज का वो दिन जब हमारा अपने मुर्शिद-ए-कामिल से मिलाप हुआ, अपने उस दाता रहबर से मिलाप हुआ जो वर्णन से परे है। उस मुर्शिद-ए-कामिल के महान परोपकारों का वर्णन करना असंभव है, मुश्किल है। जन्म से ही उनका रहमोकरम रहा। जब हम चार-पाच साल के थे 1972 में उन्होंने अपने नाम-शब्द से नवाजा। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि मुरीद अपने मुर्शिद-ए-कामिल को कभी नहीं भूलता, मक्खियां-मच्छर तो उड़ जाया करते हैं। मुरीद जो मर मिटता है अपने मालिक के लिए। आशिकी कमानी इस कलियुग में बड़ी मुश्किल है, आशिक कहलाना आसान है, पर आशिकी निभानी बड़ी मुश्किल है। क्योंकि अंदर बैठा मन बड़ा जालिम है। जब हम छोटे थे बापू जी, माता जी के साथ सत्संग में जाया करते थे। सत्संग सुनते, फिर जैसे बड़े हुए वहां नामचचार्एं शुरू हुर्इं तो उसमें शब्द बोलते, फिर धीरे-धीरे कई गांवों के स्टेज सैक्ट्री बन गए, तो सत्संगों पर आते, हम सेवा करते और दर्शन के टाइम दर्शन भी जरूर करते। ये नहीं होता था कि हमें आगे बैठना है बस यही होता था कि हमें दर्शन करने हैं।
वहीं पावन महापरोपकार दिवस से संबंधित एक मनमोहक डॉक्यूमेंट्री भी साध-संगत को दिखाई गई। साध-संगत के आने का सिलसिला भंडारे की समाप्ति तक अनवरत जारी रहा। भंडारे की समाप्ति पर आई हुई भारी तादाद में साध-संगत को हजारों सेवादारों ने कुछ ही मिनटों में लंगर भोजन और प्रसाद खिला दिया गया।
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हमारे प्यारे बच्चो, ट्रस्ट प्रबंधक सेवादार व सेवादारो,
आप सबको महापरोपकार भण्डारे 33वें की बहुत-2 बधाई व बहुत-2 आशीर्वाद। धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा। अखंड सुमिरन व सप्ताह में दो नामचर्चा जरुर करा करें।
हमारे करोड़ों प्यारे बच्चो, आज आपको हम इस भण्डारे की शुरूआत की कुछ बातें बताने जा रहे हैं। 22-9-90 की वो रूहानी, नूरानी शाम, जब मेरे कुल मालिक, सतगुरु जी,शाह सतनाम जी दाता ने हमें नूरानी गुफा में अपने रू ब रू बिठाया। सबसे पहले दाता जी ने वचन फरमाए आप (दास को) ठीक हो। सारा परिवार ठीक है? दास ने कहा सतगुरु जी आपकी कृपा है। फिर दाता जी ने बापू जी को फरमाया आपने कुछ कहिना है? बापू जी हाथ जोड़ कर कहिने लगे पिता जी, मेरा सब कुछ तो ये (दास) ही हैं ये अब आपके हो गए तो आप हमारा घर, जमीन जायदाद सब ले लो जी और डेरे में एक कमरा दे दो जी। हम भी यहीं रह कर सुबह शाम आपके व इनके दर्शन करते रहेंगे। यह सारी बातें सुनकर दाता जी बहुत खुश हुए व वैराग्य में आकर वचन फरमाए बेटा (बापू जी को) तेरा सबसे कीमती व इकलौता खजाना तो हमने आप से ले ही लिया है और कुछ नहीं चाहिए। आप इन छोटे-2 बच्चों की संभाला करना। हाँ आप जब भी हमें (अपनी व दास की तरफ इशारा करके) बुलाओगे या याद करोगे तो हम आपके पास आ जाया करेंगे। फिर दाता जी ने दास को अपने पास बैठा कर आशीर्वाद देते हुए फरमाया कि आज से ही हम इन्हें दोनों जहाँ का रूहानी खजाना दे कर इन्हें रूहानियत से मालामाल करते हैं। आज से ये ही सारा रूहानियत का कार्य किया करेंगे। यह कर दाता जी ने दास के सिर पर अपना कर कमल रखा व कन्धा थपथपाया। दास यह सब सुन व देख कर वैराग्य में आ गया। फिर दास ने दाता जी से अर्ज की कि दास तो अभी बहुत छोटा है इसलिए आप जी साथ रह कर साथ बैठ कर सारे कार्य करवाएं जी। दाता जी ने खुश होकर फरमाया हम तेरे साथ बैठ कर सब कार्य करवाएंगे। फिक्र ना कर आपां ही सब काम करेंगे। फिर 23-9-90 को दाता जी ने साध-संगत के सामने नूरानी कर कमलों से दास के गले में हार डाला व प्रसाद खिलाते हुए वचन किए अबसे तू नहीं तेरे में हम काम करेंगे। हम थे, हम हैं व हम ही रहेंगे। यह वचन दाता जी ने कई बार सेवादारों व साध-संगत को किए व यह भी वचन किए इस ठवकल (दास) में हम कम से कम 50-60 साल रूहानियत का कार्य करेंगे।
तो हमारे करोड़ों प्यारे बच्चो हम आपके एम.एस.जी. गुरू आपको वचन देते हैं कि हम सतगुरु राम से, खुशियों के समुन्द्र, आपकी सबसे बड़ी माँग व एकता की बात आपके बीच आके पूरी करें व पूरी करवाएंगे, रामजी जल्द ही पूरी करेंगे, आशीर्वाद।