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हनुमानगढ़ की धान मंडी सहित अन्य पंडाल साध-संगत के प्रेम के आगे पड़े कम

पक्षी उद्धार मुहिम के तहत बांटे 175 मिट्टी के सकोरे, 75 परिवारों को राशन और 75 जरूरतमंद बच्चों को दिए वस्त्र 

 
हनुमानगढ़ की धान मंडी सहित अन्य पंडाल साध-संगत के प्रेम के आगे पड़े कम 
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Mhara Hariyana News,Hanumangarh

हनुमानगढ़। देश व प्रदेश को नशा मुक्त करने के लिए डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए डेप्थ मुहिम चलाकर लोगों को नशे रूपी दैत्य से बचने के लिए जागरूक कर रही है।

हनुमानगढ़ की धान मंडी सहित अन्य पंडाल साध-संगत के प्रेम के आगे पड़े कम 

इसी कड़ी में सत्संग भंडारे महीने की खुशी में हनुमानगढ़ टाउन की नई धान मंडी के प्रांगण में रविवार को विशाल रूहानी नामचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें एक साथ लाखों लोगों ने नशे रूपी बीमारी को जड़ से उखाड़ फैंकने का संकल्प दोहराया।

हनुमानगढ़ की धान मंडी सहित अन्य पंडाल साध-संगत के प्रेम के आगे पड़े कम 

वहीं भीषण गर्मी की परवाह किए बगैर अनुशासनमयी तरीके से सत्संग भंडारा मनाने पहुंची राजस्थान प्रदेश के कोने-कोने की साध-संगत का जोश,जुनून देखते ही बन रहा था तथा डेरा अनुयायियों के प्रेम, श्रद्धा के आगे धान मंडी का पूरा पंडाल नामचर्चा शुरू होने से पहले ही खचाखच भर गया और नामचर्चा की समाप्ति तक साध-संगत का आना अनवरत जारी रहा।

हनुमानगढ़ की धान मंडी सहित अन्य पंडाल साध-संगत के प्रेम के आगे पड़े कम 

दृश्य यह था कि पंडाल भरने के बाद कड़ी धूप में सड़कों पर बैठकर व खड़े होकर लोगों ने राम-नाम की चर्चा को सुना। नामचर्चा के समापन अवसर पर पूज्य गुरु जी की शिक्षाओं को आगे बढ़ाते हुए 157 मानवता भलाई कार्यों के तहत पक्षियोंद्धार मुहिम के तहत 175 कसोरे बांटे गए। फूड बैंक मुहिम के तहत 75 अति जरूरतमंद परिवारों को एक-एक महीने का राशन दिया इसके अलावा क्लॉथ बैंक मुहिम के तहत 75 गरीब बच्चों को वस्त्र दिए गए। नामचर्चा कार्यक्रम के दौरान 29 अपै्रल को पूज्य गुरु जी द्वारा भेजी गई रूहानी चिट्ठी भी पढ़कर सुनाई गई, जिसे साध-संगत ने पूरी श्रद्धाभाव से सुना।
                   गौरतलब है कि बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने 29 अपै्रल 1948 को जीवों का उद्धार करने के लिए डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की और इसके पश्चात मई महीने में पहला सत्संग फरमाया। इसलिए मई महीने को डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत पूज्य गुरु जी की शिक्षाओं पर चलते हुए सत्संग माह भंडारे के रूप में मना रही है और रविवार को राजस्थान के श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ की साध-संगत ने इसे सत्संग भंडारे के रूप में मनाया है। पूजनीय साईं जी, परम पिता शाह सतनाम जी महाराज और वर्तमान में पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन सान्निधय में रूहानियत के इस सच्चे दर से जुड़कर करोड़ों लोग नशे व सामाजिक बुराईयां छोड़ चुके हैं। 
                रविवार को सुबह 11 बजे धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का पवित्र व इलाही नारा बोलकर शुभ भंडारे की नामचर्चा की शुरूआत की गई। इसके पश्चात कविराजों ने सुंदर भजनवाणी के माध्यम से साध-संगत को लाभाविंत किया। बाद में नामचर्चा पंडाल में लगाई गई बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीनों के माध्यम से पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रिकॉर्डिड वचनों के माध्यम से उपस्थित साध-संगत को अपने पावन वचनों से निहाल किया। इससे पूर्व उपस्थित साध-संगत ने धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का पवित्र नारा लगाकर पूज्य गुरु जी को सत्संग भंडारे की बधाई दी।
                         पूज्य गुरु जी ने कहा कि पुराने समय में हमारे संयुक्त परिवार रहा करते थे। लेकिन आज वो बिगड़ते जा रहे है। अगर आप गांव में भी देखेंगे तो बहुत कम परिवार रह गए तो संयुक्त रूप से रहते है। रिश्ते बिखरने का सबसे बड़ा कारण है अंहकार, सहनशक्ति की कमी। छोटी सी बात होती है इंसान झगड़ा-झमेला शुरू कर देते है। जरा सी बात पर परेशान होने लग जाते है। जरा सी बात होती है कि आप एक-दूसरे से बोलना बंद कर देते है। पहले महिलाओं में ये आदत होती थी कि छोटी सी कोई बात हुई कि मैं इससे नहीं बोलती। लेकिन अब पुरुष भी महिलाओं से कहीं कम नहीं है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि आपकी रगो में एक ही मां-बाप का खून है, एक ही मां के गर्भ में आप पले और बढ़े हैै। एक ही मां का दूध पिया है, एक ही मां और बाप की परवरिश में आप बड़े हुए है, उसी मां-बाप ने आपको पढ़ाया-लिखाया है। फिर ऐसा क्या आ गया कि उस खून में जहर आ गया। उसका कारण अंहकार है, धन-दौलत है, जमीन-जायदाद है। इसके अलावा औरत या मर्द है। इसके अलावा संयुक्त परिवार टूटने का एक अन्य बड़ा कारण है गलत सोहबत यानी गलत संग करना। पूज्य गुरु जी ने कहा कि परिवार को एक साथ देखने वाले तो बहुत कम लोग होंगे, लेकिन परिवार को अलग-अलग करने वाले बहुत है। जिसके अच्छे संस्कार होंगे या जो संत महापुरुष होंगे वो ही परिवार को एक साथ देखकर खुश हो सकते है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि संयुक्त परिवारों के टूटने का एक अन्य कारण परिवार में कोई बुरा व्यक्ति आ जाए। यह सब परिवारों के टूटने के मुख्य कारण है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि हमारी संस्कृति की बात करें या आज के समय की बात कर लें, ऐसा कोई मां-बाप नहीं होता जो अपने बच्चों का नुकसान करना चाहता हो। लेकिन बच्चों को ऐसा नहीं लगता। संयुक्त परिवार का फायदा बताते हुए पूज्य गुरु जी ने कहा कि अगर परिवार के आधे लोग मानवता की सेवा करेंगे और बाकी अपना काम-धंधा संभालेंगे तो घर में नुकसान भी नहीं होगा और राम-नाम की याद में भी आप मालामाल रहेंगे। संयुक्त परिवार आज के समय की जरूरत भी है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि आज के समय जो लोग नशा करते है, यहां जिनके उपर कर्जा होता है या परिवार में कोई कलह-कलैश है, नौकरी-पेशे में कोई कलह कलेश है, खेती बाड़ी में बर्बादी हो गई, ये कुछ कारण है जिसके कारण इंसान के अंदर आत्महत्या के विचार आने लगते है। सभी धर्मो में लिखा गया है कि आत्मघाती महापापी होता है। आत्मा का घात करने के लिए तो छोटे-छोटे कीड़े-मकौड़े भी नहीं सोचते और इंसान को तो प्रभु परमात्मा ने सर्वश्रेष्ठ शरीर दिया है। तो इंसान क्यों आत्मा का घात करने पर तुला हुआ है।  


शब्दवाणी से भक्तिमयी बना माहौल 
नामचर्चा कार्यक्रम के दौरान कविराजों ने भजन वाणी के माध्यम से सतगुरु की महिमा का गुणगान किया। कविराजों ने मिला ये जन्म नाम जपने लिए, नाम जप के कर लो जन्म का उद्धार...., सहारा है इक तेरा मैनू, सहारे होर की करणे..., सत्संग में क्या मिलता है, सत्संग में आकर देखो..., ओ देखी बहुत निराली महिमा सत्संग की... आदि भजन बोलकर साध-संगत को निहाल किया। 


देशभक्ति सॉन्ग पर झूमी साध-संगत 
पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा नशे पर प्रहार करते हुए गाया गया देशभक्ति सॉन्ग मेरे देश की जवानी...व आशीर्वाद माओं का... को नामचर्चा कार्यक्रम के दौरान चलाया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने नाच गाकर खुशियां मनाई। वहीं दोनों सॉन्ग के माध्यम से पूज्य गुरु जी ने नशे को खत्म करने का आह्वान किया तथा संदेश दिया गया कि देश का युवा नशे रूपी दैत्य को छोड़कर खेल सहित अन्य सभी फील्ड में अपना व अपने देश का नाम रोशन कर सकता है। वहीं गांव-शहर के मौजिज लोगों से नशे को खत्म करने का आह्वान किया। 

 

ये भी रहे मौजूद 
सत्संग भंडारे के नामचर्चा कार्यक्रम में पीलीबंगा से विधायक धर्मेंद्र मोची, संगरिया विधायक गुरदीप सिंह शाहपीनी, पूर्व मंत्री डा. रामप्रताप, भाजपा नेत्री गुलाब सिंवर, सभापति गणेशी राम, पार्षद बाबूलाल पारीक, देवेंद्र पारीक, पूर्व पार्षद रामकिशन भाकर,  बैंक मैनेजर देवेंद्र सिंह, ट्रांसपोर्टर रविंद्र बेनीवाल सहित शहर के अनेक सामाजिक, धार्मिक , राजनीतिक संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे और डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत द्वारा किए जा रहे मानवता भलाई कार्योंे की खुलकर सराहना की। 


 प्याऊ डॉक्यूमेंट्री से राहगीरों के लिए पेयजल प्रबंध करने के लिए किया जागरूक 
गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। जिसमें इंसान व बेजुबानों की प्यास बुझाने के लिए पानी अति जरूरी है। इसलिए कार्यक्रम के दौरान डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत पूज्य गुरु जी की प्रेरणा से जगह-जगह बनाए गए प्याऊ संबंधी डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। इसके माध्यम से आम लोगों को अधिक से अधिक प्याऊ लगाने का आह्वान किया गया। ताकि भीषण गर्मी में लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए परेशानी का सामना न करना पड़े।  
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नामचर्चा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंची साध-संगत के अनुशासन का हर कोई कायल नजर आया। शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादार जहां पुलिस के साथ मिलकर ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू बनाए हुए थे। वहीं पंडाल में भी सेवादार पूरे शांतमयी तरीके से नामचर्चा कार्यक्रम को सुन रहे थे। डेरा अनुयायियों के अनुशासन की शहर वासी काफी प्रशंसा कर रहे थे। नामचर्चा में मौजूद साध-संगत के लिए ठंडे-मीठे पानी का विशेष प्रबंध किया गया। सेवादार पंडाल में घूम घूम कर साध-संगत को पानी-पिलाने की सेवा कर रहे थे। इसके अलावा गर्मी से बचाने के लिए हाथ वाले पंखों से सेवादार हवा भी दे रहे थे। 
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85 मैंबर एडवोकेट संपूर्ण सिंह इन्सां ने साध-संगत व पूज्य गुरु जी को धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का इलाही नारा बोलकर सत्संग भंडारे की बधाई दी। उन्होंने साध-संगत के जोश-जुनून की सराहना करते हुए कहा कि इस भंयकर गर्मी में भी भारी तादाद में पहुंचा साध-संगत का हुजूम बताता है कि उनका अपने सतगुरु के प्रति कितना प्रेम है, प्यार है। उन्होंने कहा कि जिम्मेवारों ने साध-संगत के लिए बहुत प्रबंध किए, लेकिन साध-संगत के प्रेम के आगे उनके सारे प्रबंध कम पड़ गए। उन्होंने कहा कि एक शिष्य का अपने गुरु के प्रति सहजोबाई जैसा दृढ़ विश्वास होना चाहिए।