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Vastu Tips: घर के किस दिशा में रखें महामृत्युंजय यंत्र, हर समस्या का समाधान?

हिंदू धर्म में महामृत्युंजय यंत्र और मंत्र को बहुत ही शक्तिशाली माना गया है. इस यंत्र की आराधना और जाप करने के कुछ नियम और विधि होती है. साथ ही घर में महामृत्युंजय यंत्र रखते समय दिशा का खास ख्याल रखा जाता है.
 
Vastu Tips: घर के किस दिशा में रखें महामृत्युंजय यंत्र, हर समस्या का समाधान?

मंत्र जप एक ऐसा उपाय है जिससे सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं. शास्त्रों में मंत्रों को बेहद ही शक्तिशाली और चमत्कार बताया गया है. विद्वानों का मानना है कि पूजा के स्थान पर देवी देवताओं के यंत्र रखकर उनकी पूजा उपासना करने से अधिक उत्तम फल मिलता है. मंत्रों को यंत्र की तरह ही सिद्धि देने वाले माना गया है.

क्या है महामृत्युंजय यंत्र?
जिस प्रकार से भगवान के बहुत से स्वरूप, महादेव, नटराज, शंकर आदि हैं उसी प्रकार से उनका एक और स्वरूप है महामृत्युंजय स्वरूप. जिस स्वरूप की पूजा से मृत्यु को जीता जा सकता है, उस स्वरूप को मृत्युंजय स्वरूप कहते हैं. इस स्वरूप के मंत्र का जप करने से आप हमेशा सुरक्षित रहते हैं. इस यंत्र का शाब्दिक अर्थ है मृत्यु को भी जय कर लेने वाला यंत्र.

वैदिक ज्योतिष मान्यता है कि महामृत्युंजय मंत्र के जाप से आने वाली मृत्यु या मृत्यु स्वरूप संकटों को टाला जा सकता है. वैदिक ज्योतिष ने श्री महामृत्युंजय यंत्र का प्रयोग भी अनेक कष्टों और बाधाओं को दूर करने के लिए किया था और आज के दौर में भी इस यंत्र के प्रयोग का बहुत प्रचलन है.

महामृत्युंजय यंत्र के लाभ
इस यंत्र का जाप करने से हमें अच्छी सेहत और स्वास्थ्य लाभ मिलता है. साथ ही अकाल मृत्यु, बीमारी और जीवन के कष्टों से भी छुटकारा मिलता है. महामृत्युंजय यंत्र बहुत सी शक्तिशाली यंत्र माना गया है जिसका जाप करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और महामृत्युंजय अपनी असीम कृपा दिखाते हैं. महामृत्युंजय यंत्र का उपासना से दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

यंत्र को प्राण प्रतिष्ठा करके ही घर में रखना चाहिए तभी उनका संपूर्ण फल मिलता है. मार्ग दशाओं के लगने के पूर्व इस यंत्र का आराधना से प्राण घातक दुर्घटना, संकट, बिमारी, महामारी, अकाल मौत, शत्रु भय आदि का निवारण होता है. महामृत्युंजय यंत्र को सिद्ध करके पापों को पुण्य में बदला जा सकता है. महामृत्युंजय यंत्र और मंत्र की आराधना करने से साधक को हमेशा सफलता मिलती है.

महामृत्युंजय यंत्र साधना विधि
महामृत्युंजय मंत्र का जाप हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुंह करके ही करना चाहिए और साथ ही इस मंत्र का जाप एक निर्धारित जगह पर ही करें. जितने भी दिन का यह जाप हो, उस दौरान मांसाहार बिल्कुल न खाएं. इस मंत्र का जाप केवल रुद्राक्ष माला से ही करें. इस मंत्र का जाप उस जगर बैठकर करें जहां भगवान शिव की प्रतिमा या महामृत्युंजय यंत्र रखा हो.

इस महामृत्युंजय यंत्र के प्रयोग से कुंडली मिलान के समय बनने वाले दोषों दूर होते हैं. महामृत्युंजय यंत्र को स्थापित करने से प्राप्त होने वाले लाभ किसी जातक को पूर्ण रूप से तभी प्राप्त हो सकते हैं. जब महामृत्युंजय यंत्र शुद्धिकरण, प्राण प्रतिष्ठा की गई हो. ऐसा न करने पर इस यंत्र का कोई विशेष लाभ प्राप्त नहीं होता है.

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किस दिशा में रखें महामृत्युंजय यंत्र?
महामृत्युंजय यंत्र की स्थापना करने के लिए दिशा का विशेष ध्यान रखा जाता है अन्था यह यंत्र अपना पूर्ण प्रभाव नहीं दिखाता है. इस यंत्र को सोमवार के दिन स्थापित किया जा सकता है. महामृत्युंजय यंत्र घर की सबसे स्वच्छ और ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहां घर के सभी सदस्यों की नजर उसपर पड़े. इस यंत्र को जाप करने के लिए अपना मुख पूर्व दिशा की ओर ही रखें और प्रतिदिन स्नान करने के बाद महामृत्युंजय यंत्र की स्थापना वाले स्थान पर इस यंत्र का 11 या 21 बार उच्चारण करें. इस यंत्र को भगवान शिव के पूजा स्थान पर अर्थात भगवान शिव की प्रतिमा के पास ही रखें.