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ये अनूठी दोस्ती जो बनी मिसाल : मित्र किसान की मौत पर अंतिम दर्शन करने पहुंचा बंदर, महिलाओं की गोद में सिर रखकर रोया

 
ये अनूठी दोस्ती जो बनी मिसाल : मित्र किसान की मौत पर अंतिम दर्शन करने पहुंचा बंदर, महिलाओं की गोद में सिर रखकर रोया

Mhara Hariyana News, Lakhimpur khere : लखीमपुर खीरी के गांव गोंधिया में इंसान और बंदर की दोस्ती का दिल छू लेने वाला मामला सामने आया है। Kisan की death पर अंतिम दर्शन करने बंदर जंगल से निकलकर उसके घर पहुंच गया। शव से चादर हटाकर Kisan का चेहरा देखा। करीब एक घंटे तक बैठा रहा। 
Family की महिलाओं की गोद में सिर रखकर रोया और फिर कहीं चला गया। यह मामला आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बना हुआ है। बताया जा रहा है कि बंदर रोटी से पनपी दोस्ती का कर्ज निभाने पहुंचा था।

बिजुआ क्षेत्र के गोंधिया निवासी चंदनलाल वर्मा की मंगलवार को death हो गई। परिजन और सगे संबंधियों का रो-रोकर बुरा हाल था। इसी समय एक बंदर कहीं से आ गया और मृतक चंदनलाल पर पड़ी चादर को हटाकर उनका चेहरा देखने लगा। 
ये देख ग्रामीण हैरान रह गए। 
ग्रामीणों के अनुसार बंदर परिजनों के पास ही बैठकर रोने लगा। रोती हुई महिलाओं पर अपना हाथ रखकर ढांढस भी बंधाया। बंदर की यह गतिविधि चर्चा का विषय बन गई। 

पास-पड़ोसी और ग्रामीण भी बंदर को देखने लगे। बंदर पर ग्रामीणों की मौजूदगी का कोई असर नहीं पड़ा। वह शव के करीब ही बैठा रहा। परिजन और ग्रामीण जब चंदनलाल का शव अंतिम संस्कार के लिए लेकर चले तो बंदर भी कहीं चला गया। 
परिजनों का कहना है कि कुछ वर्ष पहले जब चंदनलाल खेत में फसल बचाने जाते थे तो बंदर को खाना खिला देते थे। उस रोटी से ही बंदर और चंदनलाल में दोस्ती हो गई। बंदर उसी दोस्ती और रोटी के फर्ज को निभाने पहुंचा था।

इस तरह हुई दोस्ती 
परिजनों के अनुसार मृतक चंदनलाल वर्मा जंगल के किनारे जानवरों से फसल बचाने के लिए झोपड़ी डालकर दिनभर खेतों में रुकते थे। घर से जो खाना ले जाते उसमें से एक रोटी बंदर को दे देते थे। खाना खाने के समय बंदर उनके पास आ जाता था। बेटे सोनू ने बताया कि करीब एक वर्ष पहले पिता चंदनलाल को फालिज अटैक हो गया था। 

इससे वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गए थे। चंदनलाल एक वर्ष से खेतों में नहीं गए थे। पता नहीं कैसे बंदर को उनकी death का पता चल गया। गांव के बुजुर्ग मोहनलाल वर्मा ने बताया कि आज तक ऐसा कभी ना देखा और न ही सुना था। वाकई में जानवर, इंसान से ज्यादा संवेदनशील व समझदार होते हैं।